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पशुधन निदेशालय से सचल चिकित्सा वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करते हुएः मा0 पशुपालन मंत्री प्रीतम पंवार

उत्तराखंड
देहरादून: उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य के भेड़-बकरी पालकों एवं अन्य पशु पालकों के सहायतार्थ हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत आज पशुधन निदेशालय मोथोरावाला से पांच सुसज्जित सचल पशु चिकित्सा वाहनों को पांच जनपदों हेतु मा0 पशुपालन मंत्री प्रीतम पंवार द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया तथा इस अवसर पर उनके द्वारा पशुपालन विभाग की वैबसाइट भी लांच की गयी।

इस अवसर पर मा0 मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के भेड़-बकरी व अन्य पशुपालकों के पशुओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अभी पांच जनपदों जिसमें पिथौरागढ, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली एवं टिहरी से इसकी शुरूआत की जा रही है, जो वाहन सम्बन्घित जनपदों के मुख्यालयों से क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार अपनी पशु चिकित्सा सुविधा मुहैया करायेगी। उन्होने कहा कि राज्य के भेड़ बाहुल्य जनपदों भेड़-बकरी पालकों के पशुओं को पशु चिकित्सा सेवाएं, स्वास्थ्य रक्षा, टीकाकरण, दवापान, दवास्नान, बधियाकरण आदि सुविधाएं देगी। उन्होेने बताया कि सचल पशुचिकित्सा वाहन में वैक्सीन हेतु कोल्डचैन बनाये रखने के उद्देश्य से वैक्सीन कैरियर, स्थल पर प्रारम्भिकि प्रयोगशाला जांच की सुविधा हेतु माइक्रोस्कोप, उपकरण एवं रसायन, ऊन कतरन मशीन चलाने हेतु जनरेटर, लाइट की व्यवस्था हेतु इनर्वटर, चिकित्सा सुविधा हेतु औषधि एवं अन्य सामाग्रियों की व्यवस्था आदि से सुसज्जित की गयी है, वाहन में दूरस्थ क्षेत्रों में सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जी.पी.एस ट्रैकिंग सिस्टम का प्रावधान किया गया है तथा चिकित्सा शिविरों के आयोजन के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से वाहन स्पीकर की सुविधा दी गयी है।
उन्होने कहा कि ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन प्रवास एवं प्रवर्जन मार्गों पर यात्रा के दौरान उपरोक्त पांच जनपदों  के अतिरिक्त अल्मोड़ा, नैनीताल, चम्पावत, उधमसिंह नगर, रूद्रप्रयाग, पौड़ी, देहरादून हरिद्वार जनपदों के भेड़-बकरीपालकों को पशुचिकित्सा, स्वास्थ्य रक्षा, टीकाकरण, दवापान, दवास्नान, बधियाकरण तथा मशीन द्वारा उन कतरन की सुविधाएं उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होने कहा कि शिविरों के माध्यम से पशुचिकित्सा रोग निदान हेतु प्रयोगशाला जांच सुविधा पशुपालकों को उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होने कहा कि विशेषज्ञो द्वारा पशुपालकों को नवीनतम तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण प्रदान करना तथा मशीन द्वारा ऊन कतरन की उपयोगिता के सम्बन्ध में प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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