लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य में लागू किया जा रहा पोषण अभियान बाल स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सभी स्टेक होल्डर विभाग राज्य, जनपद और ब्लाॅक स्तर पर आपसी समन्वय स्थापित करते हुए इसकी सफलता के लिए समन्वित प्रयास करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कुपोषित बच्चों का समुचित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 8 मार्च, 2018 को राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गयी थी। राज्य सरकार इसकी सफलता के लिए कटिबद्ध है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां अपने सरकारी आवास पर आगामी 1 सितम्बर से 30 सितम्बर, 2019 तक चलने वाले राष्ट्रीय पोषण माह के सम्बन्ध में सभी स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक के दौरान व्यक्त किये। इस अवसर पर उन्होंने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को भी सम्बोधित किया और पोषण अभियान की सफलता के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। पोषण अभियान की इस बैठक में कन्वर्जेंस विभागों जिनमें चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कृषि, उद्यान, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और नगर विकास के प्रमुख सचिवों/सचिवों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
मुख्यमंत्री जी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने जनपदों में सम्बन्धित स्टेक होल्डर विभागों से समन्वय स्थापित करते हुए पोषण अभियान की सफलता सुनिश्चित करें। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं ए0एन0एम0 इत्यादि को कुपोषित बच्चों को चिन्हित करते हुए उन्हें पोषण के लिए आवश्यक आयरन तथा विटामिन इत्यादि उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। साथ ही, उनके परिजनों को पुष्टाहार के विषय में भी जानकारी दें। दवाओं और खान-पान के सम्बन्ध में सही जानकारी लक्षित परिवारों को दें, ताकि कुपोषण की समस्या से निपटा जा सके और बच्चों का समुचित विकास हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि सभी स्टेक होल्डर विभाग प्रत्येक स्तर पर सही समन्वय स्थापित करते हुए पोषण अभियान को लागू करेंगे, तो इसमें भी वैसी ही सफलता मिलेगी, जैसी कि संचारी रोगों को नियंत्रित करने में मिली। पोषण अभियान की सफलता के लिए कुपोषित बच्चों को आवश्यक पोषण तथा पुष्टाहार उपलब्ध कराने से कुपोषण के साथ-साथ भुखमरी पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। उन्होंने पोषण अभियान को ‘स्कूल चलो अभियान’ से लिंक करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लक्ष्य को हासिल करने के लिए चलायी जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से भी इसमें सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री जी ने पंचायतीराज और नगर विकास विभाग को स्वच्छता और पोषण के लिए मिल-जुलकर प्रयास करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कुपोषण को दूर करने में स्वच्छता की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने इसके लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि कुपोषण के अनेक कारण दूषित जल में मौजूद होते हैं। ऐसे में कुपोषण से प्रभावित बच्चों के परिवारों को स्वच्छ पेयजल के महत्व के विषय में भलीभांति शिक्षित करना होगा। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों में जार में बन्द पेयजल की आपूर्ति के नुकसान के विषय में भी जनता को बताया जाए और उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया जाए कि वे हैण्डपम्प तथा अन्य स्रोतों से मिलने वाले पेयजल को उबालकर प्रयोग में लाएं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जार में भरकर सप्लाई किये जा रहे पेयजल की स्वच्छता की कोई गारण्टी नहीं है, इस तथ्य से ग्रामीणों को आगाह किया जाए। शुद्ध पेयजल के विषय में व्यापक अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुपोषण से ग्रसित परिवारों की गर्भवती महिलाओं