नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने नई दिल्ली में छठे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया गया है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि बौद्ध धर्म की भारत से एशिया तक की यात्रा और इससे निर्मित अंतर-महादेशीय संपर्क को मात्र आध्यात्मिकतावाद के अऩ्तर्गत सीमित नहीं किया जा सकता। इन यात्राओं से ज्ञान और शिक्षण का समृद्ध भंडार भी एक देश से दूसरे देश पहुंचा। ध्यान करने की तकनीक तथा यहां तक की मार्शल आर्ट भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा। यात्रा के लिए जिन मार्गों को संतों और अनुयायियों ने चुना, वे बाद में व्यापार के प्रारंभिक मार्ग के रूप में विकसित हुए। इस अर्थ में बौद्धवाद, वैश्वीकरण और हमारे महादेश में परस्पर संबंध निर्माण के प्रारंभिक प्रारूप का आधार बना। यह सिद्धांत और मूल्य हमेशा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पर्यटन एक बहु-हितधारक उद्यम है। निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी की महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। पर्यटकों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और निगम प्रशासन को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। पर्यटन में असीम संभावनाएं हैं। पूरे विश्व में पर्यटन उद्योग स्थानीय समुदायों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराता है। निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि बौद्धवाद के समान पर्यटन भी लोगों से संबंधित है और लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन्हें सशक्त बनाता है।