लखनऊ: पराग के जनपदीय दुग्ध संघों द्वारा सहकारिता से जुड़े दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध समितियों के माध्यम से अभी तक वसा एवं वसा रहित ठोस के आधार पर साप्ताहिक दुग्ध मूल्य का भुगतान किया जा रहा था। उक्त प्रक्रिया से 06 प्रतिशत से अधिक चिकनाई (वसा) का दूध समिति में देने वाले दुग्ध उत्पादकों को वाजिब दुग्ध मूल्य प्राप्त नहीं हो रहा था।
उक्त विसंगति को दूर करते हुए 05 नवम्बर, 2015 से पराग द्वारा दुग्ध मूल्य निर्धारण की नई पद्धति लागू की गई है जिसके तहत 5 प्रतिशत से अधिक वसा वाले दुग्ध को उनके वसा के आधार पर (प्रोरेटा पद्धति) से एवं 03 प्रतिशत से 05 प्रतिशत वसा वाले दुग्ध को समानुपातिक वसा मूल्य (ई0एफ0यू0) के आधार पर भुगतान किये जाने का निर्णय लिया गया है।
यह जानकारी पी0सी0डी0एफ0 के मुख्य महाप्रबंधक श्री रणवीर प्रसाद ने दी। उन्होंने बताया कि प्रोरेटा पद्धति में अधिक वसा का दूध समिति में देने वाले उत्पादकों विशेषकर भैंस का दूध समिति में देने वाले दुग्ध उत्पादकों को अधिक दुग्ध मूल्य प्राप्त होगा। इस प्रकार अधिक वसा का दूध दे रहे दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी दैनिक आय में वृद्धि होगी।
महाप्रबंधक ने बताया कि इसी प्रकार गाय के दूध को प्रोत्साहित करने हेतु 03 से 05 प्रतिशत वसा वाले दूध हेतु समानुपातिक वसा मूल्य (ई0एफ0यू0) के आधार पर दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध मूल्य का भुगतान किया जायेगा। इससे गाय का दुग्ध उत्पादन करने वाले उत्पादकों को प्रोत्साहन मिलेगा। पराग का प्रबन्धन सदैव दुग्ध उत्पादकों के हित को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता आया है। इस नई पद्धति से प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों को उनके द्वारा उत्पादित दूध का अधिक मूल्य प्राप्त हो सकेगा तथा दुग्ध उत्पादकों को इससे सीधा लाभ होगा।