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जीवन-संकट के दौरान दूसरों की जान बचाने के लिए प्रत्येक नागरिक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिएः उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि जीवन संकट के दौरान दूसरों की जान बचाने में देश के प्रत्येक नागरिक को सक्षम होना चाहिए। स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा विजयवाड़ा में आयोजित कार्डियो पुल्मोनरी रीससिटैशन (सीपीआर) कैम्प में जन समुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने शिक्षक समुदाय से छात्रों को देखभाल, सहानुभूति और करुणा के मूल्यों का पाठ पढ़ाने का आग्रह किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में प्रति एक लाख की आबादी में 4280 लोग हृदय व फेफड़ें की समस्या से पीड़ित होते है जबकि अमेरिका में यह संख्या 60-151 प्रति लाख है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सीपीआर प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाने के लिए कानून लाने की आवश्यकता है ताकि हृदय आघात की स्थिति में लोगों को बचाया जा सके।

श्री नायडू ने निजी और सार्वजनिकि क्षेत्र की कम्पनियों से अपने कर्मचारियों को सीपीआर का प्रशिक्षण देने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्हें दुर्घटना की स्थिति में फर्स्ट एड का भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने हृदय रोग से पीड़ित होने वाले लोगो की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की। हृदय रोग एक मूक महामारी का रूप ले रहा है। उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक जीवनशैली, शारीरिक श्रम की कमी व अस्वास्थ्यकर भोजन, आनुवांशिक विन्यास, मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि के कारण लोग हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं।

श्री नायडू ने इंडियन सोसाइटी ऑफ एनेस्थीसियोलॉजिस्ट (आईएसए) की पहल इंडियन रीससिटैशन काउंसिल (आईआरसी) की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने सीपीआर के लिए आसान दिशा-निर्देश विकसित किए है। उन्होंने मैनकिन (पुतला) दान करने के लिए तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) तथा अमेरिकन एसोसिएसन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरीजन (एएपीआई) की सराहना की।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने जीएसएल, राजमुंदरी के मोबाइल अस्पताल सेवाओं का शुभारंभ किया। इसका नाम है- जीएसएल हॉस्पिटल ऑन व्हिल्स। इस सेवा से गोदावरी जिले की ग्रामीण आबादी लाभान्वित होंगी। इस अवसर पर इंडियन रीससिटैशन काउंसिल (आईआरसी) के चेयरमैन डॉ. एस. चक्र राव, जीएसएल अस्पताल के प्रतिनिधि व डॉक्टर और स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा प्रशिक्षित छात्र उपस्थित थे।

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