लखनऊ: खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत खाद्य पदार्थो के जो भी नमूने संग्रहीत किये जाते हैं उनमें कमियाँ (यथा- अधोमानक/असुरक्षित/मिथ्याछाप आदि) पाये जाने पर सम्बन्घित प्रकरणों में न्यायालय में 1 वर्ष के भीतर वाद दायर करने की व्यवस्था है। इसके लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उ0प्र0 के अन्तर्गत कारण अभिलिखित करते हुए उक्त परिसीमा 03 वर्ष तक बढ़ाने की शक्तियाँ उक्त अधिनियम की धारा-77 के अन्तर्गत प्राप्त हैं। यदि ऐसे प्रकरणों में 3 वर्ष की सीमा के अन्तर्गत परिसीमा बढ़ाये जाने के आदेश/स्वीकृति नहीं प्रदान की जाती है तो ऐसे अपराधों का संज्ञान मा0 न्यायालय द्वारा नहीं लिया जा सकेगा और अधिनियम का उद्देष्य विफल हो जायेगा, जो जनहित में नहीं होगा।
डॉ० अनिता भटनागर जैन, अपर मुख्य सचिव, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, द्वारा ऐसे प्रकरणों में अनुमोदन देने के परिप्रेक्ष्य में ये पाया गया कि इनमें से अधिकांश प्रकरण अत्यन्त पुराने थे। इनकी समीक्षा व्यस्थात्मक रूप से करने के लिए तिथिवार चेकलिस्ट का प्रारूप निर्धारित किया गया और इन प्रकरणों को वर्षवार निस्तारित करने के निर्देश दिये गये। यद्यपि धारा- 77 के प्रकरणों में 1 वर्ष के अन्दर वाद दायर होना चाहिये, परन्तु इनमें वर्ष-2016, 2017 व 2018 के भी प्रकरण लम्बित थे। व्यवस्था परिवर्तन के फलस्वरूप तथा चेकलिस्ट निर्धारण के उपरान्त वर्ष 2016, 2017, 2018 व 2019 के कुल 576 प्रकरणों का निस्तारण कराया गया।
इस सम्बन्ध में कुल 62 अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही आदेशित की गयी है जिनमें 4 खाद्य विश्लेषकों तथा 4 अभिहित अधिकारियों सहित 8 अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही तथा 54 अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि प्रदान करने के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण प्राप्त करने के निर्देश दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त एक वरिष्ठ खाद्य विश्लेषक को निलंबित भी कर दिया गया है। इस व्यवस्था सुधार के परिप्रेक्ष्य में अब 2) वर्ष के स्थान पर 2) महीने के अद्यावधिक प्रकरण निस्तारित हो रहे हैं।