देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वन गूजरो को संरक्षित क्षेत्र से पुनवार्सित करने तथा उनके पारम्परिक अधिकारो की सुरक्षा फारेस्ट, फारेस्ट कन्जरवेशन एक्ट के साथ ही न्यायालय के दिशा निर्देशो के अनुसार किये जाने पर बल दिया है। उन्होने कहा कि जिन वन गूजरो का विस्थापन अभी तक नही हो पाया है उन्हे विस्थापित होने तक उनके अधिकार प्राप्त होते रहने चाहिए।
सोमवार को बीजापुर अतिथि गृह में वन गूजरो के पुनर्वास वन मे चुगान एवं खेती के अधिकार तथा सीमांकित खेत चारा आदि से सम्बंधित बैठक में मुख्यमंत्री श्री रावत ने वन गूजरो के अधिकारो के सम्बंध में प्रक्रिया निर्धारण से सम्बंधित विषयों पर भी शीघ्रता से कार्यवाही करने को कहा। इस सम्बंध में गठित की जाने वाली समिति के शीघ्र गठन पर भी उन्होने बल दिया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन गूजर भी हमारे नागरिक है उनकी जिम्मेदारी भी हमारी है, उनके पुनर्वास में तेजी से कार्य हो, इसके लिये समेकित प्रयास किये जाय। उन्होने कहा कि फारेस्ट लैण्ड व डिग्रेटेड फारेस्ट आदि भूमि को चिन्हित कर जो प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे जाने है, तथा जिन मामलो में राज्य स्तर पर कार्यवाही होनी है उन पर अविलम्ब कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ताकि गेडीखता व पथरी आदि स्थानों की भांति उनका भी विस्थापन हो सके। उन्होने कहा कि गोट व खत्ते वालो को पानी, चारा आदि के जो अधिकार मिल रहे है उसी प्रकार की सुविधा इन्हे भी मिलनी चाहिये। इस सम्बंध में विभागीय स्तर पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए व्यवहारिकता के साथ कार्यवाही की जानी चाहिये।