नई दिल्ली: मार्शल टिटो-पंडित नेहरु के युग की गर्मजोशी एवं सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करने को चिन्हित करते हुए उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडु को कल रात बेलग्रेड में एक दुर्लभ सम्मान के प्रतीक में सर्बिया गणराज्य के संसद के विशेष सत्र को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया। यह सर्बिया की नेशनल असेंबली का वही विशाल सभागार था जहां पूर्व प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु ने युगोस्लाविया के विख्यात नेता मार्शल टिटो के साथ गुट निरपेक्ष आंदोलन आरंभ करते हुए विश्व के नेताओं को संबोधित किया था।
मेजबान देश के विधि निर्माताओं को संबोधित अपने एक घंटे के भाषण के दौरान श्री नायडु ने उस घनिष्ठ संबंध और साझा विजन को याद किया जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने निर्गुट आंदोलन (एनएएम) को आरंभ करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि ‘ दोनों देशों के संबंधों की जड़ें इतिहास में काफी गहरी हैं। ‘
कल अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर को उद्धृत करते हुए श्री नायडु ने भारत में संसदीय लोकतंत्र के सतत विकास एवं संघटन की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रतिभागी विकास के लिए लोकतंत्र के महत्व को रंखांकित करते हुए, उन्होंने 1961 में इसी स्थान पर पंडित नेहरु द्वारा दिए गए भाषण का समरण किया और कहा कि नेहरु ने हमारे देशों में ऐसे समाज का निर्माण करने की अपील की थी जहां स्वतंत्रता वास्तविक है।
सर्बिया संसद के सभापति ने श्री नायडु का स्वागत किया एवं उन्हें पीठिका ले गए एवं सदन के सदस्यों से उनका परिचय कराया। उपराष्ट्रपति के लिए कई बार तालियां बजाई गई और विशेष रूप से जब उन्होंने कहा कि जब वह (उपराष्ट्रपति) स्कूल में पढ़ते थे, उस वक्त मार्शल टिटो का नाम भारत में काफी लोकप्रिय था। सर्बिया के कानून निर्माताओं ने उपराष्ट्रपति के संबोधन की समाप्ति पर उनका खड़े होकर सम्मान किया।
श्री नायडु ने राष्ट्रपति श्री अलेक्जेंडर वुकिक, प्रधानमंत्री सुश्री अना ब्रनाबिक एवं सर्बिया की नेशनल असेंबली की सभापति सुश्री माजा गोजकोविक के साथ कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मुद्वों पर विस्तार से चर्चा की तथा एक बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया।
श्री नायडु के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए सर्बिया के राष्ट्रपति श्री अलेक्जेंडर वुकिक ने शानदार आर्थिक प्रगति के लिए भारत के राजनीतिक नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने सर्बिया की क्षेत्रीय अखंडता को मान्यता देने के लिए भारत को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सर्बिया भारत के साथ कृषि, फार्मेसी, आईटी एवं जेनरिक दवाओं के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग का इच्छुक है। उन्होंने रक्षा सहयोग के प्रति भी दिलचस्पी प्रदर्शित की।
उपराष्ट्रपति ने नोट किया कि हाल के इतिहास में दोनों देशों का समय काफी कठिन था लेकिन वे इन संकटों से और अधिक मजबूत बन कर उभरे हैं क्योंकि उनमें सुधार करने का साहस है। उन्होंने कहा कि, ‘ भारत और सर्बिया में 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों ने प्रभावी रूप से कुछ बड़ी चुनौतियों को अवसरों के रूप में परिवर्तित कर दिया। ‘
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 वर्ष पूरे हो जाने के अवसर पर सर्बिया पोस्ट एवं इंडिया पोस्ट ने सर्बिया के विख्यात भौतिक विज्ञानी एवं नवोन्मेषक निकोला टेस्ला तथा स्वामी विवेकानंद पर स्मारक टिकट जारी किया।
सर्बिया के राष्ट्रपति एवं भारतीय उपराष्ट्रपति की उपस्थिति में दोनों देशों ने दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। पादप सुरक्षा एवं क्वारान्टाइन पर समझौते में फलों, सब्जियों एवं प्रसंस्कृत ,खाद्य वस्तुओं में व्यापार बढ़ाने पर जोर दिया गया है जबकि वायु सेवा समझौते का उद्वेश्य दोनों देशों के बीच सीधा वायु संपर्क सहित व्यापार एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाना है।