नई दिल्ली: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12ए में अधिनियम की धारा 11 और 12 को लागू करने से जुड़ी शर्तों का उल्लेख किया गया है। उपधारा (1) के अनुच्छेद (बी) के तहत इस तरह की एक धारा यह है कि जब धारा 11 और 12 को अमल में लाए बिना ही किसी ट्रस्ट या संस्थान की गणना की गई कुल आय किसी पिछले वर्ष में उस अधिकतम राशि से अधिक हो जाती है, जिस पर आयकर नहीं लगता है, तो उस वर्ष के खातों का अंकेक्षण (ऑडिट) एक ऐेसे लेखाकार द्वारा किया जाता है, जैसा कि धारा 288 की उपधारा (2) के नीचे दिए गए स्पष्टीकरण में परिभाषित किया गया है।
इस धारा में यह भी बताया गया है कि उपर्युक्त आमदनी प्राप्त करने वाला व्यक्ति संबंधित आकलन वर्ष के लिए आयकर रिटर्न के साथ इस तरह के अंकेक्षण की रिपोर्ट उस निर्दिष्ट फॉर्म में उपलब्ध कराता है, जो इस तरह के लेखाकार द्वारा हस्ताक्षरित एवं सत्यापित होता है। इसके अलावा भी कुछ निर्दिष्ट विवरण उपलब्ध कराए जाते हैं।
तदनुसार, नियम 17बी और फॉर्म संख्या 10बी को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आयकर नियम, 1962 में शामिल किया गया जिसके लिए 1 अप्रैल, 1973 से प्रभावी आयकर (द्वितीय संशोधन) नियम, 1973 देखें। नियम 17बी में कहा गया है कि किसी भी ट्रस्ट अथवा संस्थान के लेखा के अंकेक्षण की रिपोर्ट फॉर्म संख्या 10बी में होगी। फॉर्म संख्या 10बी के अंतर्गत ऑडिट रिपोर्ट के अलावा अनुलग्नक के रूप में ‘ब्योरेवार रिपोर्टों का विवरण’ भी उपलब्ध कराया जाता है।
चूंकि नियम और फॉर्म को काफी पहले अधिसूचित किया गया था, इसलिए उन्हें मौजूदा समय की आवश्यकताओं के अनुरूप करना जरूरी है।
उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर निम्नलिखित को प्रतिस्थापित करते हुए नियम और फॉर्म में संशोधन करने का प्रस्ताव है :
(क) नये नियम 17बी के साथ नियम 17बी
(ख) नयी फॉर्म संख्या 10बी के साथ फॉर्म संख्या 10बी
उपर्युक्त संशोधनों को प्रस्तावित करने वाली मसौदा अधिसूचना को तैयार कर लिया गया है और www.incometaxindia.gov.in पर अपलोड कर दिया गया है, ताकि हितधारकों और आम जनता से इस बारे में सुझाव आमंत्रित किए जा सकें। मसौदा नियमों पर अपने सुझावों को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से 5 जून, 2019 तक ई-मेल एड्रेस niraj.kumar82@nic.in पर भेजा जा सकता है।