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अवैध शराब के खिलाफ अभियान में कुछ जिलों में ही सक्रियता

समाचार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके पड़ोसी जिले उन्नाव में जहरीली शराब से 39 मौतों के बाद सरकार की ओर से निलंबन कार्रवाई भले की गई हो लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने की मंशा पर संशय बरकरार है। अवैध शराब के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान के निर्देश पर पहले दिन कई जिलों में पहल तक न हो सकी। कहीं रस्मी कार्रवाई तो कहीं खाका खींचने और जिम्मेदारी तय करने की औपचारिकता हुई। बाकी जिलों में तो कुछ हुआ ही नहीं।

राजधानी में ही अभियान रणनीति बनाने तक सिमटा रहा। जिला प्रशासन का कहना है कि मलिहाबाद समेत 24 स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां अवैध शराब का धंधा चल रहा है। यहां टीम बनाकर कार्रवाई की जाएगी। लेखपाल से लेकर एसडीएम तक की सहायता ली जाएगी।

नींद टूटी तो दिखी अवैध शराब

वाराणसी में रात कई स्थानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान 701 लीटर शराब बरामद कर 80 क्विंटल लहन नष्ट किया। प्रतापगढ़ में 50 लीटर अवैध शराब और उपकरण ही हाथ लगे और आधा दर्जन गिरफ्तारी हुई। कौशांबी में डेढ़ सौ लीटर शराब दिखाकर कार्रवाई पूरी हुई। इलाहाबाद में आबकारी टीम ने एक हजार कच्ची शराब बरामद कर दो दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है। 50 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। हाथरस में भी सैकड़ों लीटर शराब बरामद की गई। गाजीपुर में ईंट के पांच भट्ठों पर साठ लीटर कच्ची शराब भी बरामद की गई। आठ महिलाओं को गिरफ्तार किया गया। जौनपुर में भी कई स्थानों पर छापेमारी अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई। चार कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बलिया में दिन भर चले अभियान में पांच सौ लीटर शराब के साथ 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया। आजमगढ़ में अभियान के दौरान केवल एक गिरफ्तारी हुई जिसे बाद में मुकदमा दर्ज कर रिहा कर दिया गया। बहराइच में कार्रवाई लहन नष्ट करने व शराब फेंकने तक सीमित रही। एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई। सीतापुर में 50 लोगों को अवैध शराब के कारोबार में लिप्त पाया। बाराबंकी में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

साठ हजार स्थानों पर गोरखधंधा

ऐसा भी नहीं कि प्रदेश भर में जल रहीं अवैध शराब की भ_ियों की जानकारी प्रशासन और आबकारी को नहीं है। आबकारी मुख्यालय के आंकड़े ही बयान करते हैं कि प्रदेश भर में साठ हजार से से भी ज्यादा स्थानों पर अवैध शराब की भ_ियां हैं। मुख्यालय सूत्रों के अनुसार यह तो केवल कागजों पर दर्ज भ_ियां हैं, 15 से बीस हजार और भी ठिकाने हैं जिनकी भनक मिलीभगत के चलते विभाग को नहीं है।

70 हजार गिरफ्तार, पांच हजार जेल में

लचर आबकारी कानून के चलते अभियुक्त इस गोरखधंधे से बाज नहीं आते हैं। बीते साल पूरे प्रदेश में दो लाख से अधिक छापामारी करते हुए करीब 70 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया जबकि पांच हजार से अधिक लोगों को जेल भेजा गया।

नहीं लिया सबक

बीते साल भदोही में छह, आजमगढ़ में 45 लोगों की मौत हुई तो 2010 में इलाहाबाद में 17 और मीरजापुर में 35 लोग मारे गए। इससे पहले देवरिया में 32, बनारस में 45, अमेठी में छह और लखनऊ में भी पहले हादसा हो चुका है।

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