पंतनगर/देहरादून: पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्व विद्यालय में आयोजित 4 दिनी 98वां अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी सम्पन्न हुई। मेले में विभिन्न उत्पादों से सम्बन्धित लगभग 600 स्टाल लगाये गये थे। इस मेले में देश के विभिन्न प्रान्तों/हिस्सों से आए हुए लगभग 10068 किसानों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्य अतिथि बतौर समापन किया। मेला समापन समारोह को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री श्री रावत ने मेला आयोजकों एवं किसानो को विशाल मेला सम्पन्न करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि विकास दर को बरकरार रखना देश के लिये चुनौती है तथा इस चुनौती को स्वीकार कर, कृषि के क्षेत्र नई तकनीक का अनुसंधान करना कृषि विश्व विद्यालय की अहम् जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यदि हम कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होंगे तो विश्व को कृषि के क्षेत्र में प्रगति का रास्ता दिखा सकते है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की समृद्धि उसके कृषि क्षेत्र से ही आंकी जाती है। इसलिये केन्द्र व राज्य के नीति नियान्ताओं को ध्यान रखना होगा कि कृषि के अनुसंधान क्षेत्र में किसी प्रकार की कमी नही आनी चाहिये। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विश्व विद्यालय स्थापना के 60वें दशक में जो चुनौतियां थी उससे ज्यादा चुनौतियां विश्व विद्यालय के सामने आज कृषि को और अधिक उन्नतशील बनाने की है। उन्होंने कुलपति एवं कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि ऐसी उन्नत कृषि विकसित करें, जिससे देश के अन्य प्रान्त व किसान यहां की लीडरसिप स्वीकार करें। उन्होंनेन कहा कि आज कृषि भूमि का क्षेत्रफल सिकुडता जा रहा है वही धरती से लगातार साल में तीन-तीन फसले लिये जाने से भूगर्भ जल में निरन्तर गिरावट आ रही है। कृषि वैज्ञानिकों, किसानों के लिये यह सोचनीय विषय है। इस स्थिति से उबरने के लिये हमको मिलकर मंथन करना होगा कि कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो तथा कम पानी में और अधिक उत्पादन क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि जीवन का अवलम्बन कृषि ही है। इसमें किसी प्रकार की कमी नही होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि जल संरक्षित करने के लिये पर्वतीय क्षेत्र में तालाब आदि निर्माण किये जायेंगे वही तराई में भी जल के संवर्धन व संरक्षण के लिये कडे प्रयास करने हांेगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कृषि वैज्ञानिकों एवं कुलपति डाॅ0 मंगला राय से कहा कि इस विशाल मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से बडी संख्या में प्रगतिशील किसान बडी आशा लेकर आये है, लिहाजा उनको कृषि क्षेत्र में कुछ ऐसी नई तकनीक विकसित करनी होगीे, जिससे वह अपने कृषि उत्पादों में आशातीत वृद्धि कर सकें। उन्होंने कहा कि कृषि के विकास के लिये राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, आत्मा परियोजना समेत अन्य योजनायें संचाालित की है। किसानों को लगातार कृषि के क्षेत्र में नई जानकारियों उपलब्ध हो इसके लिये वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों का सैल गठित किया जाय, जो किसानों के लगातर सम्पर्क में रहकर किसानों को जानकारी दंे सकता है। इस कार्य में कृषि वि0वि0 अपनी रणनीति तैयार करें। उन्होंने कहा कि किसानों की सुविधा के लिये साॅयल हैल्थ कार्ड 2017 तक बनायें जायेंगे जिसमें विश्व विद्यालय का पूरा सहयोग लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कुलपति डाॅ0 मंगला राय विश्व विद्यालय के अध्येता के रूप में कार्य कर रहे है उनके नेतृत्व में प्रदेश की कृषि को नये आयाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपने राज्य की सीमाओं एवं आर्थिक संसाधनों के बल पर ही विश्व विद्यालय का गौरव बढायेंगे। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वह प्याज, सेब एवं अन्य सब्जियों ,फलों की प्रजातियां विकसित करें ताकि किसान अपने उत्पादन बढाकर अपनी क्षमता व समृद्धता में बढोतरी कर सकें। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि आज 50 प्रतिशत तक गन्ना बीजों को उन्नत करने का समय आ गया है, इसलिये इस ओर अपने प्रयास तेज करें। इसके अलावा गन्ना किसानों को नई बीजों के साथ नई कृषि तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जाय। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रान्ति को बढ़ावा देने के लिये चारा प्रजाति के वृक्षों व घास बीज को रोपित करने एवं मौन पालन को भी उद्योग के रूप में अपनाया जाना चाहिये। सरकार पूरी तरह से किसानों के हितों लिये प्रयासरत है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने विश्व विद्यालय परिसर में 01.10 करोड की लागत से बने डाॅ0वाईएल नैने परीक्षा भवन का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर कुलपति डाॅ0 मंगला राय सीएम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय प्रत्येक वर्ष विशाल किसान मेलों का आयोजन करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि मेले के माध्यम से कृषि के ज्ञान विज्ञान को विश्व विद्यालय द्वारा जन जन तक पहुचायंा जा रहा है। विश्व विद्यालय द्वारा किसानों के हितो को दृष्टिगत रखते हुये विभिन्न प्रकार के 28 उन्नतिशील प्रजातियों के बीज किसानों को उपलब्ध कराये गये है। उन्होंने बताया इस मेले में 60 लाख रूपये के उन्नतिशील बीजों की बिक्री हुई है तथा विश्व विद्यालय द्वारा किसानों को प्रमाणित बीज ही उपलब्ध कराये जाते है। उन्होंने कहा कि अभी भी किसी के क्षेत्र में और अधिक बदलाव की आवश्यकता है कृषि को तर्कसंगत बनाना होगा, किसानांें की दक्षता में वृद्धि करनी होगी। उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय पर्वतीय क्षेत्रों को भी हरा भरा करने का सपना संजोये है।
मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा किसान मेले में शामिल उत्कृष्ठ स्थान प्राप्त करने वाले जग्गी एग्रीकल्चर वक्र्स पंजाब, प्रीत टैक्टर प्रालि चण्डीगढ, उद्यान प्रदर्शनी के लिये पत्थर चट्टा के फार्म अधीक्षक वीपी श्रीवास्तव, पशु प्रदर्शनी के लिये बच्चा सिंह फुलसुंगा रूद्रपुर, अनन्या सीड्स प्रा0लि0 के सलील कुमार श्रीवस्तव समेत कई प्रतिभागियों को पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र वितरित किये ।