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श्री जावड़़ेकर ने छवि, नवाचार, पहल और संवाद पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा

देश-विदेश

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज इस बात पर जोर दिया कि वन्यजीवन अधिकारियों को चार बातों, छवि, नवाचार, पहल और संवाद पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। सभी मुख्य वन संरक्षकों और वन्यजीवन प्रबंधकों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए

श्री जावड़ेकर ने कहा कि वनों की गुणवत्ता को बरकरार रखना और उसमें सुधार करना बड़़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमें निम्नीकृत घनत्व वाले वनों को अगले दस सालों में औसत दर्जे के घने वनों में तब्दील करने और औसत दर्जे के घने वनों को अगले पांच सालों में घने वनों में तब्दीली को सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए जल संचयन और कुछ जन्तु प्रजातियों में बदलाव आवश्यक है। वन अनुसंधान संस्थानों को वर्तमान जलवायु और वनस्पति को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक जंगल की गुणवत्ता में सुधार के लिए उत्कृष्ट योजना बनानी होगी। उन्होंने वनों की गुणवत्ता में बदलाव के लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में बहुत ही अच्छा काम किया गया है और इस प्रकार कि सफलताओं और पहलों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जाना चाहिए।

दो दिवसीय सम्मेलन में वन और वन्यजीवन से संबंधित, वन संरक्षक कानून, पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजी), वन्यजीवन और लोगों के बीच संघर्ष कम करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

श्री जावड़ेकर ने भारत में 2006 से 2014 तक राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीवन आभियारण की प्रभावी प्रबंधन मूल्याकांन रिपोर्ट जारी की। इस अवसर पर भारतीय वन्यजीवन संस्थान में विश्व का पहला विश्व प्राकृतिक धरोहर और प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में यूनेस्को और भारत सरकार के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी थी और भारत सरकार के तरफ से महानिदेशक (वन) और भारत सरकार के विशेष सचिव को इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए अधिकृत किया था। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन-यूनेस्को ने यूनेस्को सम्मेलन के सदस्य देशों के विकेन्द्रीकरण और उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत की है। इस प्रक्रिया के तहत यूनेस्को ने विश्व में सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए द्वितीय श्रेणी केन्द्र की स्थापना के लिए नौ देशों की पहचान की है। प्राकृतिक विरासत के क्षेत्र में यूनेस्को ने पहला विश्व प्राकृतिक धरोहर और प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने के लिए भारत को चुना है। इस अवसर पर भाषण देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव श्री अशोक लवासा ने कहा कि निर्धारित समय-सीमा पर दृढ़ रहने की अति आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल से मंत्रालय की गतिविधियों में पारदर्शिता बढ़ी है।

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