नई दिल्ली: जीएसटी अधिनियम में दूतावासों, वाणिज्य दूतावासोंऔर संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) आवंटित करने का प्रावधान किया गया है, ताकि इस तरह के निकाय अदा किए गए जीएसटी के रिफंड का दावा करने में समर्थ हो सकें। इस तरह के रिफंड का दावा करने की एक शर्त यह है कि साझा पोर्टल पर अपने ‘जीएसटीआर-11’ फॉर्म में इनवायस लेवल डेटा दाखिल करना होगा।
सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 82 के तहत ‘जीएसटीआर-11’ फॉर्म में उन प्रत्येक इनवायस के लिए ‘आपूर्ति के स्थान’ के बारे में जानकारी देनी होगी, जिसमें रिफंड के लिए आवेदन किया गया है। अनेक यूआईएन निकाय इनवायस डेटा दाखिल करते वक्त इनवायस में उल्लिखित आपूर्ति के स्थान के बजाय उस राज्य को अपने आपूर्ति स्थान के रूप में दर्शाते रहे हैं, जहां वे पंजीकृत किए गए हैं।
उदाहरण के लिए, यह पाया गया है कि दिल्ली में पंजीकृत दूतावास यहां तक कि महाराष्ट्र के किसी होटल में प्राप्त की गई सेवा के लिए भी ‘नई दिल्ली’ को अपना आपूर्ति स्थान घोषित करते रहे हैं। हालांकि, इन मामलों में आपूर्ति का स्थान महाराष्ट्र है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कानून के तहत आपूर्ति के स्थान के आधार पर ही किसी इनवायस पर सीजीएसटी/एसजीएसटी अथवा आईजीएसटी का निर्धारण होता है। यदि कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आमतौर पर यदि आपूर्तिकर्ता (सप्लायर) का स्थान और आपूर्ति का स्थान एक ही राज्य होता है, तो इनवायस पर सीजीएसटी +एसजीएसटी वसूला जाता है और यदि आपूर्तिकर्ता का स्थान एवं आपूर्ति का स्थान अलग-अलग राज्यों में रहता है, तो वैसी स्थिति में आईजीएसटी वसूला जाता है।
अत: यह सलाह दी जाती है कि ‘आपूर्ति के स्थान’ के बारे में जानकारी देते वक्त और किसी इनवायस पर सीजीएसटी/एसजीएसटी अथवा आईजीएसटी लगाते समय संबंधित विवरण ठीक वही देने या भरने होंगे, जैसा कि वस्तुओं अथवा सेवाओं के आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी इनवायस में उल्लेख किया गया है। ‘जीएसटीआर-11’ फॉर्म अथवा प्रस्तुत किए गए इनवायस विवरण में इनवायस लेवल डेटा के बारे में गलत जानकारी देने की स्थिति में या तो रिफंड दावों की प्रोसेसिंग में विलंब हो सकता है अथवा उन्हें खारिज किया जा सकता है।