नई दिल्ली: भारत को अनुसंधान एवं विकास की दृष्टि से पसंदीदा राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने भारत में अनुसंधान एवं विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराने वाली प्रमुख बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ 16 जुलाई को नई दिल्ली में बैठक की।
बैठक के दौरान अनुसंधान और विकास कार्यों की स्थापना और निवेशों से संबंधित मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की लगभग 35 प्रमुख बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों के सुझावों पर चर्चा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारतीय अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के साथ एकीकरण की सुविधा के लिए सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों को साझा किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजयराघवन ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नीति आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, और सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम मंत्रालय सहित अन्य सरकारी हितधारकों के साथ की। बैठक में 70 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान अनुसंधान और नवाचार के उभरते क्षेत्रों, अनुसंधान और विकास संबंधी निवेश के बारे में आंकड़े साझा करने, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समक्ष उठने वाले परिचालन संबंधी मुद्दों और चुनौतियों, राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास संस्थानों और शिक्षा, प्रतिभा विकास और सोर्सिंग के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने, भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक भागीदारी और घरेलू स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के साथ एकीकरण करने के लिए सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों पर विचार-विमर्श किया गया।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नजरिए से प्राप्त प्रमुख सिफारिशों में परिचालन संबंधी चुनौतियों को कम करने हेतु अनुसंधान एवं विकास निवेश को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को एकल खिड़की की सहायता प्रदान करना, राष्ट्रीय अनुसंधान एवं नवाचार पारिस्थितिकी में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बीच निकट संबंध सक्षम बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी नीति और कार्यक्रम, अनुसंधान एवं नवाचार साझेदारियों को बढाने के लिए सरकार और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बीच नियमित सम्पर्क के मंच की उपलब्धता शामिल है।
प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार परामर्श परिषद के माध्यम से प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय ज्ञान अर्थव्यवस्था और देश की प्रगति में योगदान देने के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाने हेतु वैज्ञानिक मंत्रालयों, अनुसंधान संस्थाओं और औद्योगिकी साझेदारों में विभिन्न वर्गों के बीच सह-क्रियाशील सहयोग को समर्थ बनाने में भूमिका निभाता है।