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कृषि को सुदृढ़, सतत और लाभकारी बनाने के लिए ढांचागत परिवर्तन करें: उपराष्‍ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम वैंकेया नायडू ने कृषि क्षेत्र के प्रति सार्थक भाव बनाने और इसे सुदृढ़, सतत और लाभकारी बनाने के लिए नीतिगत कार्यक्रमों के माध्‍यम से ढांचागत परिवर्तन लागू करने का आह्वान किया है।

उपराष्‍ट्रपति हैदराबाद में एग्री-विजन-2019 का उद्घाटन कर रहे थे। स्‍मार्ट और सतत कृषि के लिए, कृषि समाधान विषय पर दो दिन के सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कृषि क्षेत्र की अनेक चुनौतियों के व्‍यापक और दीर्घकालिक समाधान के लिए सभी हितधारकों द्वारा गंभीर प्रयास करने की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि कृषि ऋण माफी जैसे थोड़े समय के उपायों से कुछ समय के लिए तो मिलेगी लेकिन दीर्घकालिक रूप से  किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।

उत्‍पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अवमूल्‍यन, खाद्यान की तेजी से बढ़ती मांग, एक स्‍तर पर टिकी कृषि आय, छोटे भूखंड के तथा अप्रत्‍याशित जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के  समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्‍होंने कहा कि पारंपरिक कृषि लाभकारी नहीं होगी और सतत आय सुनिश्चित करने के लिए किसानों को संबंधित गतिविधियों की ओर मुड़ना होगा।

समावेशी विकास के लिए कृषि क्षेत्र के विकास को महत्‍वपूर्ण बताते हुए श्री नायडू ने कहा कि इस क्षेत्र को सशक्‍त बनाने से न केवल गरीबी में कमी आएगी बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका सुधारने में भी सहायता मिलेगी। भारत के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत है और यह क्षेत्र देश के कार्यबल के 50 प्रतिशत को रोजगार प्रदान करता है।

किसान अनुकूल बाजार, पर्याप्‍त कोल्‍ड स्‍टोरेज सुविधाएं, रेफ्रिजरेटर वैन, मूल्‍यवर्धन के माध्‍यम से खाद्य प्रसंस्‍करण पर फोकस, किसानों को समय पर रियायती ऋण और किसानों तक नवाचारों तथा टेक्‍नॉलोजी की पहुंच सुनिश्चित करके कृषि को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देने की आवश्‍यकता है।

श्री नायडू ने शोधकर्ताओं और कृषि विशेषज्ञों से कृषि क्षेत्र की बहुपक्षीय समस्‍याओं के समाधान का आग्रह किया। श्री नायडू ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्‍वाकांक्षी लक्ष्‍य को प्राप्‍त करनेके लिए सरकारों, वैज्ञानिक समुदाय, कृषि विज्ञान केंद्रों तथा किसानों से संयुक्‍त प्रयास करने को कहा।

उपराष्‍ट्रपति ने यह सुझाव भी दिया कि कृषि पाठ्यक्रमों को पूरा कर रहे विद्यार्थियों को कम से कम छह महीने किसानों के साथ बिताना चाहिए ताकि उनकी समस्‍याओं की सही जानकारी मिल सके।

श्री वैंकेया नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने तथा कृषि को पर्यावरण संगत और सतत बनाने के लिए डिजीटल टेक्‍नॉलोजी आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि डिजीटल टेक्‍नोलॉजी से कृषि क्षेत्र की अनिश्चितता को दूर करने और संसाधनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि बीजारोपण से लेकर फसल बाद के प्रबंधन और मार्केटिंग में नवीनतम टेक्‍नॉलोजी को अपनाना तथा अन्‍य देशों के समकक्ष उत्‍पादकता में सुधार करना जरूरी है। उन्‍होंने भारत के लिए स्‍वेदशी खाद्य सुरक्षा को अपनाने की आवश्‍यकता पर बल दिया क्‍योंकि देश आयातित खाद्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं कर सकता।

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