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भारत और मोरक्‍को कानूनी एवं वाणिज्यिक मामलों में पारस्‍परिक सहायता करने पर सहमत

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत और मोरक्‍को ने दीवानी एवं वाणिज्यिक अदालतों में पारस्‍परिक कानूनी सहायता और ज्‍यादा बढ़ाने से संबंधित समझौते पर कल हस्‍ताक्षर किए। केन्‍द्रीय विधि व न्‍याय और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं आईटी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद और मोरक्‍को में उनके समकक्ष न्‍याय मंत्री श्री मोहम्‍मद औज्‍जर इस अवसर पर उपस्थित थे। इस समझौते से सम्मन, न्यायिक दस्तावेजों, अनुरोध पत्रों और अदालती फरमान एवं पंच निर्णायक के पंचाट पर तामील में पार‍स्‍परिक सहयोग बढ़ेगा।

इस अवसर पर श्री प्रसाद ने कहा कि भारत मोरक्‍को के साथ आपसी सहयोग का दायरा बढ़ाने की आवश्‍यकता और इसके साथ ही दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में दोनों देशों के बीच सहयोग के पहलुओं का विस्‍तार करने की सार्थकता को पूरा करने पर विश्‍वास करता है।

प्रस्‍तावित समझौते की कुछ मुख्‍य बातें निम्‍नलिखित हैं:

  1. सम्‍मन और अन्‍य न्‍यायिक दस्‍तावेजों या प्रक्रियाओं पर तामील
  2. दीवानी मामलों में साक्ष्‍य लेना
  3. दस्‍तावेजों, रिकॉर्डिंग को प्रस्‍तुत, पहचान और जांच करना
  4. दीवानी मामलों में साक्ष्‍य लेने के लिए अनुरोध पत्र पर तामील
  5. पंच निर्णायकों के पंचाट को स्‍वीकार एवं कार्यान्वित करना

भारत सरकार के राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केन्‍द्र (एनआईसी) और मोरक्‍को साम्राज्‍य के न्‍याय मंत्रालय के बीच आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के उपयोग के क्षेत्र में सहयोग संबंधी आशय के एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्‍ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्‍य एक साधन के रूप में आईटी का उपयोग कर अदालतों के आधुनिकीकरण सहित ई-गवर्नेंस को सुदृढ़ करना है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों के आदान-प्रदान, पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों के क्षेत्रीय दौरों और दोनों ही पक्षों द्वारा संयुक्‍त रूप से निर्धारित अन्‍य साधनों के जरिए दोनों देश पारस्‍परिक रूप से लाभान्वित हो सकें।

भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) ने मोरक्‍को के कासाब्‍लांका में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े एक उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र की स्‍थापना की थी। इस केन्‍द्र का उद्घाटन 7 मई, 2018 को किया गया था। इसमें 193 विद्यार्थी हैं और 10 विद्यार्थियों का प्‍लेसमेंट निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में पहले ही हो चुका है।

उपर्युक्‍त समझौता भारत और मोरक्‍को दोनों ही देशों के नागरिकों के लिए लाभप्रद साबित होगा। इस समझौते से दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में मैत्रीपूर्ण एवं सार्थक सहयोग को मजबूत करने से संबंधित दोनों देशों की प्रबल इच्‍छा की भी पूर्ति होगी जो इस समझौते की मूल शैली, भावना एवं सार है।

भारत और मोरक्‍को ने 14वीं शताब्‍दी से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भों में बातचीत की है जब टैंगियर के प्रसिद्ध यात्री एवं लेखक इब्न बतूता ने भारत की यात्रा की थी। मध्ययुगीन भारतीय समाज पर उनके लेखन भारतीयों के साथ-साथ मोरक्‍को के नागरिकों के लिए भी भारत से जुड़ी ऐतिहासिक सूचनाओं के महत्‍वपूर्ण स्रोत हैं। जहां तक आधुनिक इतिहास का सवाल है, भारत मोरक्‍को के स्‍वतंत्रता आंदोलन को अपनी ओर से संयुक्‍त राष्‍ट्र में समर्थन प्रदान करने में अत्‍यंत सक्रिय रहा था और इसके साथ ही भारत ने 20 जून, 1956 को उस समय मोरक्‍को को मान्‍यता प्रदान की थी जब वह फ्रांस के साथ की गई संरक्षित व्यवस्था से आजाद हो गया था। इसके साथ ही वर्ष 1957 में राजनयिक मिशन स्‍थापित किए गए थे।

आपसी संबंधों के आगाज के समय से ही भारत और मोरक्‍को के बीच सौहार्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण रिश्‍ते कायम हैं। समय-समय पर भारत और मोरक्‍को के गणमान्‍य व्‍यक्ति एक-दूसरे के यहां दौरे पर जाते रहे हैं। मोरक्‍को का दौरा करने वाले भारत के गणमान्‍य व्‍यक्तियों में उपराष्‍ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन (1967) और विधि एवं न्‍याय मंत्री (2016) शामिल हैं।

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