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माॅं कोट भ्रामरी मंदिर में लगने वाले प्रसिद्ध मेले का उद्घाटन करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
बागेश्वर/देहरादून: रविवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देर सायं विकास खण्ड गरूड़ के डंगोली नामक स्थान पर स्थित माॅं कोट भ्रामरी मंदिर में लगने वाले प्रसिद्ध मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर मेला परिसर मेें लगाई गयी विकास प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

उन्होंने टी बोर्ड मुख्यालय कौसानी लाने, गरूड़ तहसील में सब-रजिस्ट्रार का पद तथा नये तहसील भवन का नाम मोहन सिंह मेहता के नाम पर रखने, राइका पाये का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. परमानन्द पाण्डे के नाम पर रखने, गरूड़-देवनाई मोटर मार्ग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. डुंगर सिंह बोरा के नाम पर रखने, राइका वज्यूला का नाम सामाजिक कार्यकर्ता स्व. पदम सिंह परिहार के नाम पर रखने, माॅं कोट भ्रामरी मंदिर का सौन्दर्यकरण करने, बन्दरों के लिये बन्दरबाड़ा बनाने हेतु कौसानी में भूमि उपलब्ध कराने, राजकीय पाॅलिटैक्निक गरूड़ में एक और आधुनिक नया विषय खोलने, डोबा में मिनि स्टेडियम बनाये जाने, इण्टर कालेज गागरीगोल द्वारा आवेदन करने की दशा में विज्ञान विषय के साथ-साथ 5 लाख रुपये की विशेष अनुमति, बाजीरोड में इन्फिल्ट्रेशन बोर वैल, सिमकुना-धपोलासेरा में बैराज, काण्डा-रिखाड़ी मोटरमार्ग का विस्तार, रावतसेरा-बाॅंसपटान मोटरमार्ग का डामरीकरण, जू.हा. घनारी का नाम गोपाल सिंह मर्तोलिया के नाम पर रखने, राइका पोथिंग मथुरा दत्त जोशी के नाम पर, राइका सूपी का नाम चन्द्र सिंह अधिकारी के नाम पर, राइका चौड़स्थल का नाम कारगिल शहीद केदार सिंह देवली के नाम पर, राइका कर्मी का नाम मोहन सिंह दानू के नाम पर, राइका पुड़कुनी का नाम पदम सिंह बघरी के नाम पर, वाणी-हरसिंगियाबगड़ मोटर मार्ग का नाम शहीद इन्स्पेक्टर प्रवीण सिंह कोरंगा के नाम पर, च्यूराबगड़-पोथिंग मोटरमार्ग का नाम विनोद जोशी के नाम पर, कपकोट-कर्मी मोटरमार्ग का नाम स्वतंत्रता सेनानी त्रिलोक सिंह के नाम पर रखने के साथ ही चल्काना तोक लखमरा वल्दिया में 30 मीटर स्पान के पुल की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष कत्यूरी संस्कृति में एक बड़ा समागम इस क्षेत्र में किया जायेगा। उन्होंने उपस्थित सभी जनों से खेती, शिक्षा तथा स्थानीय शिल्प के विकास पर सर्वाधिक ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की तकदीर व तस्वीर को बदलने के लिये पुरानी व नयी पीढ़ी को समागम बनाते हुए आगे आना होेगा। उन्होंने इस मौके पर समाज कल्याण विभाग के लाभार्थियों को चैक भी वितरित किये।
माॅं कोट भ्रामरी मंदिर में पूजा अर्चना के पश्चात मेले में उपस्थित विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मेलों का अपना विशेष महत्व है इनके आयोजनों से जहाॅं एक ओर अपनी संस्कृति से लोगों का जुड़ाव होता है वहीं दूसरी ओर आपसी मेल-जोल के साथ-साथ पुराने रीति-रिवाजों, खान-पान के संरक्षण व व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करने के अवसर भी प्राप्त होते हंै। उन्होंने कहा कि शनैः-शनैः हमारी विलुप्त हो रही संस्कृति को पुनस्र्थापित करने हेतु आज मेलों को उनके पुरातन स्वरूप को बरकारार रखते हुए संरक्षित किये जाने की अत्यन्त आवश्यकता है और इसके लिये क्षेत्र के जागरूक लोगों को इस दिशा में कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा यह भी देखना होगा के पुरातन स्वरूप को संरक्षित रखने के साथ-साथ मेलों व त्यौहारों को वर्तमान व आगे की पीढ़ी के लिये उत्तम संस्कार व बेहतर रोजगार की दृष्टि से और अधिक उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है ताकि पहाड़ को स्वावलम्बी बनाने के अलावा पलायन रोकने का भी समाधान मिल सके। उन्होंने मेले में स्वयं नगाड़ा बजाकर संस्कृति संरक्षण की अलख जगाई।