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आंगनवाडी केन्द्र आजाद नगर में बच्चों से मिलते हुए प्रमुख सचिव महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राधा रतूड़ी

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहल पर प्रदेश में ‘‘खिलती कलियां-मुख्यमंत्री बाल पोषण अभियान’’ शुरू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य के चिन्हित अति कुपोषित बच्चों के पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर में सुधार लाने हेतु निरन्तर अनुश्रवण करना है। इस योजना के तहत मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा भी बच्चों को गोद लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रमुख सचिव महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राधा रतूड़ी को निर्देश दिये गये है।

मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा दिये गये निर्र्देश के क्रम में प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी द्वारा आज आंगनवाडी केन्द्र आजादनगर का निरीक्षण किया गया है। निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्र में संचालित गतिविधियों की जानकारी ली गई। प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया कि केन्द्र में 3 वर्ष से 6 वर्ष के 15 बच्चे पंजीकृत हैं (9 बालिकायें एवं 6 बालक), जिनमें से 12 बच्चे उपस्थित थे। सामान्य रूप से बच्चों का पोषण स्तर एवं मानसिक स्तर संतोषजनक है, इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आंगनवाडी कार्यकर्ती द्वारा कुक्ड फूड और स्कूल पूर्व शिक्षा की गतिविधियांे को पर्याप्त रूचि लेकर संचालित किया जा रहा है। उक्त केन्द्र में 6 माह से 3 वर्ष के 38 बालक और 33 बालिकायें पंजीकृत हैं, जिन्हें प्रत्येक माह की 5 तारीख को ‘‘वजन पोषण दिवस’’ में टेक होम राशन दिया जाता है। 0 से 3 माह के 12 बच्चे (6 बालक और 6 बालिकायें) पंजीकृत हैं तथा 12 धात्री मातायें है, तथा 19 गर्भवती माताओं को टेक होम राशन दिया जाता है।
इस केन्द्र में आहिल और सुमाईला भी है, जिनका दायित्व मुख्यमंत्री द्वारा खिलती कलियां अभियान के तहत लिया गया है। आहिल (पुत्र श्रीमती अर्षी एवं श्री सोनू) (उम्र 11 माह वजन 5.6 किग्रा) उपस्थित था। प्रमुख सचिव द्वारा आहिल के माता-पिता से भेंट कर केन्द्र से मिल रही सुविधाओं की जानकारी ली। प्रमुख सचिव द्वारा आहिल के निवास का भी निरीक्षण किया गया। आहिल की माता श्रीमती अर्शी ने बताया कि उनके पति सोनू बेरोजगार हैं, इसलिये वह अपने मायके में रहती है, उनकी माता का देहान्त हो गया है और उनके पिता आॅटो चलाते हेैं। उनके परिवार मंे वृद्ध विकलांग दादी, अर्शी के 4 छोटे-छोटे बच्चे हेैं, एक छोटी बहन और 2 छोटे भाई हैं। अर्शी ने अनुरोध किया कि उनके किराये के घर मंे पानी का कोई नल नहीं है, जिस पर तत्काल मुख्य महाप्रबन्धक, जल संस्थान को निर्देशित किया गया कि तत्काल उनके घर में पानी का कनैक्शन लगा दिया जाये। निरीक्षण के दौरान जल संस्थान के अधिशासी अभियन्ता (उत्तर) ने भी शीघ्र नल लगाने का आश्वासन दिया। श्रीमती अर्शी द्वारा अनुरोध किया गया कि उनके पति श्री सोनू बेरोजगार हैं, अतः अपना काम प्रारम्भ कराने के लिये कुछ सहायता की जाय। इस पर प्रमुख सचिव द्वारा निर्देश दिये गये कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की योजना ‘‘हुनर से रोजगार’’ के अन्तर्गत सोनू को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाय। बच्चांे को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिये मुख्यमंत्री की ओर से एक पानी का फिल्टर दिया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी को यह भी निर्देशित किया गया कि आहिल तथा उसकी माता को आंगनबाडी केन्द्र में बुलाकर सप्ताह में 2 दिन अण्डे दिये जाय तथा नियमित रूप से कुक्ड फूड एवं आयरन युक्त आहार दिया जाय।
इसके बाद प्रमुख सचिव द्वारा सुमाईला के निवास का निरीक्षण किया गया। सुमाईला (पुत्री श्रीमती सुश्रिमा तथा श्री नदीम) की उम्र-2 वर्ष 3 माह है तथा अभियान के प्रारम्भ में उसका वजन 6.9 किग्रा था जो अब बढकर 7.3 किग्रा हो गया है। सुमाईला के पिता की शीशे की दुकान है, उसकी मां भी अपने मायके में रहती है तथा उनके पिता की कबाड की दुकान है। सुमाईला की मां ने एक पानी का फिल्टर दिलाने का अनुरोध किया है। जिस पर प्रमुख सचिव द्वारा मौके पर ही संबंधित अधिकारी को निर्देश दिये गये। प्रुख सचिव द्वारा क्षेत्र के अन्य कुपोषित बच्चों से भी भेंट की गई। जिनमें कु0 सादिया (उम्र 7 माह) पु़़त्री श्रीमती गुलाब की हडिडयों की समस्या है तथा फेफडों का संक्रमण है। उसके विषय पर जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया कि अगले स्वास्थ्य शिविर में संपूर्ण मेडिकल परीक्षण कराकर यदि सर्जरी की आवश्यकता हो, तो सरकारी खर्चें पर उसकी सर्जरी करायी जाये। कु0 तमूरा (उम्र 5 वर्ष) पुत्री श्रीमती मुशर्रत को त्वचा संबधी परेशानी है। उसके सम्बन्ध में भी स्वास्थ्य परीक्षण कर निराकरण करने का निर्देश दिया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा क्षेत्र की सभी माताओं को अवगत कराया गया कि 13 सितम्बर 2015 को दून अस्पताल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत कैम्प का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सभी बच्चों का पूर्ण सवास्थ्य परीक्षण कराया जाय।

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