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आर्थिक रूपरेखा, राजकोषीय नीति, ऋण प्रबन्धन को सशक्त करते हेतु भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार एवं विश्व बैंक के मध्य दिल्ली में लोन एग्रीमैन्ट हस्तारित किया गया

उत्तराखंड

देहरादून: आर्थिक रूपरेखा, राजकोषीय नीति, ऋण प्रबन्धन को सशक्त करने हेतु भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार एवं विश्व बैंक के मध्य 25 जून, 2019 को दिल्ली में लोन एग्रीमैन्ट हस्ताक्षरित किया गया। राज्य में वित्तीय प्रबन्धन सशक्तिकरण, वित्तीय अनुशासन, शहरी स्थानीय निकायों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य के साथ उत्तराखण्ड लोक वित्तीय प्रबन्धन सुदृढ़ीकरण परियोजना (यू.के.पी.एफ.एम.एस.) को राज्य में क्रियान्वित करने के लिये 31.58 मिलियन डाॅलर का ऋण हस्ताक्षरित हुआ है। इस परियोजना की अवधि 05 वर्ष की है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा काफी पहले ही इस परियोजना का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया था। सम्पूर्ण भारत में लोक वित्तीय प्रबन्धन हेतु विश्व बैंक के सहयोग से कुछ ही राज्यों में यह परियोजना चल रही है जैसे छत्तीसगढ़, हिमांचल प्रदेश, असम, राजस्थान और उत्तराखण्ड इनमें से एक है।
लोन एग्रीमेन्ट हस्ताक्षरित करने के दौरान श्री समीर कुमार खरे, अपर सचिव, आर्थिक मंत्रालय, भारत सरकार, श्री सविन बंसल, अपर सचिव, वित्त, उत्तराखण्ड एवं विश्व बैंक की ओर से श्री शंकर लाल, कार्यकारी कंट्री डायरेक्टर, विश्व बैंक के बीच यह एग्रीमेन्ट दिल्ली में हस्ताक्षरित हुआ।
दीर्घकालिक उद्देश्यों एवं सुधारों हेतु क्रियान्वित किये जाने के दृष्टिगत वित्त विभाग के अन्तर्गत वर्तमान में स्थापित सेण्टर फाॅर टेªनिंग रिसर्च एण्ड फाइनेंसियल एडमिनिस्ट्रेशन ( CFTRA ) के अनतर्गत ‘‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट’’  UKPFMS    को स्थापित किया गया है। इस परियोजा के उप-परियोजना निदेशक श्री सविन बंसल, अपर सचिव, वित्त विभाग, उत्तराखण्ड हैं तथा वित्त नियंत्रक श्री मनमोहन मैनाली हैं।
परियोजना के मुख्य उद्देष्य:-

  • वित्तीय प्रबनधन प्रणाली को सशक्त एवं सुदृढ़ करते हुए राज्य में वित्तीय अनुशासन एवं राजस्व में अभिवृद्धि किया जाना।

परियोजना के मुख्यतः निम्नाकिंत कार्यक्षेत्र/उद्देश्य सम्मिलित हैं:-

  • वित्तीय प्रबनधन प्रणाली का सुदृढ़ीकरण – वित्त विभाग के अन्तर्गत विभिन्न निदेशालय निदेशालय कोषागार, पेंशन एवं हकदारी, निदेशालय बजट राजकोषीय एवं प्रबन्धन, निदेशालय लेखा परीक्षा, वित्त आडिट प्रकोष्ठ, ई-प्राक्योरमेंट सैल, सी.एफ.टी.आर.ए.।
  • राजस्व प्रबन्धन का सुदृढ़ीकरण एवं अभिवृद्धि – शहरी विकास एवं इसके अनतर्गत विभिन्न शहरी निकाय, गढ़वाल मण्डल विकास निगम, परिवहन, आबकारी
  • शहरी स्थानीय निकायों एवं सार्वजनिक निगमों का वित्तीय प्रबन्धन सृदृढ़ीकरण- शहरी विकास एवं इसके अनतर्गत विभिन्न शहरी निकाय, गढ़वाल मण्डल विकास निगम एवं इसके साथ अन्य सार्वजनिक निगम

( I ) वित्तीय प्रबनधन प्रणाली का सुदृढ़ीकरण
क. निदेशालय कोषागार, पेंशन एवं हकदारी

  • राज्य सरकार द्वारा IFMIS  एवं  HRMIS  जैसे आॅनलाईन व्यवस्था
  • आॅनलाईन माध्यम से राज्य सरकार विभिन्न भुगतानों परं प्रभावी आंतरिक नियंत्रण
  • महालेखाकार को आॅनलाईन माध्यम से लेखे/आंकड़े प्रस्तुत किया जाना
  • राज्य सरकार के समस्त अधिकारियों/कार्मिकों के सेवा अभिलेखों को  Digitzation

