नई दिल्ली: भारत के उप राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने योजनाकारों, सांसदों और मीडिया का आह्वाहन किया है कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों का पक्षधर होना चाहिये और गांव और शहर के बीच की दूरी पाटने और राष्ट्र के एकीकृत विकास के लिये बजट के आवंटन में गांवों को विशेष महत्व देने की मानसिकता रखनी चाहिये। उन्होंने कहा कि बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये प्राथमिकता देनी चाहिये।
वे आज हैदराबाद में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा आयोजित ग्रामीण नवाचार स्टॉर्ट-अप संगम को संबोधित कर रहे थे। तेलंगाना के राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिम्हन, राज्य के उप मुख्यमंत्री श्री मोहम्मद महमूद अली और केंद्र में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री राम कृपाल यादव और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
उप राष्ट्रपति ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया कि देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गावों की ओर वापस जाने की अपील का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यद्यपि सरकारों ने ग्रामीण विकास पर जोर दिया लेकिन पर्याप्त ध्यान नहीं दिये जाने की वजह से दो-दो भारत की स्थिति बन गयी।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि पांच कारणों की वजह से गावों से शहरों की ओर व्यापक पलायन हुआ। ये हैं शिक्षा, रोजगार, मनोरंजन, बेहतर चिकित्सा सुविधायें और आर्थिक अवसर। और हमें शीघ्र ही गावों में शहरों के समान सभी सुविधायें मुहैया कराकर गांव और शहर के बीच की खाई को पाटना होगा।
पांच चीजों – सिंचाई, बुनियादी ढांचा, सस्ता कर्ज, बीमा और नयी खोजों पर जोर देते हुये ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प की अपील करते हुये उप राष्ट्रपति ने कहा यदि आपके पास बिजली, सड़क, अस्पताल, चिकित्सा संस्थान और संपर्क के साधन हैं तो ये एकीकरण ला देंगे।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक और नयी खोजें ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव ला सकती हैं और ये हमारी ग्रामीण क्षमता और ऐसी नयी तकनीकों और उत्पादों के प्रदर्शन का सबसे बेहतर समय हैं जो कि ग्रामीण जीवन का कायाकल्प कर सकते हैं।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयं-सहायता समूहों को विकास में शामिल होना चाहिये क्योंकि इससे ना केवल आय में अंतर कम होता है बल्कि ये महिला सशक्तीकरण को प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि अब गांवों के बजाय प्रत्येक घर को बिजली पहुंचाने पर जोर होना चाहिये।
ग्रामीण आविष्कारकों को प्रोत्साहित करने के लिये बुनियादी ढांचे, धन, संपर्क साधनों और प्रमाणन प्रणाली में आने वाले अवरोधों को दूर करने पर जोर देते हुये उप राष्ट्रपति ने ग्रामीण युवकों और विभिन्न संस्थानों के बीच सेतु का काम करने और आविष्कारकों को उनकी खोजों को तकनीकी स्टार्ट अप में बदलने में मदद करने के लिये एनआईआरडीपीआर की सराहना की।
उन्होंने कहा कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय कौशल विकास अभियान और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना ग्रामीण आविष्कारकों की मदद कर रही हैं और इनकी मदद के लिये सही माहौल तैयार करने की व्यापक संभावना है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के लिये रोजगार सृजन अहम है और सरकार और बड़े संस्थान अकेले रोजगार पैदा नहीं कर सकते। उन्होंने सूक्ष्म और लघु उद्योगों से स्टार्ट अप प्रणाली को अपनाने और अपनी कुशलता और पहुंच को बढ़ाने के लिये तकनीक का उपयोग करने को कहा ताकि वे रोजगार सृजन में अग्रणी भूमिका निभा सकें।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार और अनेक संस्थाओं के प्रयास के बावजूद नयी खोजों पर आधारित आर्थिक विकास मुख्यत: सॉफ्टवेयर और आईटी क्षेत्र तक ही सीमित है और हाल के दिनों में स्टार्ट अप के बारे में काफी चर्चा हो रही है और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिये इसे समर्थन भी दिया जा रहा है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि देश में शोध एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये सरकार राष्ट्रीय संस्थानों में नवाचार और उद्यमशीलता के केंद्र और विभिन्न आईआईटी में शोध उद्यानों की स्थापना कर रही है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्तरीय आविष्कार केंद्रों का निर्माण समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की पहल के अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प के लिये नयी ग्रामीण तकनीकों के विकास के लिये निजी क्षेत्र को बड़े पैमाने पर आगे आना चाहिये।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को अपने युवाओं की क्षमताओं को देखते हुये तकनीकी महाशक्ति बनने का प्रयास करना चाहिये और उन्होंने भविष्य के भारत का निर्माण करने के लिये आविष्कार करने वाली प्रयोगशालाओं की स्थापना पर जोर दिया।
बाद में उप राष्ट्रपति ने ग्रामीण आविष्कारकों द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और स्टालों का दौरा कर युवा उद्यमियों और आविष्कारकों से बातचीत की। इस दो दिनों के संगम में करीब 150 स्टार्ट अप आविष्कारकों के साथ-साथ विशेषज्ञ, पेशेवर एवं अन्य लोग भी भाग ले रहे हैं।