लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि कई महान हस्तियों, ऋषियों ने आर्य समाज की प्रेरणा से राष्ट्र एवं समाज की सेवा करते हुए आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुतियां दी हैं। महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने सन् 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानन्द जी के जाने के 135 वर्ष बाद भी उनके विचारों को याद किया जा रहा है। स्वामी जी के समय में देश गुलाम था। आज स्वाधीन भारत में आर्य समाज के लिये अनकूल वातावरण है। भारत में आधुनिक एवं अनिवार्य शिक्षा से लेकर जाति, समुदायविहीन समाज की स्थापना का श्रेय आर्य समाज को जाता है। भारतीय सनातन धर्म की परम्परा में कुम्भ की परम्परा है। प्रयागराज में धर्म का महाकुम्भ जनवरी में आरम्भ होगा।
मुख्यमंत्री जी आज दिल्ली स्थित रोहिणी में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह महासम्मेलन आर्यों का महाकुम्भ है। आर्य समाज से अपने नजदीकी सम्बन्ध का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज वह इस महासम्मेलन में सम्मिलित होकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। राष्ट्रहित में आर्य समाज को आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
आजादी हासिल करने में क्रान्तिकारियों को संगठित तौर पर खड़ा करने का श्रेय आर्य समाज को जाता है। उन्होंने कहा कि भारत को भारत बनाये रखने के लिये राष्ट्रधर्म को पहचानना पड़ेगा। देश के सैकड़ों वर्षाें के गुलामी के कालखण्ड में वर्ष 1875 में उभरा था आर्य समाज। पूरी दुनिया में जहां कहीं भी हिन्दू सनातन धर्मावलम्बी निवास करता है, उसे महर्षि दयानन्द के प्रति बार-बार आभार व्यक्त करना चाहिये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ‘न्यू इण्डिया’ के विकास का संकल्प लिया है। यह भारत जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद एवं अलगाववाद से मुक्त होगा। ऐसा भारत जो अपराध एवं भ्रष्टाचार से मुक्त हो तथा जिसमें जाति, लिंग के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव न होता हो। एक ऐसा भारत जो स्वच्छ, स्वस्थ तथा समर्थ हो। ऐसे भारत के निर्माण में आर्य समाज जैसे संगठनों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है।
आर्य समाज द्वारा आयोजित महासम्मेलनों, संगठनों को देखकर विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘न्यू इण्डिया’ के सपने को साकार करने के लिये आर्य समाज जैसे संगठन जब खडे़ हैं तो दुनिया की कोई ताकत इस मार्ग में बाधक नहीं बन सकती है। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र धर्म सबसे बड़ा धर्म होना चाहिये। हम अपना उत्तरदायित्व निभाने के लिये तैयार होंगे और राष्ट्रधर्म को निभायेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा तैयार किए गए रोड मैप को कैसे लागू किया जाए, इसके दृष्टिगत लखनऊ में कृषि कुम्भ आयोजित किया गया है। आयोजन मंे हजारों की संख्या में किसान, कृषि विशेषज्ञ वहां पर एकत्र होकर इस सम्बन्ध में लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं। सन् 2022 में जब देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर चुका होगा तब हम वर्तमान व आने वाली पीढ़ी को क्या दे रहे हैं, यह बताने के लिये ऐसे आयोजन और सम्मेलन पूरे देश में आयोजित किए जाने चाहिये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में हजारों हेक्टेयर भूमि को भू-माफियाओं से मुक्त कराया गया है। ऐसी भूमि को मुक्त कराने में जो खर्च आता है, वह धनराशि भी भू-माफियाओं से वसूली जाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार बनने से पहले कांवड़ और अन्य धार्मिक यात्राओं पर रोक लगाई जाती थी। वर्तमान सरकार ने इस प्रकार के प्रतिबंधों को दूर किया। अवैध बूचड़खानों को जीव रक्षा के विचार के चलते 1 दिन में ही बंद करा दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वेदों की पुनर्प्रतिष्ठा का श्रेय आर्य समाज को जाता है। जैसी दृष्टि होगी वैसी ही सृष्टि होगी, इस विचार के पीछे भी महर्षि दयानंद सरस्वती जी ही हैं। आर्य समाज ने हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित सम्पूर्ण देश में उल्लेखनीय कार्य किये हैं। मैंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को गोरखपुर मे आमंत्रित किया था, वहां उन्होंने गुरुकुल और आर्य समाज की शिक्षा-दीक्षा दी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने बताया था कि कैसे गाय की उन्नत नस्ल और कृषि में देशी गाय के गोबर से क्रान्तिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। जीरो बजट की खेती इसी दर्शन से आती है। हम कृषि प्रधान परम्परा को आगे बढाने का कार्य कर रहे हैं। गौवंश इसी परम्परा का आधार है एवं जीरो बजट खेती की व्यवस्था उसी का ही एक हिस्सा मात्र है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्राथमिक पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है, जिसके चलते बेसिक शिक्षा में महर्षि दयानंद सरस्वती समेत सभी महापुरुषों की जीवनी को सम्मिलित किया गया है। हमारी सरकार में महापुरुषों की जयन्ती पर छुट्टी न करके उस दिवस उनके विचारों को पढ़ाये जाने, विचार-विमर्श एवं गोष्ठियां आयोजित करने का निर्णय लिया गया ताकि वह महापुरुषों के विचारों से परिचित हो सकें।
मुख्यमंत्री जी ने बताया कि वर्ष 2019 में मकर संक्रान्ति से शिवरात्रि तक प्रयागराज में भव्य कुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में आर्य समाज को आमंत्रित करते हुये उन्होंने कहा कि विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने के लिये कुम्भ में अवश्य पधारें। सभी के रहने की व्यवस्थायें की गयीं हैं। प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुम्भ में 12 से 15 करोड़ श्रद्वालुओं के आने का अनुमान है। कुम्भ में 192 देश तथा भारत के 6 लाख गांवों के निवासी आयेंगे। उनकी इच्छा है कि 32 देशों में आर्य समाज को मानने वालों का एक शिविर प्रयागराज में भी स्थापित हो ताकि वेदों की शक्ति से दुनिया को अवगत कराया जा सके।
इस अवसर पर ‘संतान साधना’ पुस्तक का भी विमोचन किया गया तथा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, केन्द्रीय राज्य मंत्री मानव संसाधन डाॅ0 सत्यपाल सिंह ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर श्री विवेकानन्द सरस्वती, श्री सुरेश चन्द्र आर्य, श्री महाशय धर्मपाल, श्री एस.के. आर्य, श्री प्रकाश आर्य समेत बड़ी संख्या में विशिष्टजन आदि उपस्थित थे।