देहरादून: जल सेना में बतौर सैनिक भर्ती हुए संजय सिंह का सपना सेना में अफसर बनने का था। इस सपने को वे पढ़ाई के बाद तो पूरा नहीं कर पाए, लेकिन जल सेना का हिस्सा रहते जरूर पूरा कर लिया।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजय सिंह के इस सपने को तीन साल पहले पंख लग गए। उन्होंने विभागीय परीक्षा दी और उनका चयन आर्मी कैडेट कॉलेज में हो गया।
शुक्रवार को वे न सिर्फ पासआउट हुए बल्कि चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ श्रेणी के सिल्वर मेडल से भी उन्हें नवाजा गया। मूल रूप से हरियाणा के कैथल निवासी संजय सिंह ने बताया कि वे साढे़ सात साल पहले जल सेना में भर्ती हुए थे। इसके छह माह बाद ही उनकी शादी हो गई। इसके बाद उन्हें तीन बच्चे भी हैं।
संजय सिंह के पिता रामफल किसान हैं, जबकि माता गृहणी हैं। उनकी पत्नी किरन भी इस समय पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि व्यक्ति को कभी सपने छोटे नहीं देखने चाहिए। यदि वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं एक न एक दिन कामयाब जरूर होते हैं।
इसके अलावा कमांडेंट सिल्वर मेडल पाने वाले संजोक क्षेत्री के पिता कुमार क्षेत्री मसालों के एक्सपोर्टर हैं। वे मूल रूप से दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
जबकि, चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल हासिल करने वाले जितेंद्र चाहर मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। उनका एक भाई राजस्थान पुलिस में सिपाही है। अमर उजाला