नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (09 दिसंबर, 2015) वर्ष 2012, 2013 एवं 2014 के लिए उस्ताद शिल्पकारों को राष्ट्रीय पुरस्कार एवं शिल्प गुरू पुरस्कारों से सम्मानित किया।इस अवसर पर राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं और उस्ताद शिल्पकारों को बधाई दी। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन में देश की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाने में उनके अनूठे योगदान की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वदेशी हस्तशिल्प हमारी जीवन शैली के एक गौरवशाली पहलू हैं। स्वदेशी हस्तशिल्पों की व्यापक श्रृंखला हमारे देश की विविधता और असीम रचनाशीलता परिलक्षित करती है। प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र एवं उप क्षेत्र की अपनी विशिष्ट शैली और परंपरा है जो हमारे समाज के प्राचीन जीवन-लयों से उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि हमारे शिल्पकारों ने सदियों से अपनी खुद की, अकसर अनूठी प्रणाली और तकनीक विकसित की है और पत्थरों, धातुओं, चन्दन की लकड़ियों और मिट्टी में जान फूंकी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को आजीविका का अवसर प्रदान करता है। हस्तशिल्प क्षेत्र में निम्न पूंजी लागत का उपयोग होता है तथा वे पर्यावरण संरक्षण में सहायता करते हैं। वे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा अल्पसंख्यकों जैसे निर्बल वर्गों को भी अधिकारसम्पन्न बनाते हैं और इस प्रकार विकास को समावेशी और टिकाऊ बनाते हैं। हस्तशिल्प वस्तुओं का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के आर्थिक अधिकारिता के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। इनमें बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण की सरल सुविधा और घरेलू तथा विदेशी बाजारों में इन उत्पादों का संवर्धन शामिल है।