देहरादून: प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री उत्तराखण्ड सरकार प्रीतम सिंह ने आज विधान सभा स्थित अपने कक्ष में खरीफ विपणन सत्र 2015-16 हेतु बैठक ली।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि चावल उद्योग उत्तराखण्ड राज्य का प्रमुख कृषि आधारित उद्योग है। प्रदेश में कई चावल मिलें कार्यरत हैं। जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध है। यह उद्योग मुख्य रूप से राज्य सरकार द्वारा मूल्य संवर्धन योजना के अन्तर्गत खरीदे गये धान की कस्टम मिलिंग पर ही निर्भर है। उत्तराखण्ड राज्य में खरीफ फसल के लिये लगभग 2.50 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की रोपाई होती है। उत्तम बीज एवं कृषि की वैज्ञानिक विधि अपनाये जाने के कारण उत्पादन का औसत 55 कुन्तल से 60 कुन्तल प्रति हेक्टेयर होता है। इस प्रकार राज्य में धान का उत्पादन 14 से 15 लाख टन होता है।
बैठक में उत्तराखण्ड राईस मिलर्स एशोसिएशन के अध्यक्ष ने इसी परिपेक्ष्य में मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि कृषि विभाग के आंकलन के अनुसार राज्य में यह उत्पादन 9 लाख टन दर्शाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के इस आंकलन और गणना में पुनर्विचार की आवश्यकता है। जिससे वास्तविक उत्पादन और कृषि विभाग के आंकड़ों के मध्य की विसंगति समाप्त हो सके इस पर मंत्री जी द्वारा विसंगति का निवारण हेतु प्रमुख सचिव खाद्य को निर्देशित किया। एशोसिएशन के पदाधिकारी ने यह भी निवेदन किया कि वास्तविक धान उत्पादन 14 लाख टन के सापेक्ष मार्केटिबिल सरप्लस 12 लाख टन मानते हुए मूल्य संवर्धन योजना/कच्चा आठतियों द्वारा खरीदे जाने वाले धान का लक्ष्य 12 लाख टन(8.09 लाख टन चावल) निर्धारति करने हेतु भी निवेदन किया इसके अतिरिक्त जायद कृषि सत्र में लगभग 35000 हेक्टेयर में पैदा होने वाली धान की मात्रा को भी उक्त लक्ष्य में सम्मलित किया जाना आवश्यक है। जायद सत्र मंे लगभग 1.00 लाख टन(0.67 लाख टन चावल) धान की पैदावार होती हे। इस प्रकार धान खरीद का कुल लक्ष्य 13.00 लाख टन किया जाना औचित्यपूर्ण होगा। बैठक मंे उन्होंने प्रमुख सचिव खाद्य को निदेर्शित दिये कि जायद की फसल की भ्ी खरीदारी की जाय। इसके लिए भारत सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया जाय।
बैठक में मंत्री जी ने कहा कि जो फीजीबल होगा उसे सरकार अवश्य पूर्ण करेगी। इसमें मोनोपाली किसी की भी नहीं चलने दी जायेगी उन्होंने कहा कि अधिकत्तम खरीद केेन्द्र को-आपरेटिव के पास है। को-आपरेटिव ही ज्यादा मार्केटिंग करता है। जो पैसा भारत सरकार दे रही है को-आपरेटिव उसे यथावत राईस मिलर को दे। राईस मिलर भी इसी प्रदेश के अंग हैं। उन्होंने कहा कि राज्य काॅंमन चावल सम्प्रदान खाद्य विभाग करें। तथा एफ.सी.आई. ग्रेट ‘ए’ का माल लेते हैं। दोनों चीजें साथ-साथ चलें एफ.सी.आई. व खाद्य विभाग। इसके साथ ही मिड डे मिल के चावल में ‘ए’ ग्रेट का चावल हो उसमें कोई कटौती नहीं होनी चाहिए।
बैठक में मूल्य संवर्धन योजना अन्तर्गत धान खरीद के समय बारदाना(बोरे) की स्थिति के बारे में अवगत कराया गया कि साढे सोलह लाख बोरे हैं। साढे तीन लाख बोरों की आवश्यकता और होगी जिसे पूर्ण कर लिया जायेगा। उन्होंने निर्देशित किया कि अच्छी गुणवत्ता युक्त बोरे का प्रयोग किया जाय खाद्य विभाग के गोदामों में उन्हें सुरक्षित रखने के निर्देश भी उनके द्वारा दिये गये।
बैठक में राईज मिलर्स एसोशिएशन ने मंत्री जी से निवेदन करते हुए कहा कि सम्भगीय वरिष्ठ वित्त अधिकारी हल्द्वानी में नियमित कार्मिकों के अभाव में भुगतान में देरी हो रही है तथा उक्त कार्यालय में एक साफ्टवेयर की महती आवश्यकता है। खाद्यान्न वितरण में बड़ी धन राशि का अन्तरण होता है। इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव को दूरभाष पर कार्मिक की नियुक्ति के विषय में निर्देश दिये। जिसे उनके द्वारा तुरन्त नियुक्ति हेतु आशान्वित किया गया। जिससे सितम्बर अन्त तक सभी राईस मिलों का भुगतान किया जा सके।
बैठक में मंत्री जी द्वारा कहा गया कि मेरा गांव मेरा धन कि तर्ज पर गांव वालों के साथ सरकार पार्टनर शिप करें। जिससे गोदामों की स्थापना की जा सके। इसके लिए जमीन गांव के व्यक्ति दें। और उस पर गोदाम का निर्माण सरकार करेे ऐसी योजना बनाने के निर्देश भी उनके द्वारा दिये गये।
सहकारिता विभाग द्वारा मूल्य समर्थन योजना में खरीदे गए धान पर सूखन का भुगतान, सहकारिता विभाग द्वारा मूल्य समर्थन योजनान्तर्गत क्रय केन्द्रों पर खरीदे गए 17 प्रतिशत नमी युक्त धान को मिलिंग हेतु चावल मिलर्स को उपलब्ध कराया गया था। मिलर्स द्वारा उपरोक्त नमी युक्त धान को सुखा कर 67 प्रतिशत चावल(अधिकतम 15 प्रतिशत नमी युक्त) संबंधित खाद्य विभाग को प्रेषित कर दिया गया। इस प्रकार धान एवं चावल में नमी की मात्रा 2 प्रतिशत का अन्तर होता है। कस्टम मिल्ड चावल हेतु भारत सरकार द्वारा जारी लागत सूची में मिलर्स को 1 प्रतिशत सूखन का भुगतान किऐ जाने की व्यवस्था है। राज्य सरकार द्वारा उक्त धनराशि का भुगतान सहकारिता विभाग को किया जा रहा है।
परन्तु सहकारिता विभाग द्वारा उक्त 1 प्रतिशत सूखन की धनराशि संबधित चावल मिलर को नहीं दी जा रही है। उन्होंने निवेदन किया कि सहकारिता विभाग द्वारा खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग करने वाले मिलर को भारत सरकार द्वार निर्धारित दर से सूखन की धनराशि का भुगतान करवाने का निवेदन एसोशिएशन द्वारा किया गया।
बैठक में प्रमुख सचिव खाद्य श्रीमती राधा रतुड़ी, अपर सचिव खाद्य चन्द्रेश कुमार, आर.एफ.सी. कुमाऊ वी.एस.धनिक, उप सचिव खाद्य प्रकाश चन्द्र भट्ट, चन्द्र सिंह धर्मशक्तु, राईस मिलर्स एशोसिएशन अध्यक्ष सचिन गोयल एवं दिवाकर यादव आदि मौजूद थे।