जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने से देश के कुछ हिस्सों में और पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ा है। केंद्र सरकार द्वारा संसद में यह प्रस्ताव पेश करने से कुछ दिनों पहले ही भारतीय सेना और अन्य सुरक्षाबलों ने कश्मीर में पूरा होमवर्क किया था। सुरक्षाबलों ने हर उस समस्या को अपनी निगाह में रख लिया था जो वहां संकट की स्थिति पैदा कर सकती थी। अभी भी घाटी में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए सेना अपना योगदान दे रही है।
आज हमें सेना व अर्धसैनिक बलों को और मजबूत करने की जरुरत है। देश के युवाओं का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्र निर्माण में अपना सक्रिय योगदान प्रदान करें न कि केवल उसका एक हिस्सा बनकर रह जाएँ। भारत में युवाओं की संख्या अन्य कई देशों से अधिक है। युवाओं की क्षमताओं को पहचानना और उसके अनुसार उन्हें अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना, हमारा कर्तव्य है। जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना ने पिछले महीने ही 10 से 16 जुलाई तक सेना भर्तीरैली आयोजित कराया था । इस भर्ती के लिए 5336 युवाओं ने पंजीकरण कराया है। यह एक सकारात्मक संकेत है कि वहाँ के युवा अब हथियार उठाकर दहशतगर्द बनने की बजाए देश निर्माण में अपना योगदान देना चाहते हैं।
हमारे प्रदेश का भी सेना व अर्धसैन्य बलों के प्रति काफी लगाव है। केदारनाथ आपदा में बचाव व पुनर्निर्माण के कार्य के दौरान हमने उत्तराखण्ड के पहाड़ के युवाओं की काबिलीयत और सेना में जुड़ने की उनकी ललक को काफी नजदीक से महसूस किया। जोश से लबरेज इन युवाओं को सही दिशा दिखाने की जरुरत थी। वैवाहिक बंधन में ना बंधे होने के कारण हमारे पास समय का भी आभाव नहीं था। ऎसे ही 30 युवाओं को लेकर हमने यूथ फाउंडेशन की शुरुआत की। इनमेंसे 28 युवा गढ़वाल राइफल्स का हिस्सा बन गए। आज छः साल बाद यूथ फाउंडेशन के आठ निशुल्क कैम्प गढ़वाल राइफल्स की भर्ती के लिए गढ़वाल में और दो निशुल्क कैम्प कुमाऊँ रेजिमेंट की भर्ती के लिए कुमाऊँ में हर साल लगतेहैं। उत्तराखण्ड की बेटियों को मिलिट्री पुलिस की भर्ती के लिए तैयार करवाने के लिए हमारा निशुल्क कैम्प देहरादून में चल रहा है।
आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम उत्तराखंड के युवा पीढ़ी को यह सन्देश देना चाहेंगे कि राष्ट्र के निर्माण में सेना व अन्य सुरक्षाबलों की अहम भूमिका है। यह सिर्फ अपना ही नहीं परन्तु देश का भविष्य सुधारने का बेहतर विकल्प है। हमें अपने आपको इसके लिए शारीरिक व मानसिक रूप से काबिल बनाना है।
जय हिन्द।
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कर्नल अजय कोठियाल (सेवानिवृत्त ), कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मैडल , भारतीय सेना द्वारा सम्मानित उच्च पदस्थ अधिकारियों में से एक है। छब्बीस साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने दो बार माउंट एवेरेस्ट पर फ़तेह पाई और कश्मीर में सत्रह आतंकवादियों को ढ़ेर किया। 2013 में आई केदारनाथ आपदा के बाद नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटेनियरिंग के द्वारा किया गया राहत कार्य व पुनर्निर्माण उनके अगुआई में हुआ। वह “यूथ फाउंडेशन” ट्रस्ट केसंस्थापक है। यह संस्थान उत्तराखंड के युवाओं को सेना व अर्धसैनिक बलों में जाने की निशुल्क प्रशिक्षण देती है।