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील है कि वो मेले और त्यौहारों के संरक्षण के साथ-साथ यहाॅं की विलुप्त हो रही लोक विधा को भी संरक्षित करे। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य के संस्कृति विभाग को जिम्मेदारी दी गयी है। उन्होंने कहा ऐसे कलाकार जो यहाॅं की पुरातन विधा के ज्ञाता हैं को बढ़ावा देने का कार्य सरकार के द्वारा किया जा रहा है साथ ही वृद्ध व विपन्न कलाकारों के लिए पेेंशन की भी व्यवस्था की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पारम्परिक वेश-भूषा की पहचान बनाये रखने के लिये भी सरकार ठोस निर्णय ले रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐपण कला को विकसित करने के लिये ऐपण संवर्द्धन परिषद बनाने का निर्णय लिया गया है। बैठकी होली परम्परा को जीवन्त रखने के लिये भी संस्कृति विभाग को कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये गये हंै साथ ही पुरानी राम लीलाओं के मंचन को विकसित करने के लिये सरकार द्वारा पुरस्कार देने का भी निर्णय लिया जा रहा हैं जिसके तहत मानक तय कर दिये गये हैं। उन्होंने कोटभ्रामरी मंदिर परिसर को विकसित करने हेतु राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन देते हुए कहा कि माॅं कोटभ्रामरी मंदिर उत्तराखण्ड की आलौकिक नंन्दाराज जात का मुुख्य पड़ाव भी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पहाड़ को स्वावलम्बी बनाने हेतु आवश्यक है कि लोग खेतों में जायें व उत्पादन करें तथा बन्दर और सुवरों से परेशान न हों बन्दरों का बन्दोबस्त किया जा रहा है तथा सुवरों को मारने की इजाजत सरकार द्वारा दी जा चुकी है। अपने डीएफओ से अनुमति लें सुवरों को मारें तथा पटवारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें, सुवर मारने में व्यय कारतूस की भी भरपायी सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि हमको अपनी खेती के साथ अपने शिल्प को भी आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने सरकार द्वारा पर्यटन विकास को बढ़ावा देने की बात कहते हुऐ बैजनाथ झील के अतिरिक्त हरद्वारीछीना व अंग्यारी महादेव में गोमती नदी में दो अन्य झीलें बनाने के लिए सिंचाई विभाग को आंगणन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वो इसके लिऐ इस वर्ष 10 करोड़ रुपये टोकन मनी के तौर पर स्वीकृत करेंगे। उन्होंने कहा इससे पर्यटन विकास के साथ व्यापक पैमाने पर पेयजल व सिंचाई की समस्या दूर होगी। उन्होंने कौसानी के चारों ओर के ग्रामों को इको पर्यटक ग्रामों के रूप में विकसित करने की अपनी मंशा जाहिर की ताकि वहाॅं के युवाओं को रोजगार मिल सके। उन्होंने महिलाओं हेतु पैदा होने से लेकर वृद्धावस्था तक राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी मेले मे बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं व पुरुषों को दी।

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