देहरादून: अगले वित्तीय वर्ष में कृषि, हाॅर्टीकल्चर, पशुपालन, मत्स्य व अन्य संबंधित गतिविधियों में बजट की राशि को दोगुना किया जाएगा। सेब उत्पादक अपने फार्मर्स इंटरेस्ट गु्रप बनाएं तो राज्य सरकार वित्तीय व तकनीकी सहायता देने के लिए तत्पर है। वीर शिरोमणि माधो सिंह भण्डारी किसान भवन में आयोजित सेब महोत्सव का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि किसानो व बागवानों के उत्पादों की उचित कीमत मिल सके, इसके लिए सरकार प्रयासरत है।
ऐसे उत्पाद जो वर्तमान में न्यूनतम समर्थन कीमत प्रणाली से बाहर हैं, को मूल्य समर्थन की नीति बनाई जाएगी और बोनस सिस्टम में भी लाया जाएगा। एक सप्ताह में दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास में उत्तराखण्ड के सेब के प्रमोशन व बिक्री के लिए सेब प्रदर्शनी व विपणन का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें अपने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए सपोर्ट सिस्टम विकसित करना होगा। इसमें किसानों, बागवानों व उत्पादकों को भी भागीदारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी चैबटिया व रामगढ़ का सेब खरीद कर मंगवाती थीं और विभिन्न देशों के नेताओं को उपहारस्वरूप भिजवाती थीं। हमें अपने सेब के इस स्वर्णिम युग को लौटाना होगा। हमारे बहुत से कृषि व फलोत्पाद ऐसे हैं जो कि एमएसपी सिस्टम के दायरे से बाहर हैं। ऐसे उत्पादों के लिए हम नीति बनाएंगे और साथ ही इन्हें बोनस सिस्टम में भी लाया जाएगा। इससे उत्पादकों में दुबारा रूचि जाग्रत होगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि लोगों को भी आगे आकर सरकार के साथ सहभागिता विकसित करनी होगी। वे अपने फार्मर्स इंटरेस्ट ग्रुप बनाएं। राज्य सरकार सपोर्टिव रोल में रहेगी और हर आवश्यक सहायता उपलब्घ करवाएगी। हमें अपने राज्य में उच्च गुणवत्ता की पौध तैयार करने के लिए नर्सरियों को विकसित करने पर भी ध्यान देना होगा। सेब व वालनट का सघन रोपण के लिए राज्य में कम से कम 25 क्षेत्र विकसित किए जाएं। राज्य सरकार ने आबकारी नीति में बदलाव कर वाईन में स्थानीय फलोें के उपयोग को सुनिश्चित किया है। फल, रेशे व पक्षी आधारित उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। एक वर्ष में 20 प्रतिशत पिरूल के उपयोग की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
कृषि व उद्यान मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने कहा कि पिछले एक वर्ष में मुख्यमंत्री श्री रावत के निर्देशों पर एक पहल प्रारम्भ की गई है। मशरूम दिवस, मौनपालन संगोष्ठी, आम महोत्सव के बाद अब सेब महोत्सव का आयोजन किया गया है। हमारा प्रयास है कि हमारे उत्पादकों की मेहनत बेकार न जाए। विभिन्न महोत्सवों के आयोजन से किसानों, बागवानों, विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया जाता है जहां वे अपने अनुभव व ज्ञान को साझा करते हैं। उत्तराखण्ड हाॅर्टीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का गठन करते हुए इसके लिए 10 करोड़ रूपए का प्राविधान किया जा चुका है। इस वर्ष 16 लाख आम, अमरूद व अन्य फलों के पौधे वितरित किए गए हैं। अब इनकी माॅनिटरिंग करने के लिए भी जिम्मेवारी तय की जा रही है। हम एक ऐसा सिस्टम विकसित करने जा रहे हैं जिसमें किसानों को मोबाईल पर विभिन्न कृषि व फलोत्पादों की कीमत, उत्पादन सहित पूरा विवरण उपलब्ध हो सकेगा।
मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि किसान व बागवान अपने फेडरेशन बनाएं। इनके लिए तकनीकी व वित्तीय सहायता की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी। हर्षिल, मोरी व त्यूनी में 30 सितम्बर तक फार्मर्स इंटरेस्ट गु्रप बना दिए जाएंगे।
सचिव उद्यान डा. रणवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में उत्तराखण्ड में 31,517 हैक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती की जा रही है जिससे लगभग 1 लाख 22 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है। राज्य की उत्पादकता केवल 3.88 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर है जबकि जम्मू कश्मीर की 10.20 व हिमाचल प्रदेश की 6.9 मीट्रिक टन प्रति हैक्टेयर है। किसान भवन में आयोजित सेब महोत्सव में चार श्रेणियों में प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। रेड डेलिसीयस, राॅयल डेलिसीयस, गोल्डन डेलिसीयस, रिच-ए-रेड, आर्गन स्पर, गोल्डन स्पर, रेड चीफ, रेड फ्यूजी, गेल-गोला, अन्ना, प्रसंस्करण योग्य प्रजातियां(राइमर/बकिंघम) व अन्य प्रजातियों के लिए दो श्रेणियों- विश्वविद्यालय व राजकीय संस्थानों की श्रेणी, व्यक्तिगत श्रेणी में जबकि सेब के प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए दो श्रेणियों विश्वविद्यालय व राजकीय संस्थानों के मध्य व निजी क्षेत्र की इकाईयों के मध्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने विजेताओं को पुरस्कृत भी किया।
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