नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) को 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि से आगे जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है। यह84,934 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत (केंद्र की हिस्सेदारी 52,900करोड़ रुपए और राज्य की हिस्सेदारी 30,034 करोड़ रुपए)से 38,412 परिवारों को जोड़ने में मदद करेगी। फंड साझेदारी का प्रारूप समान रहेगा।
इसके दायरे में (250 से अधिक आबादी) बस्ती मार्च, 2019 तक आ जाएंगी। जबकि, पीएमजीएसवाई-IIऔर एलडब्ल्यूई ब्लॉक के तहत के पहचान की गई बस्तियां (100-249 आबादी) मार्च, 2010 तक इसके दायरे में होंगी।
शुरू में पीएमजीएसवाई के लक्ष्यों को मार्च, 2022 तक हासिल करना था। हालांकि, पीएमजीएसवाई-I के लक्ष्यों को हासिल करने की अंतिम समयसीमा मार्च, 2019 कर दी गई और फंड आवंटन में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ वित्त पोषण के प्रारूप को भी बदल दिया गया जिसेकेंद्र एवं सभी राज्यों के लिए60:40 के अनुपात में और पूर्वोत्तर के 8 राज्यों एवं 3 हिमालयी राज्यों (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए 90:10 के अनुपात में निर्धारित किया गया। अब तक 95 प्रतिशत बस्तियां(1,69,415)आवंटित की जा चुकी है जिसमें से 91 प्रतिशत बस्तियों (1,54,257)को मुख्य मार्ग से जोड़ा जा चुका है। इसमें ऐसी 16,380 बस्तियां भी शामिल हैं जिन्हें राज्यों ने अपने संसाधनों से जोड़ा है।कुल आवंटित 6,58,143 किलोमीटर लंबी सड़क में से 5,50,601 किलोमीटर सड़क को पूरा किया जा चुका है। पीएमजीएसवाई-II के तहत 50,000 किलोमीटर लंबी सड़क के उन्नयन लक्ष्य के मुकाबले करीब 32,100 किलोमीटर लंबी सड़क 13 राज्यों में आवंटित की गईं जिन्हें पीएमजीएसवाई-II में परिवर्तित कर दिया गया है। मार्च 2018 तक कुल आवंटन के मुकाबले12,000 किलोमीटर लंबी सड़क के कार्य पूरे किए जा चुके हैं।
पृष्ठभूमि:
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) को देश के ग्रामीण क्षेत्रोंकी बिना संपर्क वाली सभी पात्र बस्तियों को ऑल-वेदर रोड़ से जोड़ने के लक्ष्य के साथ 25 दिसंबर, 2000 को शुरू की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत 500 लोगों की आबादी (2001 की जनगणना के अनुसार)और मैदानी क्षेत्रों से ऊपर की सभी बस्तियों को मुख्य मार्ग से जोड़ने की परिकल्पना की गई थी। साथ ही विशेष श्रेणी के राज्यों जैसे पूर्वोत्तर, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में 250 अथवा इससे अधिक आबादी (2001 की जनगणना के अनुसार) वाली बस्तियों और मरुस्थलीय क्षेत्र की बस्तियों(मरुस्थल विकास कार्यक्रम के तहत पहचान की गई) को पात्र माना गया है। इसके अलावा गृह मंत्रालय/योजना आयोग द्वारा पहचान किए गए 88 जनजातीय एवंपिछड़े जिले भी इसमें शामिल हैं।गृह मंत्रालय द्वारा पहचान किए गए एकीकृत कार्य योजना (आईएपी) ब्लॉक, 100 लोगों अथवा इससे अधिक की आबादी (2001 की जनगणना के अनुसार) वाली बस्तियों को भी पीएमजीएसवाई के तहत पात्र माना गया है।