नई दिल्ली: केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण तथा जहाजरानी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली बहुउद्देशीय लखवाड़ परियोजना के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर के साथ नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
परियोजना पर आपसी सहमति बनाने के लिए सभी छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि इस परियोजना के पूरा हो जाने पर इन सभी राज्यों में पानी की कमी की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि इससे यमुना नदी में हर वर्ष दिसंबर से मई/जून के सूखे मौसम में पानी के बहाव में सुधार आएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राज्यों के बीच आम सहमति नहीं बनने के कारण कई वर्षों तक लटक जाने वाली इस तरह की कुछ और परियोजनाओं की अब शुरूआत हो सकेगी।
लखवाड़ परियोजना को आरंभ में 1976 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस परियोजना पर कार्य 1992 में रोक दिया गया। लखवाड़ परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के नजदीक यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनना है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जा सकेगी और यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के निर्माण का कार्य उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा।
इस बात को दोहराते हुए कि स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत यमुना नदी में प्रदूषण को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, श्री गडकरी ने कहा कि इस नदी पर 34 परियोजनाओं को हाथ में लिया जा रहा है, जिनमें से 12 दिल्ली में है, जो सुनिश्चित करेंगी कि हरियाणा और राजस्थान को जाने वाला पानी निर्मल हो। हालांकि लखवाड़ परियोजना सभी छह राज्यों को पर्याप्त पानी प्रदान करेगी, नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यमुना में प्रदूषण को दूर करने का दोहरा उद्देश्य पूरा हो सके।
श्री गडकरी ने कहा कि समस्या पानी की कमी नहीं, बल्कि जल प्रबंधन है और सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना न केवल पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी, बल्कि इससे सभी छह राज्यों में सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने में सुधार आएगा।
केन-बेतवा संपर्क पर, श्री गडकरी को उम्मीद थी कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक से समझौते तक पहुंचा जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने 42 वर्ष पुरानी इस परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना बिजली उत्पादन के अलावा सिंचाई की संभावनाएं पैदा करेगी। श्री आदित्यनाथ ने कहा, “मैं सभी मुख्यमंत्रियों को एक मंच में लाने के लिए गडकरी जी को धन्यवाद देता हूं और परियोजना की सफलता की कामना करता हूं”।
इस अवसर पर जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और मंत्रालय में सचिव श्री यू.पी. सिंह भी मौजूद थे।
लखवाड़ परियोजना की कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से उत्तराखंड सरकार बिजली का 1388.28करोड़ रुपये का खर्च उठाएगी। परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा उत्तराखंड को मिलेगा।
परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये (47.83%), उत्तर प्रदेश/ उत्तराखंड86.75 करोड़ रुपये (33.65%) राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये (9.34%) दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये (6.04%) तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये (3.15%) देने होंगे।
लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच12.05.1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यूवाईआरबी के जरिए किया जाएगा। केवल संग्रहित जल के बंटवारे को छोड़कर बांध के निर्माण के कारण पनबिजली उत्पादन सहित अन्य सभी आर्थिक फायदे उत्तराखंड को मिलेंगे।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली छह ऊपरी यमुना बेसिन राज्य हैं। ऊपरी यमुना से तात्पर्य यमुना नदी का उसके उद्भव से दिल्ली में ओखला बराज तक है। छह राज्यों ने यमुना नदी के ऊपरी बहाव के आवंटन के सम्बन्ध में 12 मई, 1994 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते में ऊपरी यमुना बेसिन में संग्रहण की सुविधा सृजित करने की आवश्यकता को पहचाना, ताकि नियंत्रित तरीके से नदी के मानसून के पानी के बहाव का संरक्षण और उसका इस्तेमाल किया जा सके। समझौता ज्ञापन में संग्रहण सुविधा के अंतर्गत नदी के वार्षिक इस्तेमाल योग्य पानी के बहाव के अंतरिम मौसमी आवंटन की भी व्यवस्था की गई थी।
लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किशाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। चौथी परियोजना व्यासी परियोजना है, जिसके अंतर्गत देहरादून जिले के व्यासी गांव के नजदीक यमुना नदी पर कंक्रीट के बांध का निर्माण होना है। व्यासी परियोजना दिसंबर 2018 तक शुरू होने की उम्मीद है।
किशाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाएगा, जिसकी संग्रहण क्षमता 1324 एमसीएम होगी। इससे 97000 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकेगी, 517 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराया जा सकेगा और 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। रेणुकाजी बहुउद्देशीय परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा। इससे दिल्ली को 23 क्यूबिक पानी की आपूर्ति होगी और बिजली की सबसे अधिक मांग के दौरान 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा।
1994 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, यमुना नदी के ऊपरी क्षेत्रों में पानी के संग्रहण की प्रत्येक परियोजना के लिए छह बेसिन राज्यों के बीच अलग-अलग समझौते होने थे। ऊपरी यमुना बेसिन (लखवाड़ सहित) में इन सभी संग्रहण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद 130856 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई का लाभ मिल सकेगा, विभिन्न इस्तेमाल के लिए 1093.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा और बिजली उत्पादन क्षमता 1060 मेगावाट होगी।