लखनऊ: प्रदेश के प्रसंस्कृत तिल निर्यात योजना को शासन द्वारा मंजूरी दे दी गई है। यह जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव श्री अमित मोहन प्रसाद ने अवगत कराया कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और प्रदेश से प्रसंस्कृत तिल निर्यात को प्रोत्साहन करने के लिए लागू इस नीति को ‘‘उ0प्र0 प्रसंस्कृत तिल निर्यात योजना (2018-23)‘‘ कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि नीति आदेश जारी होने की तिथि से आगामी 05 वर्षों तक लागू रहेगी।
प्रमुख सचिव श्री अमित मोहन प्रसाद ने जानकारी दी है कि तिल निर्यात योजना स्वीकृत होने से निर्माता-निर्यातकों को कई सुविधाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने अवगत कराया कि प्रदेश के निर्माता-निर्यातक यदि प्रसंस्कृत तिल के उत्पादन में प्रयोग होने वाले तिल को सीधे किसान या किसान उत्पादन संघ से खरीदेंगे तो उन्हें मण्डी शुल्क में 02 प्रतिशत तथा विकास सेस में 0.5 प्रतिशत की छूट मिलगी। जबकि आढ़तियों के माध्यम से तिल क्रय करने पर उन्हें केवल मण्डी शुल्क में 02 प्रतिशत छूट ही प्राप्त होगी। प्रसंस्कृत तिल निर्मित करने और निर्यात करने में नीति के तहत सुविधाएं मिलने के बारे में श्री प्रसाद ने अवगत कराया कि प्रदेश के ऐसे निर्यातक जो प्रदेश की सीमा में प्रसंस्कृत तिल निर्मित करके उसका निर्यात करते हैं, उन्हें इस नीति की सुविधाएं अनुमन्य होगी तथा साथ ही ऐसे निर्यातकों को भी इस नीति की सुविधाएं अनुमन्य होंगी जो प्रदेश में स्थापित किसी तिल मिलर से प्रसंस्कृत तिल बनाने का अनुबंध करके प्रसंस्कृत तिल का निर्यात करते हैं।
जारी नई नीति के नियमों की जानकारी देते हुए श्री प्रसाद ने अवगत कराया कि नीति में प्रसंस्कृत तिल का मतलब ‘धुली तिल‘ से है। इसलिए जो मिलर/निर्यातक ऐसी तिल का निर्यात करेंगे जो प्रसंस्कृत नहीं है और राॅ/नेचुरल (प्राकृतिक) है, उन्हें नीति में उपलब्ध सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
नीति के तहत मिलर/निर्यातक को क्रय किए गए कच्चे तिल का कुल 75 प्रतिशत निर्यात करना अनिवार्य होगा अन्यथा उन्हंे मण्डी शुल्क, विकास सेस की छूट जीएसटी के राज्य अंश प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलगा। मण्डी शुल्क और विकास सेस से छूट केवल विदेशी मुद्रा में निर्यात पर ही प्राप्त होगी। नीति में निर्यातकों द्वारा भारत सरकार की संस्था एपीडा (कृषि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण) में कराए गए पंजीकरण को ही मान्यता दे दी गई है। निर्यातकों को प्रदेश में अलग से कोई पंजीकरण नहीं कराना पड़ेगा। निर्यात रेल, सड़क मार्ग, बंदरगाह/वायु मार्ग एवं थल मार्गों से किया जा सकेगा। निर्यात करने पर जीएसटी अधिनियम के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का रिफण्ड निर्यातक को मिलेगा।
निर्यातकों की कठिनाइयों को दूर करने और नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए प्रमुख सचिव/सचिव कृषि, विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग की अध्यक्षता में एक 06 सदस्यीय समिति भी बनाई गई है जो समय-समय पर त्रैमासिक आधार पर बैठक करके समस्याओं का निवारण करेगी।