नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) की प्रशासनिक परिषद की दूसरी बैठक को सम्बोधित किया और एनसीडीसी के ”आधुनिक बैंकिंग इकाइयों के रूप में सहकारिता” मॉडल का शुभारंभ कियाI
श्री राधा मोहन सिंह ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि एनसीसीटी समूचे देश के सहकारी क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों के साथ-साथ सहकारी क्षेत्र के अन्य हितधारकों के प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन के लिए उत्तरदायी है। परिषद का मुख्य उद्देश्य देश की सहकारिताओं में मानव संसाधन विकास की प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाना हैI
श्री सिंह ने बताया कि परिषद के राष्ट्रीय स्तर पर वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान (वैमनीकॉम) पुणे, क्षेत्रीय स्तर पर बैंगलुरू, चंडीगढ़, गांधीनगर, कल्याणी एवं पटना में पांच क्षेत्रीय सहकारी प्रबंध संस्थान तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में 14 सहकारी प्रबंध संस्थान सहकारिता विभाग हैं। ये संस्थान संगठनों में काम करने वाले वरिष्ठ एवं मध्यम स्तर के कर्मियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। परिषद् की विभिन्न प्रशिक्षण इकाइयों द्वारा 1340 कार्यक्रमों में 46203 प्रतिभागियों को दिसम्बर 2018 तक प्रशिक्षित किया जा चुका है।
श्री सिंह ने बताया कि भारत सरकार उत्तरी पूर्वी राज्यों एवं सिक्किम के द्रुतगामी सामाजिक-आर्थिक विकास पर विशेष बल दे रही है। उत्तरी पूर्वी राज्यों में सहकारिताओं में मानव संसाधन के विकास हेतु एनसीसीटी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है । स0प्र0 संस्थान गुवाहाटी, इम्फाल एवं क्षे0स0प्र0 संस्थान, कल्याणी द्वारा उत्तरी पूर्वी क्षेत्र की प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है।
बैठक के दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्री ने विभिन्न स्तरों पर सहकारी बैंकों के व्यापक सुदृढ़ीकरण व देश के दूरदराज के गावों में कृषकों के वित्तीय समावेश हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नवीन मॉडल ”आधुनिक बैंकिंग इकाइयों के रूप में सहकारिता” का शुभारम्भ किया।
श्री राधामोहन सिंह ने बताया कि प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) को सुदृढ़ सूचना प्रौद्योगिकी मंच प्रदान करना, मोदी सरकार की प्राथमिकता है। इस संबंध में एनसीडीसी ने आधुनिक बैंकिंग इकाइयों के रूप में सहकारिताओं के सुदृढ़ीकरण के लिए व्यापक कदम उठाये हैं ।
कृषि मंत्री ने बताया कि मॉडल में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संबंधित संरचना जैसे डाटा सेंटर, उद्यम नेटवर्क तथा सिक्योरिटी, कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (सीबीएस), ए.टी.एम., पी.ओ.एस., ई-लॉबी आदि के उन्नयन एवं नये निर्माण सम्मिलित है। इसमें एनसीडीसी के संस्थान लक्ष्मण राव इनामदार राष्ट्रीय सहकारी अनुसंधान एवं विकास अकादमी के माध्यम से क्षमता विकास में सहकारिताओं को सहायता प्रदान करना भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि सहायता राशि राज्य सरकार के माध्यम से सब्सिडी समेत 90% से 100% तक प्रदान की जाती है। सीधे वित्त पोषण स्कीम के अंतर्गत सब्सिडी समेत 65% से 90% तक सहायता दी जाती है जो कि केंद्रीय क्षेत्रक स्कीम के दिशा-निर्देशों के अनुसार है ।
उन्होंने बताया कि सहकारी उद्यम सहयोग एवं नवीन स्कीम (युवा सहकार) के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नई परियोजनाओं हेतु वित्तीय सहायता पर भी विचार किया जा सकता है। सहकारी बैंकों तथा पैक्स को सहायता प्रदान करने हेतु एनसीडीसी की योजनाओं को नाबार्ड समेत अन्य योजनाओं के साथ संयोजित किया जा सकता है। इस मॉडल के लिए सहकारिताओं (राज्य सहकारी बैंक, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक तथा पैक्स) के सभी स्तरों पर वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है । एनसीडीसी द्वारा तैयार इस मॉडल के अंतर्गत वित्तीय सहायता हेतु किसी प्रकार की कोई न्यूनतम एवं अधिकतम सीमा नहीं है।
सम्बोधन के अंत में कृषि मंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि एनसीडीसी मॉडल, आधुनिक युग में सहकारिता की आवश्यकताओं को पूरा करेगा तथा शीर्ष बैंकों के साथ पैक्स को भी जोड़ेगा।