नई दिल्ली: सरकार सतत विकास के जरिये कृषि में उच्च विकास दर के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए अऩेक योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिचाई योजना के माध्यम से परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रति बूंद और फसल के जरिये जल क्षमता में वृद्धि शामिल हैं। ये हातें आज गोवा में कृषि और किसान विकास मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने एशियाई बीज कांग्रेस को संबोधित करते हुए कही। उऩ्होंने कहा कि सरकार रोजगार गांरटी योजनाओं तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार बनाने के लिए निरन्तर समर्थन दे रही है। कृषि एवं विकास मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारत बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था के विकास में ठोस योगदान करने वाले क्षेत्रों में कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
यह माना जाता है कि कृषि उत्पादन और उत्पादकता मुख्य रूप से गुणवत्ता संपन्न बीजों पर निर्भर करते हैं। इस तरह के आयोजन से क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता संपन्न बीजों की उपलब्धता बढ़ाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बीज क्षेत्र न केवल कृषि फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाने मे मदद करता है बल्कि डेयरी, पशुपालन,मछली पालन और मुर्गी पालन जैसे संबंद्ध क्षेत्रों में रोजगार सृजन और विकास में सहायक भी सहायक है।
उन्होंने कहा कि सरकार के लिए कृषि फोकस क्षेत्र है। माननीय प्रधानमंत्री ने किसानों के समग्र कल्याण के साथ कृषि उत्पादकता बढ़ाने का आहवान किया है। इसीलिए समग्र दृष्टि विकसित करने के उद्देश्य से मंत्रालय का नया नाम कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय रखा गया है। सरकार सतत विकास के जरिये कृषि में उच्च विकास दर के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए अऩेक योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिचाई योजना के माध्यम से परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रति बूंद और फसल के जरिये जल क्षमता में वृद्धि शामिल हैं।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि भारत में बीज क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह क्षेत्र सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के लिए सामान और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा कि भारत अब पर्याप्त खाद्य भंडार वाला देश है। दालों और तिलहनों को छोड़कर अनेक खाद्यानों में हमारा भंडार आवश्यकता से अधिक है और हम अपनी आबादी को खिलाने में सक्षम हैं।
यह सच है कि कुछ फसलों के उत्पादन में ठहराव आ गया है लेकिन ये बाधाएं नई और नवाचारी तकनीकों और व्यापक कृषि विकास प्रयास से दूर की जा सकती हैं। बीज क्षेत्र कृषि फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। बीज के नये और बेहतर किस्मों को विकसित करने के लिए अऩुसंधान और विकास कार्यों में और अधिक निवेश किया जाना चाहिए। इससे ने केवल हमारी उत्पादन क्षमता बड़ी होगी बल्कि जैविक और अजैविक दबावों को रोकने और सहने में व्यापकता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि चिन्हित बीज उत्पादन क्षेत्र, पेशेवर तरीके से संगठित बीज गांव और निजी क्षेत्र ने भारत को संभावित बीज स्रोत्र केन्द्र बनाया है। यह भारत सरकार के नीतिगत समर्थन के बिना संभव नहीं होता। राष्ट्रीय बीज उत्पादन कार्यक्रम, 1988 की नई बीज नीति से बीज व्यवसाय में निजी क्षेत्र की भागीदारी के द्वार खुले और राष्ट्रीय बीज नीति 2002 से बीज क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ। क्षेत्र के विकास में पौध प्रकार संरक्षण तथा किसान अधिकार अधिनियम 2001 और जैवविविधता अधिनियम 2002 का भी योगदान है। गुणवत्ता संपन्न बीजों की पर्याप्त उपलब्धता से अधिक उत्पादन सुनिश्चित होता है और दूसरी ओर उद्यमियों को समर्थन मिलता है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण कायाकल्प के लिए कृषि क्षेत्र की क्षमता की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि हमारी आबादी का साठ प्रतिशत हिस्सा आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अध्ययनों से यह संकेत मिलता है कि कृषि क्षेत्र में एक प्रतिशत की वृद्धि गरीबी कम करने में दोगुना से तीगुना अधिक कारगर है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है।
अभी घरेलू बीज बाजार 15 हजार करोड़ रुपये का है और विश्व बीज बाजार में भारत की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत से कम है। लेकिन राष्ट्रीय बीज उत्पादन कार्यक्रम से , 1988 की नई बीज नीति से बीज व्यवसाय में निजी क्षेत्र की भागीदारी का द्वार खुला और राष्ट्रीय बीज नीति 2002 से बीज क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ। आर्थिक सहयोग और विकास (ओईसीडी) में भारत की भागीदारी से इस बात की गारंटी मिलती है कि गुणवत्तासंपन्न बीजों का निर्यात कम बाधा के साथ किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय बीज बाजार तेजी से बढ़ रहा है। सब्जियों के संकर बीज बाजार में काफी वृद्धि हुई है। हम कम कीमत के खाद्यान , मोटे अनाज की फसलों के विकास की दिशा में सामान रूप से ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय बीज उद्योग विश्व बाजार को बीजों की सप्लाई करने वाला प्रमुख उद्योग बन सकता है। भारत में संकर बीज उत्पादन की क्षमता अधिक काफी है। विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों,कुशल मानव संसाधन और उद्यम से हम विभिन्न किस्मों के बीज उत्पादन के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। यह अवसर निर्यात के लिए है विशेषकर उच्च मूल्य की सेचित सब्जियों , जमीन के अंदर की फसलों तथा पुष्प बीजों के निर्यात के लिए । श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि लक्षित उत्पान बीज गुणवत्ता संपन्न हांसिल करने में यदि बीज उद्योग को किसी तरह की बाधा महसूस होती है तो उद्योग ऐसी बाधाओं के प्रति मंत्रालय का ध्यान आकर्षित कर सकता है और मंत्रालय समस्या समाधान का भरपूर प्रयास करेगा।