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राजस्थान में लोहारू-सीकर रेल लाइन गेज परिवर्तन योजना पूरी, सुरेश प्रभू ने झंडी दिखाकर इस सेवा का शुभारंभ किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: लगभग 260 करोड़ रुपये के लागत वाली 122 किलोमीटर लोहारू-सीकर रेल लाइन के गेज परिवर्तन का कार्य पूरा कर लिया गया है। भारतीय रेलवे की नई सेवाएं, दिल्ली से सीकर तक लोगों की कनेक्टिवीटी की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने की दिशा में एक और कदम है।

लोहारू-सीकर रेल लाइन के गेज परिवर्तन का कार्य पूरा होने के बाद 14811/14812 दिल्ली सराय रोहिल्ला –सीकर एक्सप्रेस (सप्ताह में दो बार) के साथ ही अतिरिक्त 59727/59728, 59729/59730 रिवाड़ी-सीकर पैसेंजर रेलगाड़ी भी चलाई गई है। नई दिल्ली स्थित रेल भवन और सीकर के बीच वीडियों कांफ्रेंस आयोजित करके रिमोट कंट्रोल के जरिये, रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभू ने दोनों रेल सेवाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर रेल मंत्री के साथ नई दिल्ली में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए के मित्तल और रेलवे अभियंता बोर्ड के सदस्य श्री वी के गुप्ता और दूसरे बोर्ड सदस्य उपस्थित थे जबकि राजस्थान सरकार के सहकारिता विभाग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अजय सिंह किलक, झुंझनु से सांसद श्रीमती संतोष अहलावत, सीकर से सांसद श्री सुमेधानंद सरस्वती और अन्य लोग सीकर में उपस्थित थे।

इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभू ने कहा कि 122 किलोमीटर लम्बी इस रेलवे लाइन के गेज परिवर्तन की मंजूरी वर्ष 2008-2009 में दी गई थी। इस योजना को लगभग 260 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। फंड की कमी के कारण इस योजना की रफ्तार बहुत धीमी थी लेकिन वर्ष 2014- 2015 में बजट बढ़ाए जाने से इसमें नई जान पड़ी और परिणामस्वरूप जून 2015 माल गाड़ियां चलाई गईं। उन्होंने कहा कि सीकर से दिल्ली सराय रोहिल्ला तक सीधी रेल सेवा की शुरूआत होने से सीकर और राजस्थान के शेखावटी के झुंझनु जिले राष्ट्रीय राजधानी के और करीब आ गए हैं। रिवाड़ी और सीकर के बीच शुरू हुई नई रेल सेवा हरियाणा के रिवाड़ी और भिवानी जिले और राजस्थान के सीकर और झुंझनु जिले के लोगों को भी जोड़ेगी।

रेल मंत्री ने कहा कि जयपुर-रिंगस-चुरू योजना के बचे हुए बाकी कार्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2015-16 के लिए पर्याप्त फंड मुहैया करा दिया गया और मार्च 2017 तक इस योजना को पूरा कर लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में रेल ढांचा कार्य पूरा करना भारतीय रेलवे की प्राथमिकता है क्योंकि ये राज्य महत्वपूर्ण रूप से गुजरात के बंदरगाहों और उत्तरी भारत के बीच स्थित है। इसके लिए राजस्थान में रेल तंत्र विस्तार के लिये वर्ष 2014-15 के लगभग 700 करोड़ रुपये के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में लगभग 2450 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। राजस्थान में मौजूद संभावनाओं को धरातल पर लाने की दृष्टि से राजस्थान में रेल कनेक्टिवीटी का विकास आवश्यक है।

रेल मंत्री ने कहा कि पश्चिमी डीएफसी तेजी से विकसित हो रहा है। ये गलियारा औद्योगिक रूप से पिछडे राजस्थान के परिदृश्य को बदलेगा। 2019 में पश्चिमी डीएफसी परियोजना का कार्य पूरा कर लिया जाएगा और यह राज्य में विकास के नए रास्ते खोलेगा।

श्री सुरेश प्रभू ने कहा कि रेल मंत्रालय सभी राज्यों में रेल कनेक्टिवीटी के सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। रेल मंत्री ने बताया कि भारतीय रेलवे ने रेल ढांचे के समुचित और लक्षित विकास के लिए 17 राज्यों में विशेष प्रयोजन प्रक्रिया पहले से ही शुरू कर रखी है। श्री सुरेश प्रभू ने कहा कि रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिल कर काम करना चाहिए।

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