नई दिल्ली: मिस्र के राष्ट्रपति के भारत आगमन पर उनका स्वागत करते हुए श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर वार्ता में मिस्र की भागीदारी से भारत और अफ्रीका के बीच संबंध मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि भारत मिस्र के साथ अपने आमूल संबंधों को बहुत महत्व देता है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि भारत मानता है कि मिस्र एशिया और अफ्रीका के बीच सेतु के रूप में एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति है। भारत और मिस्र ने हमेशा विश्व में शांति और विकास के लिए मिलकर काम किया है। भारत मिस्र का छठवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और मिस्र भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। मिस्र में भारतीय निवेश तीन अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे प्रौद्योगिकी का प्रवाह संभव हुआ है तथा लगभग 35,000 मिस्रवासियों को रोजगार प्राप्त हुआ है। इस व्यापारिक साझेदारी से निर्यात आय में बढ़ोतरी हुई है।
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने एक साल के अंदर नई स्वेज नहर पूरा कर लेने के लिए मिस्र की सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नई स्वेज नहर के आसपास नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास से आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
श्री मुखर्जी ने कहा कि भारत मिस्र के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर काम करने का इच्छुक है- नजदीकी राजनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग, गहन आर्थिक आदान-प्रदान और वैज्ञानिक सहयोग। इसके अलावा भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संपर्क और दोनों देशों के नागरिकों के बीच आदान-प्रदान बढ़े। उन्होंने कहा कि श्री अब्देल फतह अल सीसी का भारत आगमन भारत-मिस्र संबंधों को नई दिशा देगा और दोनों देशों के बीच संबंधों के एक नए युग की आधारशिला रखेगा।
राष्ट्रपति के उद्गारों के उत्तर में मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-अफ्रीका फोरम शिखर वार्ता में उनकी भागीदारी अवश्यंभावी थी क्योंकि अफ्रीका और भारत के संबंध बहुत प्रगाढ़ और मैत्रीपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत और मिस्र के संबंध एतिहासिक हैं तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए मिस्र प्रतिबद्ध है। मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश भारतीय निवेश का स्वागत करता है और मिस्र की आकांक्षा है कि वह भारत की विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी और अनुभव से लाभ उठाए।