देहरादून: माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने आज माइक्रोसॉफ्ट और एकेडेमिया (शिक्षण संस्थाओं) के सहयोग पर आधारित अपने वार्षिक प्रदर्शन- माइक्रोसॉफ्ट एकेडेमिया एक्सेलरेटर – एक्सल का आयोजन किया। इस साल के AI फॉर गुड थीम को कीनोट्स, टेक वार्ता और छात्र परियोजनाओं के एक समृद्ध एजेंडे के साथ शमिल किया गया है, जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों को हल करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग के अभिनव तरीकों को प्रदर्शित करता है। इस कार्यक्रम जरिए भारत के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों के कंप्यूटर विज्ञान संकाय, माइक्रोसॉफ्ट नेतृत्व और कर्मचारियों के साथ ही उद्योग जगत को प्रभावित करने वाले लोगों और छात्रों को एक मंच पर एक साथ लाने का प्रयास किया गया। इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं का बेहतर ढंग से अनुमान लगाने और प्रबंधन करने संबंधी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के निर्माण के अभिनव तरीकों का प्रदर्शन भी हुआ।
एकेडेमिया एक्सेलरेटर भारत में उद्योग और शिक्षाविदों के बीच एक गहन, दीर्घकालिक संबंध बनाने के उद्देश्य से माइक्रोसॉफ्ट के सबसे व्यापक कैम्पस आधारित कार्यक्रमों में से एक है, जो लोगों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने में सक्षम बनाने के लिए कंपनी के मिशन को दोहराता है। कैम्पस स्तर पर सिर्फ विचारों के जरिए एकेडेमिया एक्सेलरेटर उनमें से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को मेंटर समर्थन, प्रकाशन सहायता प्रदान करने के साथ ही इसके जरिए माइक्रोसॉफ्ट भारत के बेहतरीन छात्र डेवलपर्स को अपने सीएस कौशल को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है।
माइक्रोसॉफ्ट का मानना है कि नई तकनीकों के बीच समृद्ध, स्वच्छ और स्वस्थ समाज बनाने की बेहतर संभावनाएं प्रदान करने में AI की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण है। यह हर क्षेत्र में तबाही और आपदाओं के बेहतर प्रबंधन के साथ ही राहत सामग्री वितरित करने को लेकर लोगों और संगठनों के कार्यों में बदलाव ला सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए,एकेडेमिया एक्सेलरेटर के तहत कोडफंडो ++ (नेशनल चैलेंज के लिए थीम) प्राकृतिक आपदाओं के बेहतर प्रबंधन या पूर्वानुमान करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का निर्माण करें। भारत में इस एकेडेमिया एक्सेलरेटर कार्यक्रम के सातवें वर्ष में 21 महाविद्यालयों के 5000 से भी ज्यादा विद्यार्थियों ने यह चुनौती ली औऱ इसके जरिए 350 से भी ज्यादा नए प्रोजेक्ट सामने आए। इनमें शीर्ष 21 टीमों ने आज बेंगलुरु के नए माइक्रोसॉफ्ट कैम्पस में अपना समाधान प्रस्तुत किया।
आज हुए इस कार्यक्रम के दौरान इसी के आसपास और अधिक संभावनाओं का पता लगाने के लिए, कुछ विषयों जैसे- AI फॉर द अर्थ : वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए समाधान, स्वास्थ्य डेटा सहयोगात्मक AI नेटवर्क और स्मार्ट सिटी डिजाइन करने के लिए कुशलता जैसे पसंदीदा विषयों पर चर्चा की गई।
एकेडेमिक एक्सेलरेटर का उद्देश्य छात्रों को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी प्रवृत्तियों और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ ही उद्योग से जुड़े मौजूदा कंप्यूटर विज्ञान पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना है। माइक्रोसॉफ्ट में, हम अद्वितीय तरीके देखते हैं कि AI का उपयोग उत्पादों, सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कैसे किया जा सकता है और कैसे AI के लाभकारी उपयोग पर संवाद को बढ़ावा देने से बड़े पैमाने पर समस्याओं के दीर्घकालिक स्थायी समाधान को सक्षम करने में मदद मिल सकती है।” ऐसामाइक्रोसॉफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (आर एंड डी) की निदेशक, बिजनेस मैनेजमेंट चित्रा सूद ने कहा। “भारत में AI संचालित समाधानों के विकास का केंद्र बनने की अपार संभावना