देहरादून: आल इण्डिया लीगल एड फोरम द्वारा हमारे राष्ट्रीय महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के सम्मान में गुरूवार को पैसिफिक होटल में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया है।
प्रेसवार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ऑल इण्डिया लीगल एड फोरम के महासचिव जयदीप मुखर्जी अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय, भारत ने कहा कि देश के लिए यह दुर्भाग्य ही है कि अभी तक सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के सन्दर्भ में कोई प्रमाणित जानकारी नहीं मिल पाई है। 18 अगस्त 1945 में विश्व के सामने एक नियोजित हवाई दुर्घटना की अफवाह फैलाई गई। लेकिन यह समाचार प्रमाणित नहीं था।
1956 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा सर्वप्रथम पहला जांच आयोग शाहनवाज हुसेन की अध्यक्षता में गठित हुआ और इस आयोग की रिपोर्ट को नेताजी के बड़े भाई सुरेश चन्द्र बोस ने अस्वीकार कर दिया।
नेताजी के चाहने वालों की मांग पर तत्कालीन देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गांधी द्वारा सेवा निर्वित न्यायाधीश जीडी खोसला की अध्यक्षता में दूसरे जांच आयोग का गठन किया गया। 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देशाई ने इस आयोग की रिपोर्ट को संसद में नकार दिया। 1998 में जब भारत सरकार ने नेताजी को मरणोपरान्त भारत रत्न देने का निर्णय लिया तो उनके चाहने वालों ने यह आवाज उठाई कि पहले बने दोनों आयोगों को नकारे जाने के बावजूद भारत सरकार ने कैसे उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न देने का निर्णय लिया। कोलकाता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई और तत्कालीन मुख्यन्यायधीश ने 18 अगस्त 1945 में नेताजी के कथित अंतर्घ्यान होने की जांच के लिए सेवानिर्वित न्यायाधीश मनोज मुखर्जी की अध्यक्षता में तीसरे आयोग के गठन का आदेश दिया।
राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की जांच के बाद न्यायाधीश मनोज मुखर्जी ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट दी जो निम्न है-
1-नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु हो गई है।
2-कथित, 18 अगस्त,1945 के हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई है।
3-रेनकोजी मंदिर में रखी गई नेताजी की अस्थियां उनकी नहीं है।
4-भारत सरकार का दाइत्व है कि नेता जी की मृत्यु की प्रमाणित जानकारी दे।
1990 में सोवियतसंघ रूस के विघटन के बाद वहां की खुफिया एजेंसी केजीबी ने रूस सरकार की अवर्गित फाइलों को सार्वजनिक करने की बात की। विभिन्न केजीबी फाइलों से यह स्पष्ट प्रमाण मिला है कि 18 अगस्त 1945 में नेताजी ने रूस में शरण लिया था। लेकिन भारत सरकार ने अभी तक केजीबी की फाइलों को देने के लिए रूस को कोई औपचारिक पत्र नहीं भेजा है। दुर्भाग्यवस भारत सरकार इस सम्बन्ध में अभी तक शांत है। जबकि सरकार के पास टॉप सेक्रेट के रूप में सूचीबद्ध 39 फाइलें सुरक्षित हैं।
विभिन्न शोधकर्ताओं ने अनौपचारिक रूप से केजीबी से प्राप्त किये गए साक्ष्य के आधार पर यह दर्शाया गया है कि नेताजी की मृत्यु साइबेरिया की जेल में हुई थी।
अतः ऑल इण्डिया लीगल एड फोरम भारत सरकार से मांग करता है कि-
1-जल्द से जल्द नेताजी के सन्दर्भ में 39 सीक्रेट फाइलों को असूचीबद्ध करें जिससे सत्य सामने आये।
2-भारत सरकार केजीबी फाइलों के लिए रूस सरकार को पत्र भेजो।
3-आजाद हिन्द फौज और नेताजी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को स्कूल और कालेजों के पाठयक्रम में मान्यता दें।
4-नेताजी के जन्म दिवस 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोसित करें।
5-आजाद हिन्द फौज की संपत्ति (उस समय कुल 72 करोड़ रूपये) का खुलाशा करे।
6-ऑल इण्डिया लीगल एड फोरम भारत सरकार से यह भी मांग करता है कि इतिहासकार प्रतुल गुप्ता की किताब “हिस्ट्री ऑफ आईएनए एंड नेताजी सुभाष चन्द्र बोस” जोकि सेन्ट्रल डिफेन्स अकादमी में आज तक जवाहर लाल नेहरू के द्वारा सूचिबद्ध प्रपत्र के रूप में रखवाई गई है, की सार्वजनिक करे।
7-नेताजी और आईएनए के सम्मान में भारत सरकार दिल्ली के लाल किले के सामने नेताजी की एक बड़ी कांस्य प्रतिमा स्थापित करें। सामान रूप से हमारे स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जूल 1953 में कश्मीर जेल में हुई रहस्यमई तरीके से मृत्यु की सच्चाई भी देश की जनता के सामने लाये।
इसलिए “ऑल इण्डिया लीगल एड फोरम” कड़ाई से भारत सरकार से मांग करता है कि सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमई मृत्यु की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिर्वित न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित करें।
इसी तरह हमारे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत के भुतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जिनकी 1966 में सोवियत संघ रूस में ताशकंद समझौते के दौरान रहस्यमई तरीके से मृत्यु हुई। इनकी रहस्यमई मृत्यु की जांच के सन्दर्भ में भी भारत सरकार अभी तक शांत है। ऑल इण्डिया लीगल एड फोरम भारत सरकार से इनकी रहस्यमई मृत्यु की जांच हेतु उच्चतम न्यायालय के सेवानिर्वित न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित करने की मांग करता है।
यह महत्वपूर्ण है कि हमारे सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और सामाजिक कार्यकर्ता राम मनोहर लोहिया ने भी स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की रूस में रहस्यमई मृत्यु की उचित जांच की बात दोहराई थी। हमने देखा है कि राम मनोहर लोहिया की भी दिल्ली की एक नर्सिंगहोम में सेप्टीसीमिया रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई। इसलिए हम वर्तमान सरकार से कड़ाई से मांग करते हैं कि तीनों राष्ट्रीय नेताओं की रहस्यमई मौतों की जांच कराकर सच्चाई को भारत की जनता के सामने रखें और देश के इतिहास में एक नया अध्याय जुडें़।