लखनऊ: प्रदेश के सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री नितिन अग्रवाल ने कहा है कि राज्य में 50 करोड़ से अधिक लागत की परियोजनाओं की स्थापना के लिए आॅन लाइन सिस्टम को प्रभावी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि इसे पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करने का फैसला किया जा चुका है।
उद्योग बंधु को और अधिक सुदृढ़ करके औद्योगिक स्वीकृतियों के लिये एकल मेज व्यवस्था को नई गति दी जाये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण के लिए सप्ताह में एक दिन अर्थात् प्रत्येक शुक्रवार को जिला उद्योग केन्द्रों में सम्बंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहें।
श्री अग्रवाल आज यहां योजना भवन के सभागार में उद्योग विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक वातावरण को और अधिक बेहतर बनाये जाने के लिए प्रभावी व्यवस्था की गयी है और अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे उद्यमियों के मार्गदर्शक बनकर उन्हें सहयोग प्रदान करें। उन्होंने 50 करोड़ रूपये से अधिक पूंजीनिवेश वाले उद्योगों का आॅन लाइन सिस्टम का फीडबैक लेकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम स्थापना के लिए भी इस व्यवस्था कोे प्रभावी रूप से लागू करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उद्योग स्थापना के लिए आवश्यक समस्त सहमतियों/प्रमाण-पत्रों हेतु आवेदन एवं प्रमाण-पत्र निर्गत किये जाने के लिए जिला उद्योग केन्द्रों को एक सिंगल प्वाइंट काॅन्टेक्ट के रूप में विकसित किया जायेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिला उद्योग केन्द्र द्वारा संचालित योजनाओं, उनकी पात्रता तथा लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया को जनसामान्य को उपलब्ध कराने हेतु एक बोर्ड प्रत्येक जिला उद्योग केन्द्र के बाहर प्रदर्शित किया जाये, ताकि लोगों को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी प्राप्त हो सके।
श्री अग्रवाल द्वारा जिला उद्योग केन्द्रों को और अधिक शसक्त बनाने के लिए अब जिला उद्योग बंधु की बैठक में जिलाधिकारी की उपस्थित सुनिश्चित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने एकल मेज व्यवस्था के तहत आवेदित परन्तु अनिस्तारित आवेदनों के निस्तारण की माॅनिटिरिंग नियमित रूप से किये जाने के भी निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन तथा उद्योग स्थापना के लिए इच्छुक नव उद्यमियों को पूंजी उपलब्ध कराकर नये उद्यम स्थापित कराने हेतु मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम चलाया
जा रहा है। इसे विकास एजेण्डे में प्रमुख रूप से शामिल किये जाने के भी निर्देश दियेे।
मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन नेे उद्योग विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं और परियोजनाओं पर विशेष बल दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं प्रदर्शित की जानी चाहिए। उन्होंने उद्यमियों की समस्याओं का निस्तारण समयबद्व सुनिश्चित करने के निर्देश दियेे।
प्रबंध निदेशक राज्य औद्योगिक विकास निगम, श्री मनोज कुमार ने समीक्षा बैठक में जानकारी दी कि विभिन्न इकाइयों की स्थापना के लिए 44 हजार एकड़ में लगभग 34 हजार एकड़ भूमि उद्योग स्थापना के लिए आवंटित की जा चुकी है। करीब 6 हजार एकड़ के भूखण्डों में आवंटियों द्वारा स्वयं औद्योगिक गतिविधियों को प्रारम्भ करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए, इन्हेे अन्य लोगों को स्थानान्तरित किये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि जिन भूखण्डों में 10 वर्ष के उपरांत भी औद्योगिक गतिविधियां प्रारम्भ नहीं हुई हैं, उनका हस्तान्तरण नहीं किया जायेगा, बल्कि उन्हें निरस्त करके वास्तविक उद्यमियों को भूखण्ड आवंटित किये जाने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही निजी क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने पर विचार किया गया। निजी क्षेत्र में 15 एकड़ से 100 एकड़ तक औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के सम्बंध में नीति तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही प्रख्यापित कर दिया जायेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव वाणिज्य कर ने अवगत कराया कि प्रदेश में 08 उत्पादों पर प्रवेश कर लागू है, जिनसे 2792 करोड़ रूपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त होता है। इसमें उद्यमियों द्वारा विशेष तौर पर चिन्हित पेपर एवं आयरन स्टील से 300 करोड़ रूपये का राजस्व मिलता है। उन्होंने बताया कि जिन उत्पादों पर प्रवेश कर लागू है उनको उद्यमियों द्वारा समाप्त करने की निरन्तर मांग की जा रही है, इस पर राज्य मंत्री ने सम्बंधित समस्त बिन्दुओं का अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये।
प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग श्री रजनीश दुबे ने विभागीय गतिविधियों की प्रगति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि लघु उद्योग कार्यक्रमों को बेहतर ढ़ंग से क्रियान्वित करने की व्यवस्था की गयी है और उद्यमियों को समयबद्व लाभ सुनिश्चित कराया जा रहा है।
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