है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के साथ माइक्रोसॉफ्ट का जुड़ाव इंजीनियरिंग स्कूलों में छात्रों की नवाचार यात्रा को जोड़ने और समृद्ध करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता है। हम देश के बेहतर परिवर्तन के लिए AI फॉर गुड का लाभ उठाने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। यह AI और इसके फायदों को जमीनी स्तर पर सुलभ बनाता है। हम AI का उपयोग कर समस्या को हल करने की दिशा में छात्रों द्वारा दिखाए गए उत्साह से बेहद उत्साहित हैं और आशा करते हैं कि वे अपने कॅरियर के माध्यम से इस चुनौती में अपने सीखने की प्रवृत्ति को को लागू करेंगे।” उन्होंने आगे कहा।
एकेडेमिया एक्सेलरेटर टीम वर्क और सहयोग के साथ-साथ बहु-अनुशासनात्मक फोकस की अवधारणाओं पर प्रकाश डालता है, जो छात्रों को शुद्ध प्रौद्योगिकी या कोड से परे सफलता के अन्य समान रूप से महत्वपूर्ण कारकों जैसे उपयोगकर्ता अनुभव, डिजाइन, ग्राहक मूल्य प्रस्ताव आदि की ओर ले जाता है।
माइक्रोसॉफ्ट नवाचार को बढ़ावा देने और समुदायों पर वास्तविक प्रभाव बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही इस बात पर भी ध्यान केन्द्रीत किया जा रहा है, ताकि छात्र वास्तविक चुनौतियों का सामना समाधान की नई सोच के साथ कर सकें। माइक्रोसॉफ्ट एकेडेमिया एक्सेलरेटर जैसी पहल छात्रों के सीखने के लिए जानकारी जुटाने का बेहतर अवसर प्रदान करती है। इतना ही नहीं करियर की बेहतरी के लिए जरुरी कौशल और प्रशिक्षण के अलावा, छात्रों को औद्योगिक जगत के अनुभवी लोगों से मार्गदर्शन और सलाह मिलती है, जो उनके लिए एक उद्यमी, इनोवेटर या टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में भविष्य के द्वार खोलने का काम करता है। चूंकि चात्र अपने सफर में आजीवन कॅरियर कौशल हासिल करते हैं, ऐसे में इन कार्यक्रमों के माध्यम से, छात्रों को बड़े सपने देखने, रचनात्मक रूप से निर्माण करने, प्रतियोगिता के माध्यम से सीखने और अपने विचारों को साहसपूर्वक जीवन में लाने के लिए सशक्त बनाया जाता है।
विजेता टीम के लिए प्रोजेक्ट
आईआईटी मद्रास : आपदा प्रबंधन के लिए यूएवी (विजेता)
जब भी आपदा आती है, सटीक जानकारी जुटाने के साथ ही जीवन रक्षक सहायता उपलब्ध करना काफी महत्वपूर्ण होता है। परियोजना का उद्देश्य इस सटीक मुद्दे को एंड-टू-एंड ऑटोनोमस सिस्टम बनाकर हल करना है। इसका मकसद एआई और कंप्यूटर विजन से संचालित यूएवी के उपयोग के जरिए, आपदा में फंसे लोगों से जुड़ी सटीक जानकारी उपलब्ध कराना है। इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र को कवर करने के लिए ड्रोन का भी सहारा लिया जा सकता है। इसके जरिए दिखाई देने वाले और आंशिक रुप से दिखने वाले और जो वहां से कहीं जाने में सक्षम हों या नहीं, इसका पता लगाकर उपलब्ध संसाधनों के जरिए उन्हें लाभान्वित करना है।
आईआईटी गुवाहाटी: DUBG (प्रथम उप विजेता)
DUBG आपदा प्रबंधन के बाद की स्थिति के लिए एक मिश्रित वास्तविकता ऐप है। बचावकर्मी ऑपरेशन के दौरान व्यस्त रहते हैं, यही कारण है कि यह ऐप मिश्रित वास्तविकता पर आधारित है, ताकि बचावकर्ता अपने मार्गों की पूर्व योजना बनाने में समय बर्बाद न कर किसी भी संचार उपकरण का संचालन कर सकें। DUBG संचार, नेविगेशन और वर्तमान स्थिति की निगरानी जैसे बुनियादी कार्यों को बचावकर्ताओं के लिए आसान बनाता है। टीम का विज़न एक ऑगमेंटेड रियलिटी आधारित नेविगेशन सिस्टम बनाना है, जो बचाव अभियान को परेशानी मुक्त बनाने के लिए ध्वनि की सहायता से बढ़ाया जाता है। मिश्रित वास्तविकता और एज़्योर स्पीच रिकॉग्निशन जैसी माइक्रोसॉफ्ट की वर्तमान तकनीक का उपयोग करते हुए, आईआईटी गुवाहाटी टीम ने वर्तमान आपदा प्रबंधन प्रणाली को फिर से तैयार कर लिया है।
आईआईटी जोधपुर: आपदा श्रृंखला (दूसरा उप विजेता)
