नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने नई दिल्ली में जीका वायरस और मौसमी इन्फ्लूएंजा की रोकथाम और नियंत्रण कार्यो की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की।
बैठक में श्री नड्डा ने राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता देने का पुन: आश्वासन दिया। राजस्थान में जीका वायरस के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने निरंतर निगरानी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य के अधिकारियों के निरंतर संपर्क में है। श्री नड्डा ने आज राजस्थान की मुख्यमंत्री से बात की। स्वास्थ्य सचिव राज्य के स्वास्थ्य सचिव के सतत सहयोग से दैनिक आधार पर स्थिति की निगरानी कर रहीं हैं।
श्री नड्डा ने पूरे क्षेत्र में मच्छर (वेक्टर) नियंत्रण सुनिश्चित करने के संबंध में अगले माह व्यापक तौर पर फॉगिंग सहित दूर-दूर तक इसके नियंत्रण के उपायों पर जोर दिया। मामले की शीघ्र पहचान में आसानी के लिए उन्होंने निगरानी प्रणाली को सशक्त बनाने पर भी बल दिया। श्री नड्डा ने लोगों से कहा कि वे अफरा-तफरी न मचाएं और मच्छरों की उत्पत्ति को रोकने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सहयोग करें। उन्होंने कहा कि दवाओं और जांच किटों की कोई कमी नहीं है और राज्य को आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होंने राज्य में जागरुकता अभियान चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मच्छर-जनित (वेक्टर-जनित) रोगों के नियंत्रण में जागरुकता का प्रमुख स्थान है और लोगों तक पहुंच कायम करने में कोई कोर-कसर न हो। रोकथाम में सामुदायिक भागीदारी को निर्णायक बताते हुए उन्होंने सभी हितधारकों से कहा कि सामुदायिक स्तर पर जारी रोकथाम के उपायों के बारे में जागरुकता अभियान शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मच्छर (वेक्टर) नियंत्रण, निगरानी और जागरुकता संबंधी गतिविधियों के संदर्भ में राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरणों और नगर निगमों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री को राजस्थान में जीका वायरस के नियंत्रण के लिए मंत्रालय की गतिविधियों से भी अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि राज्य से 80 मामले का पता चला है। जयपुर के शास्त्री नगर के प्रभावित हिस्से में 330 टीमों को तैनात किया गया है और आज तक लगभग 4,34,515 लोगों को निगरानी के दायरे में शामिल किया गया है। लगभग 86,903 घरों का सर्वेक्षण किया गया है। लार्वा पैदा होने को लेकर मच्छर उत्पत्ति से जुड़े 2,04,875 स्थानों की जांच की गई और 74483 स्थानों पर लार्वा पैदा होने की पुष्टि हुई।
मौसमी इन्फ्लुएंजा की चर्चा करते हुए श्री नड्डा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी मामले पर निरंतर निगरानी और सतर्कता सुनिश्चित करें। उन्होंने विशेष तौर पर निर्देश दिया कि मौसमी इन्फ्लुएंजा की रोकथाम में उसका शीघ्रता से पता लगाना, उसकी रिपोर्टिंग करना और रोगियों का समुचित वर्गीकरण करना महत्वपूर्ण है। श्री नड्डा ने दैनिक आधार पर मामले की निगरानी के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र को निर्देश दिया। उन्होंने सलाह दी कि राज्य की ओर से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मौसमी इन्फ्लुएंजा की रोगथाम और उसके प्रबंधन के बारे में समुचित जागरुकता कायम हो। उन्होंने कहा कि सभी राज्य यह भी सुनिश्चित करें कि राज्य स्तर पर दवाओं और जांच कीटों की पर्याप्त आपूर्ति हो।
स्वास्थ्य सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, डीएचआर के सचिव एवं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. एस. वेंकटेश, श्री संजीव कुमार (अपर सचिव), श्री मनोज झलानी (अपर सचिव एवं प्रबंध निदेशक) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय वेक्टरजनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), इमरजेंसी मेडिकल रिस्पॉन्स डिविजन के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।