16.9 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

लखनऊ में सांख्यिकी और सतत विकास लक्ष्यों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह कार्यशाला

उत्तर प्रदेश

नई दिल्ली: लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय ऑडिटोरियम में दो दिवसीय “सांख्यिकी और सतत विकास लक्ष्यों”पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह कार्यशाला का उद्घाटन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) में सचिव और भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। अपर महानिदेशक श्रीमती शैलजा शर्मा, सामाजिक सांख्यिकी प्रभाग, एनएसओ, एमओएसपीआई, प्रो वाइस चांसलर, प्रोफेसर राज कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश मेडिकल केयर की निदेशक डॉ. सविता भट्ट, लखनऊ विश्वविद्यालय की सांख्यिकी विभाग की प्रमुख प्रो. शीला मिश्रा और अन्य गणमान्य लोग भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस अवसर पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) में सचिव और भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थायी दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सतत विकास लक्ष्यों की प्रभावी निगरानी के लिए, राष्ट्रीय संकेतक ढांचे को विकसित करने और विभिन्न मंत्रालयों तथा अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करने की जिम्मेदारी सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श के बाद निर्धारित किए गए डेटा स्रोतों और आवधिकता के साथ 306 राष्ट्रीय संकेतकों के एक सेट को एनआईएफ में अंतिम रूप दिया गया है।

उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्रीय विकास एजेंडा सतत विकास लक्ष्यों में दर्शाया गया है। उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका के महत्व पर जोर दिया।

श्री वास्तव ने हाल ही में किए गए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के प्रयासों के बारे में बताया, जो कि नीतियां बनाने के लिए आधिकारिक आंकड़ों में डेटा अंतर को पाटने के लिए है। उन्होंने बताया कि सातवीं आर्थिक जनगणना में पहली बार, डेटा इकट्ठा करने, सत्यापन, रिपोर्ट तैयार करने और प्रसार के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है। आर्थिक जनगणना भारत की भौगोलिक सीमा के भीतर स्थित सभी प्रतिष्ठानों की पूर्ण गणना है। यह देश में सभी आर्थिक प्रतिष्ठानों की  आर्थिक गतिविधियों, स्वामित्व पैटर्न, इससे जुड़े लोग आदि को भौगोलिक प्रसार में महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि पहली बार राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने एक ‘टाइम यूज सर्वेक्षण’ शुरू किया है, जो कि समय की स्थिति और लोगों, विशेषकर महिलाओं की अवैतनिक आर्थिक गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। टाइम यूज सर्वेक्षण की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। सर्वेक्षण वर्तमान में चल रहा है और दिसंबर 2019 तक खत्म हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि भारत की जीडीपी में अनिगमित उद्यमों द्वारा किए गए योगदान के कारण, राष्ट्रीय संख्यिकी कार्यालय 1 अक्टूबर 2019 से एक “अनिगमित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसयूएसई)” शुरू करने जा रहा है। यह सर्वेक्षण विनिर्माण, व्यापार और रोजगार सहित अन्य सेवाओं के क्षेत्र में अनिगमित गैर कृषि प्रतिष्ठानों की आर्थिक तथा परिचालन विशेषताओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में सचिव ने बताया कि सेवा क्षेत्र में डेटा के अंतर को खत्म करने के लिए, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय 1 जनवरी 2020 से नियमित रूप से सेवा क्षेत्र उद्यम का वार्षिक सर्वेक्षण करने जा रहा है। सेवा क्षेत्र भारत की जीडीपी में लगभग 54 प्रतिशत योगदान देता है।

इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि शोधार्थी और शिक्षक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2030 तक इसके लक्ष्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वे समय-समय पर सामाजिक-आर्थिक संकेतक को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जो विभिन्न क्षेत्रों में नीति बनाने में सरकार की मदद करेंगे।

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर पदम सिंह, जाने-माने नीति निर्माताओं और शोधार्थियों ने “गरीबी रेखा” को पुनः परिभाषित करने के बारे में बात की।

प्रोफेसर ए के सक्सेना विशिष्ट अतिथि और सांख्यिकी विभाग के पूर्व प्रमुख ने प्रसन्नता व्यक्त की और इन प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहन और प्रेरक शब्दों के साथ इस आयोजन के लिए बधाई दी।

इस कार्यक्रम शैक्षणिक समुदाय, सरकार, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक समूहों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई, दो दिनों में विभिन्न तकनीकी सत्रों में विशेष व्याख्यान, आमंत्रित व्याख्यान, 75 से अधिक तकनीकी पेपरों पर विचार-विमर्श करेंगे।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More