नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा संबंधी आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी है। संसद ने मानसून सत्र के दौरान पिछले सप्ताह ही कानून में संशोधन को अपनी मंजूरी दी थी। इसके बाद शनिवार को राष्ट्रपति ने इस पर अपने मुहर लगा दी।
देश भर में 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के अपराध के लिए मृत्यु दंड की सजा वाले ऐतिहासिक आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को छह अगस्त को संसद ने अपनी मंजूरी दी थी। इसमें महिलाओं के साथ बलात्कार करने वाले दोषियों के लिए न्यूनतम सजा सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रावधान है। इसके साथ ही 16 वर्ष से कम की उम्र वाली बालिकाओं के साथ बलात्कार के अपराध में न्यूनतम सजा 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष करने का प्रावधान है।
12 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के लिए न्यूनतम सजा 20 वर्ष कैद से लेकर मृत्युपर्यंत कारावास अथवा मृत्युदंड है। इस विधेयक को लोकसभा ने गत 30 जुलाई को सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। उसके बाद छह अगस्त को राज्यसभा ने भी इस पर सहमति जताते हुए इसे मंजूरी दे दी थी।
जम्मू कश्मीर के कठुआ बलात्कार कांड और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुए यौन उत्पीड़न कांड को लेकर देश भर में हुए व्यापक विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार ने कानून को सख्त बनाने के लिए गत 21 अप्रैल को अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश में बच्चियों के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड की सजा रखी गई थी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है और अब वह उस अध्यादेश का स्थान लेगा।
महिलाओं विशेषकर बच्चियों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों को रोकने के लिए पुराने कानून को सख्त बनाया गया है। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि नए कानून का पालन सख्ती से कराया जाए। नए कानून में जांच प्रक्रिया को अनिवार्यतः दो महीने के अंदर पूरा करने तथा त्वरित अदालतों में तीन महीने के अंदर फैसले का प्रावधान है।
अभियुक्त को जमानत न मिल सके, इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों को सख्त किया गया है तथा पीड़ित को जल्द से जल्द और सुगम न्याय मिल सके, इसके अनुकूल बनाया गया है। मामले की सुनवाई महिला न्यायाधीश की अदालत में होगी। पीड़ित का बयान महिला पुलिस अधिकारी ही दर्ज करेगी। रॉयल बुलेटिन