देहरादून: उत्तराखण्ड के ग्रामीण किसानों के लिए डाऊडूपॉट के कृषि प्रभाग, कोरटेवा एग्रीसांइस ने रूद्रपुर में पैक्सालॉन को लॉन्च करने की घोषणा की, जो धान की खेती को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का एक टिकाऊ समाधान है, जिसका उद्देश्य भारत में कृषि उद्योग के भविष्य को डूपॉट के माध्यम से संवारना है।
कोरटेवा एग्रीसांइस के के0वी0 सुब्बाराव ने कहा कि इस पैक्सालॉन की मदद से देहरादून, हल्द्वानी, रूद्रपुर व ऊधमसिंह नगर सहित समस्त उत्तराखण्ड के किसानों को धान की खेती करने में काफी मदद मिलेगी वे अपने खेतों को हॉपर के हमलों से बचा सकेंगे।
कोरटेवा एग्रीसांइस के के0वी0 सुब्बाराव ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत के किसानों को धान की फसलों पर आक्रामक हॉपर के हमलों के खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण धान की सारी फसल नष्ट जो जाती है, जिससे किसानों के आय की हानि होती है और किसानों तथा उनके परिवारों को गंभीर संकटों का सामना करना पड़ता है। अगर सही समय पर इसको रोका नहीं जाता है तो फसल की उपज में भारी नुकसान होता है जिससे सामान्य रूप से प्रभावित क्षेत्रों में 10 प्रतिशत तो गंभीर रूप से प्रभावित जगहों पर 70 प्रतिशत तक फसल की हानि हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पैक्सालॉन धान की फसल को जीवित रखने में मदद करता है।
के0वी0 सुब्बाराव ने कहा कि लगभग 60 प्रतिशत ग्रामीण भारतीय अपनी आजीविका के लिए सीधे कृषि पर निर्भर करते हैं। भारत में धान की खेती वैश्विक औसत से काफी कम है। उन्हांने बताया कि पैक्सालॉन विशेष रूप से एशिया में उपलब्ध धान के बाजार के लिए विकसित की गई व्यापक अनुसंधान का नतीजा है और भारत में किसानों के लिए टिकाऊ समाधान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छतीसगढ़, उड़ीसा और वेस्ट बंगाल में पैक्साटॉन को सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद, हमारा अगला पड़ाव उत्तराखण्ड है क्यांकि यह भारत के लिए धान का महत्वपूर्ण रूप से बढ़ता बाजार है। हमें विश्वास है कि धान के किसानों को इस उत्पाद से फायदा होगा।
पैक्सालॉन को भारतीय धान उत्पादों की जरूरतों को पूरा करने लिए तैयार किया गया है तथा यह हानिकारक कीटों विशेष रूप से ब्राउन प्लांट हॉपर और व्हाइटबेक्ड प्लांट हॉपर की बढ़ी चुनौती का समाधान करने में मदद करता है।
पैक्सालॉन एक अनूठे तरीके से काम करता है जो धान की खेती में बीपीएच और डब्ल्यूबीपीएच का उत्कृष्ट व दीर्घकालिक नियंत्रण प्रदान करता है। पैक्सालॉन हॉपर के सारे हानिकारक जीवन चरणों पर अत्यधिक प्रभावी है जो गैर लक्षित जीवों तथा पर्यावरण के अनुकूल जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इसलिए धान में मुश्किल से नियंत्रित होने वाले हॉपर के प्रबंधन में पैक्सालॉन एक मूल्यवान साधन है।