अल्मोड़ा /देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरूवार देर रात सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव के अवसर पर कहा कि संस्कृति व कला के क्षेत्र में अल्मोड़ा ने देश ही नहीं अपितु विदेश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि संस्कृति का संरक्षण व संवद्र्वन राज्य का घोषित लक्ष्य है इसके तहत कलाकारों के हितों के संरक्षण हेतु ठोस निर्णय लिये गये है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने स्थानीय स्टेडियम में पुतला समितियों द्वारा बनाये गये रावण परिवार के अनेक आकर्षक पुतलों का अवलोकन करते हुए कहा कि इन पुतलो को बनाने वाले छोटे से बड़े हुनरदारों ने अपनी प्रतिभा के माध्यम से इनके जीवनता पैदा करने का प्रयास किया है जो सराहनीय ही नहीं अपितु प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि इस मेले को प्रचारित प्रसारित करने का कार्य राज्य सरकार करेगी और पर्यटन कलैण्डर में इसको स्थान दिया जायेगा। इस दशहरे को देखने के लिए विदेशो से भी लोग आते है हमारा प्रयास होगा कि इस संस्कृति को बचाये रखने के लिये ठोस पहल करनी होगी। अल्मोड़ा शहर जहाॅ एक ओर अपनी संस्कृति के प्रसिद्व है वहीं दूसरी ओर यहाॅ की भाषा, ऐपण, भवन शैली के लिए प्रसिद्व है। यहाॅ की भवन शैली को जीवन्त बनाये रखने के लिए 50 लाख रू0 का प्राविधान राज्य सरकार द्वारा रखा गया है। इसके अलावा अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, पुरौला की भवन शैली को संरक्षित कार्य करने का काम राज्य सरकार कर रही है। उन्होंने जनता से अपील कि है अल्मोड़ा शहर को हरा-भरा बनाये रखे। दशहरा महोत्सव को राज्य स्तरीय स्थान दिलाने के लिए शासन स्तर पर एक कमेटी बनायी गयी है उसी की संस्तुति पर इस पर विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा शहर में जो पुतले बनाये जाते है उसके लिए अगले वर्ष जिलाधिकारी कला संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखने वाले 04 निर्णायको की टीम बनायेंगे इन निर्णयकों द्वारा प्रथम, द्वितीय, तृतीय सहित चार सात्वंना पुरूस्कारों की संस्तुति की जायेगी जिन पुरूस्कारों का वहन राज्य सरकार स्वयं करेगी। उन्होंने इस प्रतियोगिता से युवाओं में एक प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस दशहरा महोत्सव हेतु राज्य सरकार द्वारा 03 लाख रू0 दिया जाता है अगले वर्ष इसमें और भव्यता प्रदान होने पर इस राशि को बढ़ाकर 05 लाख रू0 कर दिया जायेगा ताकि अल्मोड़ा का दशहरा और आकर्षित बन सके। उन्होंने विजयादशमी की जनपदवासियों को बधाई देते हुए उनके सुख-सृमद्वि की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने दशहरा महोत्सव द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘‘विजय पर्व’’ का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नृत्य सम्राट प0 उदयशंकर ने इस पवित्र स्थल में आकर अपनी कला का प्रदर्शन किया था तथा यहाॅ के लोगो की संस्कृति के प्रति अटूट आस्था को देखकर उन्होंने इस भूमि को अपनी कर्मस्थली के रूप में चयन किया। जनपद में आयोजित होने वाली रामलीलाओं का मंचन जहाॅ एक और पर्यटको को आकर्षित करता है वहीं दूसरी ओर इस परम्परा को जीवन्त बनाये रखने का साहसिक कार्य करता है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष से अधिक पुरानी रामलीला आयोजित करने वाली संस्थाओं को राज्य सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है।
जनपद मुख्यालय में दशहरा महोत्सव समिति तत्वाधान में निर्मित होने वाले पुतलों को देखकर मुख्यमंत्री श्री रावत कहा कि इस तरह के आयोजन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है इसके लिए पर्यटन व संस्कृति को संयुक्त रूप से पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि आज के संचार क्रान्ति के इस युग में इन्टरनेट व वाईफाई के माध्यम से देश व विदेश के अन्य स्थानों में इन पुतलों को प्रवासी सहित कला के प्रति जिज्ञासा रखने वाले लोग भी इसे देख सकते है और इस तरह के आयोजन में सम्मलित हो सकते है।
इस अवसर पर संसदीय सचिव मनोज तिवारी ने कहा कि दशहरा पर्व पूरे भारत में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है हम सभी का प्रयास होगा कि इस संस्कृति को बचाये रखने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व पर्यटन के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर व्यापार मण्डल द्वारा आकर्षक आतिशबाजी का आयोजन किया गया जिसे मुख्यमंत्री श्री रावत ने सराहा। दशहरा महोत्सव समिति द्वारा इस महोत्सव में उपस्थित मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों का प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया।