बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में शुक्रवार को गंगा नदी में नावपलटने से हुए हादसे में लापता लोगों की तलाश का काम शनिवार सुबह फिर शुरु कर दिया गया है। बचाव के लिए बरेली से एयरफोर्स का एक हेलीकॉप्टर भी जिला प्रशासन की सहायता के लिए पहुंचा।
जिलाधिकारी अटल कुमार राय ने बताया कि एनडीआरएफ, पीएससी के प्रशिक्षित गोताखोरों के अलावा स्थानीय गोताखोर लापता लोगों की तलाश में जुटे है। उन्होंने बताया कि चार महिलाओं के शव मुजफ्फरनगर जिले में मिलने की खबर मिली है। मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने शव मिलने की पुष्टि की है। बरामद शव मंडावर में गंगा में डूबने वाली महिलाओं के हैं, इसकी तहकीकात कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि मौसम में सुधार होने के कारण बरेली वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्यो में मदद के लिए आज यहां पहुंच गया, जिससे बचाव एवं राहत कार्य में तेजी आएगी। श्री राय ने बताया कि मंडावर में शुक्रवार को उफनती गंगा में नाव पलटने से 28 लोग तेज धार में बह गए थे। नाव में क्षमता से अधिक लोग सवार थे। नाव पर सवार सभी महिला एवं पुरुष राजारामपुर गांव के रहने वाले थे।
वे लोग पशुओं का चारा लेकर गांव लौट रहे थे। नाव पलटने के बाद ग्रामीणों ने 17 लोगों को बचा लिया है और 1० अभी भी लापता बताए गए हैं, जिनकी तलाश जारी है। उन्होंने बताया कि एक महिला का शव कल ही बरामद हो गया था। जिलाधिकारी ने बताया कि अब रेस्क्यू ऑपरेशन टीम द्वारा गंगा नदी की तेज धारा में बहे लोगों मे से सकुशल बचाए जाने वाले लोगों में सूबे सिंह, वेदपाल, मूलचंद, नेत्रपाल, ज्योति, रामवती, शारदा, झोरी, कमलेश, संतोष देवी, रामेंद्र, आकाश, सुशील, शीशपाल, सरोज, सोजवीर और जेहरी शामिल हैं।
इनमे ज्योति, सरोज व रामवती को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नाव में सवार मीना, रिया, कुसुम, भूरिया, परवेश, अमिता, सुनीता समेत दस किसान लापता हैं। उन्होंने बताया कि मंडावर क्षेत्र के गंगा खादर के गांव देबलगढ़ (राजारामपुर) के निवासियों की अधिकांश जमीन गंगा नदी के दूसरी ओर है। पहाड़ों पर हो रही बारिश से गंगा उफान पर है।
पानी के तेज बहाव के बीच ही शुक्रवार को दोपहर करीब 12:3० बजे ये लोग चारा लेकर एक ही नाव से लौट रहे थे, जिसमें नाविक समेत 28 महिला एवं पुरुष सवार थे। गांव चाहड़वाला के सामने तेज धारा में नाव अनियंत्रित होकर गंगा के बीच में पलट गई। नाव में सवार सभी लोग तेज धारा में बह गए थे। अधिकतर लोग किसी तरह तैरकर घटनास्थल से सात किलोमीटर दूर गांव रावली के पास गंगा की धारा से बाहर निकलने में कामयाब रहे।
जिला प्रशासन ने गंगा नदी के आसपास ऐसे तमाम गांव के लोगों को घर-घर संदेश भिजवाया है कि बरसात के मौसम में पानी के बहाव की हरदम अनिश्चितता बनी रहती है। लापरवाही बरतने से कभी भी हादसा हो सकता है। इस हादसे के बाद जिला प्रशासन की इस अपील का असर भी सामने देखने में आ रहा है, जिससे गंगा नदी के तटवर्ती गांव अब पूरी तरह सतर्कता बरत रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले साल 14 सितंबर को बागपत जिले के काठा गांव में यमुना नदी में नाव पलटने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। UUK live