रूद्रप्रयाग/देहरादून: त्रिदिवसीय मद्महेश्वर मेले का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उखीमठ धार्मिक और सौंदर्यपूर्ण स्थल है। पंचकेदारों का गद्दी स्थल होने के साथ ही राजा मानधाता की तपस्थली के नाम से भी प्रसिद्ध है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र और राज्य की तरक्की के लिए हस्त शिल्प, खेती-खलिहान की ओर लौटने की जरूरत हैं। इसके साथ ही पशुपालन के प्रति भी लोगों में रुचि पैदा करनी होगी। प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहें है। राज्य सरकार का मकसद केवल भौतिक रूप से ही कार्य करना नहीं, अपितु आपदा प्रभावितों को स्वावलम्बित करना भी है। उन्होंने कहा कि उखीमठ क्षेत्र को वर्ष 2013 में भारी त्रासदी का सामना करना पडा है, आपदा से प्रभावित लोगों को राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम में अब गाय के दूध का भोग लगाया जाएगा। इसके लिए सम्बंधित जिले के जिलाधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है। उन्होंने पर्यटक स्थल चैपता में कृत्रिम झील के निर्माण के लिए जिलाधिकारी डाॅ राघव लांगर को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने मद्महेश्वर मेले के लिए 3 लाख रूपए प्रतिवर्ष देने, नगर पंचायत उखीमठ के लिए 25 लाख रूपए का विशेष ग्रांट, मद्महेश्वर घाटी के विकास हेतु 25 लाख रूपए विशेष ग्रांट, उखीमठ-काकड़ागाड मोटरमार्ग की स्वीकृति, अगले वित्तीय वर्ष तक कन्या हाईस्कूल उखीमठ का इण्टर कालेज में उच्चीकरण, स्वयं सहायता समूह एवं दुग्ध समितियों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण देकर दुग्ध उत्पादन की सम्भावनाओं को बढ़ाना, चन्द्रापुरी में रिवर राफ्टिंग की सम्भावनाएं तलाशना, मद्महेश्वर को पांचवें धाम के रूप में विकसित करने की योजना, चुन्नी मंगोली क्षेत्र के लिए 3 लाख रूपए, मनसूना क्षेत्र के मेले के लिए 1 लाख रूपए की घोषणाएं की।
इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं केदारनाथ क्षेत्र की विधायक श्रीमती शैलारानी रावत ने क्षेत्रीय समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पांचवें धाम के रूप में मद्महेश्वर खुशहाली एवं समृद्धि का प्रतीक है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री रावत का आभार जताते हुए कहा कि केदारघाटी में हवाई एम्बुलेंस सेवा को जल्द से जल्द शुरू करवाया जाए, जिससे कि क्षेत्रीय जनता को इसका लाभ मिल सके।