चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा ने मंगलवार को ईश निंदा बिल पास कर दिया। पंजाब विधानसभा ने बिल में बदलाव करते हुए किसी भी धर्म ग्रंथ के साथ बदसलूकी मामले में सीआरपीसी और आईपीसी के तहत जर्माना और उम्रकैद की सजा का प्रावधन किया है। वहीं 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों के बाद पंजाब में हुई हिंसा की जांच के लिए बने जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में पेश की गई। रिपोर्ट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।
इसी साल केंद्र सरकार ने इस तरह के बिल पास करने की याचिका को ठुकरा दिया था। अब नया बिल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 एए को सम्मिलित कर ईश निंदा को अपराध की श्रेणी में ला दिया गया है। नए बिल के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्रीमद् भगवत गीता, होली कुरान और बाइबिल को नष्ट करने , नुकसान पहुंचाने या जलाने की कोशिश करता है और लोगों की धर्मिक भावनाएं आहत करने की कोशिश करता है तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधन किया गया है।
वहीं बहिबल कलां और कोटकपूरा के घटनाक्रम की जांच कर रहे जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में सोमवार को पेश की गई, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को पूरी जानकारी थी। यह बात पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी ने बेअदबी मामलों की जांच के लिए गठित जस्टिस रणजीत सिंह आयोग को दिए अपने बयान में कही है। source: oneindia