परियोजना एक विस्तारित IoT-आधारित समाधान है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों जैसे घर / भवन के कमरों में स्वचालन समाधान के रूप में लगाया गया है, जो एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करता है और आपदाओं का पता लगने की स्थिति में सुरक्षा की दिशा में एहतियाती कदम उठाता है। इससे जुड़े डेटा क्लाउड के जरिए स्टोर होते हैं, ताकि बाद में इसका विश्लेषण किया जा सके। गौरतलब है कि यह एक एंड्रॉइड ऐप (स्किनएप) के साथ काम करता है, जो माइक्रोसॉफ्ट के कस्टम विजन सेवा (संज्ञानात्मक सेवाओं) पर प्रशिक्षित एक एक्सपोर्टेड टेंसर फ्लो मॉडल के उपयोग के जरिए आपदा क्षेत्र से बचे लोगों संबंधी त्वचा रोगों की ऑफ़लाइन जानकारी उपलब्ध कराता है।
एकेडेमिया एक्सेलरेटर के बारे में
यह विशेष कार्यक्रम, कंप्यूटर विज्ञान पाठ्यक्रम और छात्र नवाचार संवर्धन के जरिए शैक्षिणक संस्थानों के साथ माइक्रोसॉफ्ट के जुड़ाव को सक्षम बनाता है। इसके साथ ही पाठ्यक्रम विकास कार्यक्रम का मकसद तकनीकी बूट शिविर, गेस्ट लेक्चर, सहायक शिक्षक, पाठ्यक्रम समीक्षा और विकास, नेतृत्व वार्ता, प्रौद्योगिकी कार्यशालाओं, संयुक्त शोध पत्रों और छात्र परियोजनाओं में मेंटरिंग के जरिए कंप्यूटर विज्ञान शिक्षकों को भी बेहतर बनाने का काम किया जाता है। यही नहीं एक कोड श्रृखला के जरिए कैम्पस में छात्र नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाता है। यही नहीं code.fun.do जैसे हैकथॉन, छात्रों को भागीदारी वाले कैम्पस में आधुनिक और वास्तविक दुनिया से जुड़े अनुप्रयोगों के निर्माण के लिए टीम वातावरण में सहयोगात्मक रूप से काम करने का अवसर प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं माइक्रोसॉफ्ट के मोबाइल और क्लाउड के साथ ही कार्यशालाओं की एक श्रृंखला के जरिए आधुनिक और उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए प्रासंगिक विषयों की एक विस्तृत जानकारी भी मिलती है।
AI फॉर अर्थ
AI फॉर अर्थ, माइक्रोसॉफ्ट की 50 मिलियन डॉलर वाली प्रतिबद्धता है, जिसके जरिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अगले 5 वर्षों के लिए पृथ्वी पर कार्य के लिए AI का उपयोग करना है। जुलाई 2017 में लॉन्च इस कार्यक्रम के जरिए जलवायु परिवर्तन, कृषि, जैव विविधता और पानी पर ध्यान केन्द्रीत किया जा रहा है। सिर्फ एक वर्ष में ही पृथ्वी के लिए AI 20अनुदानों से बढ़कर 147 हो गया है, और इसकी पहुंच 40 देशों तक है, जिसे अब तक 1.1 मिलियन डॉलर एज्यूर (Azure) क्रेडिट से सम्मानित किया गया है। AI फॉर अर्थ, वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करने वाले लोगों को माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड और AI टूल जैसी सुविधा उपलब्ध कराता है। क्लाउड और AI उपकरण तक पहुंच प्रदान करने वाले अनुदानों के माध्यम से, AI पर शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर, नवाचारों में निवेश, स्केलेबल समाधानों में निवेश के साथ ही AI फॉर अर्थ दुनिया भर में स्थिरता को आगे बढ़ाने का काम करता है।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के बारे में
माइक्रोसॉफ्ट (Nasdaq “MSFT” @microsoft) एक बुद्धिमान क्लाउड और एक तेज धार वाले युग के लिए डिजिटल परिवर्तन को सक्षम करता है। इसका प्रत्येक व्यक्ति के साथ ही पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक संगठन को ज्यादा से ज्यादा हासिल करने के लिए सशक्त बनाना है। माइक्रोसॉफ्ट ने वर्ष 1990 में भारत में अपना संचालन शुरू किया था। वर्तमान में भारत में माइक्रोसॉफ्ट की संस्थाओं में 9,000 से अधिक कर्मचारी हैं, जो 11 भारतीय शहरों – अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, नई दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, हैदराबाद, कोच्चि,कोलकाता, मुंबई और पुणे में बिक्री और विपणन, अनुसंधान और विकास के साथ ही ग्राहक सेवा कार्यों से जुड़े हैं। माइक्रोसॉफ्ट अपने स्थानीय डेटा केन्द्रों के जरिए भारत में क्लाउड आधारित वैश्विक सेवा प्रदान करता है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में, माइक्रोसॉफ्ट ने सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में अपने आठ साइबर सुरक्षा केंद्रों में से एक की शुरूआत की थी।