ख. निदेशालय लेखा परीक्षा(आॅडिट)

  • प्रमुख विभागों की आंतरिक लेखा परीक्षा में वित्तीय सुशासन हेतु अभिवृद्धि
  • आॅनलाईन माध्यम से लेखा परीक्षा के समस्त चरणों को विकसित किया जाना
  • लेखा परीक्षा अधिकारी/कार्मिकों को, लेखा परीक्षा के नये आयामों यथा आई.टी. आॅडिट, निष्पादन लेखा परीक्षा हेतु प्रशिक्षण एवं विभिन्न संस्थाओं से प्रमाणीकरण प्रदान किया जाना।
  • आई.टी. आॅडिट हेतु विभिन्न साफ्टवेयर का क्रय किया जाना।

ग. निदेशालय बजट राजकोषीय एवं प्रबन्धन एवं ई-प्रोक्योरमेंट

  • बजट की सूचनाओं में पारदर्शिता एवं जबाबदेही
  • बजट हेतु सार्वजनिक संवाद एवं सम्पर्क हेतु मोबाईल एप एवं वेबसाईड विकसित किया जाना
  • राज्य सरकार के ऋण प्रबन्धन के सुदृढ़ीकरण एवं नवीन कार्यप्रणालियों का क्रियान्वयन
  • राजकीय ऋण प्रबन्धन हेतु नियम संग्रह
  • ऋण प्रबन्धन हेतु साफ्टवेयर को विकसित किया जाना
  • ई-प्रोक्योरमेंट के अन्तर्गत अधिक पारदर्शिता एवं जबाबदेही

( II) राजस्व प्रबन्धन का सुदृढ़ीकरण एवं अभिवृद्धि
क. शहरी विकास एवं विभिन्न शहरी निकाय

  • शहरी निकायों में सम्पत्ति कर के संग्रहण हेतु सूचना प्रौद्योगिकी/जी.आई.एस. माध्यम से अभिवृद्धि
  • शहरी निकायों में सम्पत्ति कर के संग्रहण हेतु जी.आई.एस.  Application     द्वारा प्रथम चरण में चार नगर निकायों (देहरादून, हरिद्वार, रूद्रपुर एवं हल्द्वानी) में क्रियान्वयन

( III) शहरी स्थानीय निकायों एवं सार्वजनिक निगमों का वित्तीय प्रबन्धन सृदृढ़ीकरण-
क. गढ़वाल मण्डल विकास निगम एवं इसके साथ अन्य सार्वजनिक निगम

  • शहरी निकायों में सम्पात्ति कर में सूचना प्रौद्योगिकी माध्यम से अभिवृद्धि एवं वार्षिक वित्तीय विवरणों का निर्धारित समय-सारणी तैयार किया जाना।
  • सार्वजनिक निगमों में वित्तीय अनुशासन एवं प्रबन्धन

सम्बन्धित पांच वर्षीय परियोजना से मुख्य परिणाम ( Outcome) दृष्टिगत होंगे:

  • वित्तीय प्रबन्धन प्रणाली में सुदृढ़ीकरण
  • वित्तीय अनुशासन
  • राजस्व अभिवृद्धि
  • विभागों, निकायों, निगमों में वित्तीय जबाबदेही एवं वित्तीय सुदृढ़ीकरण
  • विभागों, निकायों, निगमों में सशक्त लेखांकन प्रक्रिया
  • वित्तीय अनुशासन हेतु विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम
  • वित्त विभाग के अन्तर्गत विभिन्न निदेशालयों में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण
  • वित्त विभाग के अन्तर्गत व्यय प्रबन्धन एवं राजस्व अभिवृद्धि हेतु विभिन्न अध्ययन

यह परियोजना राज्य की वित्तीय व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी तथा राज्य में आय के स्त्रोंतो को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों को प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त वित्त विभाग के अन्तर्गत सी.टी.आर.एफ.ए. के अन्तर्गत प्रशिक्षणों को और बेहतर बनाने हेतु भी कार्य करेगी।

  • परियोजना के अन्तर्गत लेखा परीक्षा विभाग को सशक्त करने के उद्देश्य से लेखा परीक्षा मैनुअल का सृजन एंव प्रशिक्षण।
  • राज्य में ऋण प्रबन्धन को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु ऐजेन्सी का चयन किया गया है। यह एजेन्सी राज्य में बेहतर ऋण प्रबन्धन हेतु सुझाव देगी।
  • शहरी स्थानीय निकायों के लेखों के समुचित देखभाल एवं प्रशिक्षण हेतु भी एजेन्सी का चयन किया गया है।

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