19.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

श्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में प्रणालीगत सुधार करने का समय अब आ गया है

देश-विदेश

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि वित्तीय समावेश और समावेशी विकास समय की मांग हैं। उपराष्ट्रपति ने ‘अंत्योदय’ पर विशेष जोर दिया और इसके साथ ही कहा कि विकास तब तक कोई मायने नहीं रखता है जब तक कि इसके लाभ समाज के सबसे वंचित समूहों तक न पहुंच जाएं। श्री नायडू आज नई दिल्ली में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 125वें स्थापना दिवस समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत प्रमुख एवं प्रेरणादायी भूमिका निभाने वाली शख्सियत श्री लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार के सदस्यों का अभिनंदन किया।

श्री नायडू ने बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) अथवा फंसे कर्जों को ध्यान में रखते हुए भारतीय बैंकिंग सेक्टर में प्रणालीगत सुधार सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने समुचित जांच एवं संतुलन की कारगर एवं दक्ष प्रणाली स्थापित करने की जरूरत पर विशेष बल दिया ताकि बैंकिंग प्रणाली में अंतर्निहित खामियों से लाभ नहीं उठाया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के वित्तीय संस्थानों की सराहना पूरे विश्व में होती रही है क्योंकि ये काफी सुदृढ़ हैं और इन संस्थानों ने वैश्विक स्तर पर छाई आर्थिक सुस्ती एवं मंदी का बड़ी मजबूती के साथ सामना किया था। उन्होंने यह राय व्यक्त की कि बैंक अब महज एक मजबूत लॉकर नहीं रह गए हैं और ये केवल जमा राशियों पर आकर्षक ब्याज देने के लिए नहीं जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंक अपनी पारंपरिक भूमिका से कहीं आगे निकल गए हैं और अब ये भारत की विकास गाथा में सबसे आगे रहते हैं।

श्री नायडू ने कहा कि भारत में वित्तीय समावेश के साथ-साथ समावेशी विकास पर किए जा रहे फोकस में बैंकों ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र बड़ी तेजी से विकास करेगा क्योंकि देश में तेजी से आगे बढ़ता व्यवसाय एवं वाणिज्य क्षेत्र ऋणों के साथ-साथ अन्य वित्तीय सेवाओं की प्राप्ति के लिए बैंकों की ओर उन्मुख होगा। उन्होंने इन विकास संभावनाओं से जुड़े अनेक कारकों (फैक्टर) जैसे कि तेजी से विकसित होते मध्यम वर्ग और डिजिटल क्रांति को उद्धृत किया।

उपराष्ट्रपति ने बैंकिंग से जुड़ी डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसे कि तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), रुपे और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) एवं इस पर आधारित मोबाइल एप ‘भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम)’ में भारत द्वारा हासिल की गई बढ़त का उल्लेख करते हुए कहा कि बैंकों को विश्वस्तरीय कारोबारी स्तर हासिल करने के लिए डिजिटल क्षेत्र में हुए विकास से और ज्यादा लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने नए एवं अभिनव कारोबारी मॉडलों जैसे कि पेमेंट बैंकों और छोटे फाइनेंस बैंकों का भी उल्लेख किया।

श्री नायडू ने बैंकों को ऋणों की मंजूरी से पहले एवं इसके बाद की प्रक्रियाओं में कठोर अनुशासन बनाए रखने का निर्देश दिया और उनसे कहा कि अहम जानकारियां प्राप्त करने से कोई समझौता नहीं करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने जानबूझकर कर्ज अदायगी में चूक या डिफॉल्ट करने के साथ-साथ धोखाधड़ी करने के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन लोगों और निकायों के खिलाफ त्वरित एवं अनुकरणीय कार्रवाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए।

श्री नायडू ने कहा कि बैंकों को सदैव कारोबारी नैतिकता और उचित कॉरपोरेट गवर्नेंस का सख्ती से पालन करना चाहिए। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि बैंकों को ग्राहकों को कर्ज देते समय बड़ी जवाबदेही के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि नैतिकता को जोखिम भरी गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे और बुरे समय में ग्राहकों एवं अन्य हितधारकों का कल्याण किसी भी व्यवसाय में चिंता का प्रमुख विषय होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने इस संदर्भ में महात्मा गांधी को उद्धृत किया जिन्होंन यह कहा था “नैतिकता के बिना व्यवसाय” सात घातक पापों में से एक है।

इस अवसर पर पंजाब नेशनल बैंक के चेयरमैन श्री सुनील मेहता, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्री अशोक पाल सिंह, सदस्य (नियोजन एवं एचआरडी), पोस्टल सर्विसेज बोर्ड और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More