देहरादून: जंगलों में गेहूं, जौ, मंडुवा आदि के बीजों का छिड़काव किया जाए ताकि जानवरों को जंगलों में भोजन मिल सके और प्राकृतिक खाद्य श्रंृखला को बनाए रखा जा सके।
शुक्रवार को बीजापुर हाउस में वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मानव-वन्य जीवो के संघर्ष की स्थिति को रोकने के लिए प्राकृतिक उपायों को अपनाए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिरणों के ब्रीडिंग फार्म बनाए जाएं। मैदानी क्षेत्रों के जंगलों से लगे गांवों में मौनपालन को प्रोत्साहित किया जाए। वहां वन सीमा पर करी पत्ता के पौधे लगाए जाएं। जल संरक्षण के लिए काम कर रही सभी एजेंसियों में बेहतर तालमेल की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि जंगली जानवरों के गांवों मे प्रवेश को रोकने के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रबंध किए जाएं। वन सीमा पहले खाईयां बनाई जाएं। इसके आगे झाडि़यों की बाड़ (हेज) लगाकर सोलर फेंसिंग की जाए। सोलर फेंसिंग हेज से आच्छादित होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शिकायतें मिलती रहती हैं कि बाहर से आकर लोग उत्तराखण्ड के जंगलों में बंदर व अन्य जानवरो को छोड़ रहे हैं। वन विभाग व पुलिस विभाग राज्य के सीमाओं पर स्थित चैकियों को अलर्ट रहने के निर्देश दें और बाहर से आकर उत्तराखण्ड में बंदर व अन्य जानवर छोड़ने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषतौर पर जंगली सूअरों को रोकने के लिए दीवारें बनाई जानी हैं। कुछ गांवों को चिन्हित कर माॅडल के रूप में वहां दीवारबंदी करवाई जाए। अब जंगली सूअरों को मारने की अनुमति फोरेस्टर स्तर पर भी दी जा रही है। वन विभाग, खेती को नुकसान पहुंचाने वाले सूअरों को मारने के लिए ग्रामीणों को गेालियां उपलब्ध करवाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने वनों में चाल-खाल के निर्माण में तेजी लाए। भराड़ीसैण में भी जलाशय विकसित किए जाएं। प्रदेश में अखरोट के पेड़ लगाने के लिए वन विभाग हाॅर्टीकल्चर विभाग के साथ काम करें। बीजू आम, मेहल, भिंगारू, काफल, पांगर, तिमला आदि का सघन वृक्षारोपण किया जाए। बैठक में मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव एस रामास्वामी, सचिव अमित नेगी, पीसीसीएफ बीना शेखरी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।