नई दिल्ली: परंपरागत जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के तौर पर गैर-जीवाश्म ईंधनों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरकार द्वारा जैव-ईंधन के क्षेत्र में की गयी पहलों को दर्शाने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 10 अगस्त को विश्व जैव-ईंधन दिवस आयोजित किया जाता है।
पिछले तीन वर्षों से तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय विश्व जैव-ईंधन दिवस का आयोजन कर रहा है।
इस वर्ष नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 10 अगस्त 2018 को विश्व जैव-ईंधन दिवस आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। इस दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि होंगे और उनके साथ इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में केंद्रीय मंत्री सम्मिलित होंगे।
इस कार्यक्रम के प्रस्तावित भागीदारों में गन्ना और अन्य फसलों के किसान, वैज्ञानिक, जैव ईंधन क्षेत्र के उद्यमी, विज्ञान, कृषि विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के छात्र, संसद सदस्य, राजदूत, केंद्र, राज्य सरकारों एवं जैव-ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के अधिकारी, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समाचार माध्यम एवं अन्य लोग शामिल हैं। उद्घाटन सत्र के बाद एथेनोल, जैव-डीजल, जैव-सीएनजी एवं दूसरी पीढ़ी के जैव ईंधनों पर एक संवादात्मक सत्र अलग से आयोजित किया जायेगा। आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करना, स्वच्छ पर्यावरण, किसानों के लिये अतिरिक्त आय और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सृजन जैव ईंधनों से मिलने वाले कुछ लाभ हैं।
जैव-ईंधन कार्यक्रम भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’, स्वच्छ भारत और किसानों की आमदनी बढ़ाने वाली योजनाओं के साथ भी सुसंगत है।
वर्ष 2014 से भारत सरकार ने कई ऐसी पहले की हैं जिनसे अन्य ईंधनों में जैव-ईंधनों को मिलाने की मात्रा को बढ़ाया जा सके। मुख्य पहलों में शामिल हैं: एथेनोल के लिये नियंत्रित मूल्य प्रणाली, तेल विपणन कंपनियों के लिये प्रक्रिया को सरल बनाना, 1951 के उद्योग (विकास एवं नियमन) अधिनियम में संशोधन तथा एथेनोल की खरीद के लिये लिग्नोसेलुलोसिक तरीके को अपनाना।
भारत सरकार की इन पहलों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पेट्रोल में एथेनोल का मिश्रण जो कि एथेनोल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर था, वर्ष 2017-18 में इसके 141 करोड़ लीटर रहने का अनुमान है।
भारत में जैव-डीजल मिलाने की शुरुआत 10 अगस्त 2015 से हुई और 2018-19 में तेल विपणन कंपनियों ने 7.6 करोड़ लीटर जैव-डीजल को आवंटित किया। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां दूसरी पीढ़ी की एक दर्जन (2जी) जैव रिफाइनरियों को स्थापित करने की योजना बना रही हैं ताकि एथेनोल की आपूर्ति बढ़ायी जा सके और कृषि क्षेत्र के जैविक अवशिष्ट पदार्थों के जलाने से उत्पन्न होने वाली पर्यावरण संबंधी चिंताओं से निपटा जा सके।
सरकार ने जून 2018 में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति – 2018 को मंजूर किया है। इस नीति का लक्ष्य 2030 तक 20% एथेनोल और 5% जैव डीजल मिश्रित करना है। अन्य कामों के अलावा इस नीति ने एथेनोल उत्पादन के लिये कच्चे माल के दायरे को व्यापक बनाया है साथ ही उच्च कोटि के जैव-ईंधनों के उत्पादन को लाभकारी बनाया है।
हाल ही में सरकार ने शीरे पर आधारित सी-तत्व की प्रचुरता वाले एथेनोल का मूल्य 40.85 प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.70 रुपये प्रति लीटर कर दिया ताकि एथेनोल मिश्रण के कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा सके। पहली बार बी-तत्व की प्रचुरता वाले तथा गन्ने के रस से बनाये गये एथेनोल का मूल्य 47.40 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया है।
सरकार ने ईंधन में मिलाये जाने वाले एथेनोल पर जीएसटी 18 से घटाकर 5% कर दिया है। तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय एथेनोल की आपूर्ति बढ़ाने के सभी प्रयास कर रहा है और मंत्रालय ने इस दिशा में कई कदम उठाये हैं।