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एनएमसीजी ने गंगा नदी एवं इसके तटों की सफाई के लिये 150 करोड़ रुपये की परियोजनायें मंजूर कीं

देश-विदेश

नई दिल्ली: नयी दिल्ली में राष्ट्रीय गंगा सफाई अभियान की कार्यकारी समिति की पांचवी बैठक में समिति ने उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिये 150 करोड़ रु. की परियोजनायें नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत मंजूर कीं। इन परियोजनाओं में छोटी नदियों, नहरों और नालों के मुख्य नदी में गिरने से पहले रोकने एवं मोड़ने का काम भी शामिल है और इन्हें सीवेज परिशोधन इकाइयों की तरफ मोड़ा जायेगा ताकि मुख्य नदी में गिरने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और गंदगी से मुक्त हो। परियोजनाओं में सीवेज सफाई इकाइयां और घाटों का विकास भी शामिल है। परियोजनाओं का राज्यवार विवरण इस प्रकार है:

उत्तराखण्ड:

देहरादून में रिसपना और बिंदल नदियों पर जलधारा को रोकने और मोड़ने की परियोजना 60 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से मंजूर। इन नदियों का प्रदूषित जल अंतत: सोंग नदी के जरिये हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच गंगा नदी में मिलता है। कार्य पूरा होने पर इस परियोजना में 117 नालों और निकासों का अशुद्ध पानी रोका जायेगा। इसके साथ ही प्रदूषित जल की सफाई के लिये एक दस लाख टन प्रतिदिन क्षमता वाला सीवेज सफाई संयत्र लगाया जाना प्रस्तावित है और शेष 28 एमएलडी जल की सफाई मौजूदा एसटीपी के जरिये की जायेगी।

उत्तर प्रदेश

गंगा सफाई कोष के जरिये मिर्जापुर में 27.41 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से घाटों के विकास के काम को मंजूरी। इस परियोजना में नवीकरण, विस्तार और घाटों को चौड़ा बनाना शामिल है साथ ही सुविधाओं, भूमि के सौंदर्यीकरण और तटबंधों के निर्माण का काम भी शामिल है। इसके अलावा परियोजना में राम-गया शवदाहगृह की मरम्मत एवं दो नये शवदाहगृहों का निर्माण शामिल है।

बिहार

समिति बिहार के सोनपुर में 30.92 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से 3.5 एमएलडी क्षमता के सीवेज सफाई संयत्र, सहायक कार्य और साथ ही सीवर लाइनों को रोकने एवं मोड़ने के काम को मंजूरी दी है। परियोजना में 15 वर्षों के लिये संयत्र के संचालन एवं रख-रखाव का व्यय भी शामिल है। पूरा हो जाने पर यह संयत्र शहर के सभी 5 नालों के जल को साफ करेगा जिसमें आरएन टैगोर स्कूल ड्रेन, वार्ड 3-4 दीवार, कब्रिस्तान वार्ड 18, मीना बाजार के नाले शामिल हैं जिनका प्रदूषित जल माहे नदी में गिरता है जो कि गंडक नदी में मिलती है और अंतत: यह प्रदूषित जल गंगा में मिलता है।

समिति ने 22.92 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से सोनपुर में नदी तटबंध के विकास के काम को भी मंजूरी दी है। इसमें एक घूमने-फिरने की जगह का निर्माण, तटबंधों की मजबूती, सुविधाओं के विकास के साथ-साथ घाटों का सौंदर्यीकरण शामिल है। इसके अतिरिक्त नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 20 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से 8 घाटों का निर्माण कार्य जारी है।

पश्चिम बंगाल

कार्यकारी समिति ने पश्चिम बंगाल में कटवा, कलना, अगरद्वीप और दांईहाट घाटों के उन्नतीकरण और सुधार के काम को मंजूरी दी है। ये परियोजनायें गंगा सफाई कोष के तहत आती हैं। इन परियोजनाओं की सकल लागत 8.58 करोड़ रु. है जिसमें तटबंधों को मजबूत बनाना और घाटों पर मूलभूत सुविधाओं का विकास, सौंदर्यीकरण, बिजली और अन्य सहायक कार्य और विभिन्न घाटों पर मौजूदा सुविधाओं का पुनरोद्धार शामिल हैं।

गंगा नदी के किनारे स्थित स्थानों की सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा

कार्यकारी समिति ने इनटैक के जरिये गौमुख से गंगासागर तक गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों की सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा तैयार करने के काम को भी मंजूरी दी है। प्रस्ताव के तहत गंगा नदी की भूमिका, जो कि भारत की आत्मा में एक सांस्कृतिक धारा के रूप में अंतर्निहित है, से जुड़े सांस्कृतिक कथ्यों को दर्शाना है जिसमें पर्वों और वार्षिक पंचाग का विकास करने जैसे कार्य भी शामिल हैं। इसमें पुरातत्व, सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संबंधी विरासतें शामिल होंगी।

राष्ट्रीय गंगा सफाई अभियान पूरी तरह से गंगा नदी की सफाई और इसको साफ बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध है। अभियान इस कार्य को पूरा करने और नमामि गंगे कार्यक्रम के तयशुदा कार्यक्रम को नियत समय से पूरा करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है।

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