को अनुपूरक पोषण उपलब्ध कराया जाए और पोषक तत्वों को किस प्रकार से आहार के माध्यम से हासिल किया जा सकता है, इस विषय में उन्हें शिक्षित किया जाए। इससे कुपोषण की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, ए0एन0एम0, आशा, नर्स तथा प्रधानों के सहयोग से कुपोषण के विरुद्ध जन जागरूकता अभियान चलाकर पोषण अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री जी ने सभी जिलाधिकारियों तथा पोषण अभियान से सम्बन्धित स्टेक होल्डर विभागों के जिला स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए अपने जनपद के ब्लाॅक और तहसील स्तर तक फील्ड विजिट करने के निर्देश दिये। उन्होंने जिलाधिकारियों को इस अभियान की लगातार माॅनीटरिंग करने और इसकी प्रगति की नियमित समीक्षा के भी निर्देश दिये। उन्होंने पोषण अभियान से जनपदों के प्रभारी मंत्रियों को भी जोड़ने के निर्देश दिये। उन्होंने जिलाधिकारियों को पोषण अभियान की सफलता के लिए अपने-अपने जनपदों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिये।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी को प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार तथा राज्य पोषण मिशन की निदेशक श्रीमती मोनिका गर्ग ने पोषण अभियान की प्रगति के सम्बन्ध में अवगत कराते हुए बताया कि राज्य में इस अभियान की शुरुआत अगस्त, 2018 में हुई थी। इसके तहत सुपोषण स्वास्थ्य मेलों की शुरुआत की गयी और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण का भी सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित किया गया है। इसके अलावा, पोषण अभियान के अन्तर्गत 6 विभागों के संयुक्त दिशा-निर्देश तथा कन्वर्जेंस एक्शन प्लान लागू करने के साथ-साथ कुपोषण से ग्रसित परिवारों को इसकेे तहत सेवाओं से आच्छादित भी किया जा रहा है। ग्राम पंचायत डेवलेपमेंट प्लान तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों का सुदृढ़ीकरण, किशोरियों में एनीमिया से बचाव हेतु विशेष प्रयास, पोषण पखवाड़े के दौरान विशेष अभियान चलाकर सैम-मैम बच्चों की पहचान, मासिक गतिविधि कैलेण्डर, मासिक सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन तथा कार्यकर्ताओं का सघन प्रशिक्षण भी सुनिश्चित किया जा रहा है। कन्वर्जेंस प्लान के अन्तर्गत कुपोषित बच्चों के परिवारों को राशन/जाॅब कार्ड उपलब्ध कराने के अलावा उनके आवासों पर शौचालय निर्माण की भी व्यवस्था की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी के समक्ष पंचायतीराज, खाद्य एवं रसद, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, कृषि, ग्राम्य विकास तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के प्रमुख सचिवों/सचिवों द्वारा अपने-अपने विभागों द्वारा पोषण अभियान की सफलता के लिए किये जा रहे कार्याें के विषय में विस्तृत जानकारी दी गयी। मुख्यमंत्री जी ने स्टेक होल्डर विभागों को पोषण अभियान की सफलता के लिए सभी प्रयास करने के निर्देश दिये।
बैठक में महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव खाद्य श्रीमती निवेदिता शुक्ला, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, यूनीसेफ, वल्र्ड बैंक, टाटा ट्रस्ट, पीरामल फाउण्डेशन तथा यू0पी0टी0एस0यू0 के प्रतिनिधिगण भी मौजूद थे।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2018 में लागू किये गये राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत वर्ष 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पोषण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत, कुपोषण से निपटने के लिए समुदाय आधारित गतिविधियों को लागू किया जा रहा है। साथ ही, सुपोषण स्वास्थ्य मेले भी आयोजित किये जा रहे हैं। इसके अलावा, एनीमिया मुक्त भारत पर भी कार्य किया जा रहा है। 1 सितम्बर से 30 सितम्बर, 2019 तक चलने वाले पोषण माह के लिए 5 थीम निर्धारित की गयी हैं, जिनमें जीवन के प्रथम 1000 दिन, ऊपरी आहार, एनीमिया की रोक, दस्त प्रबन्धन, साफ-सफाई व स्वच्छता पर कार्य करने का संदेश शामिल है।
पोषण मिशन की सफलता के लिए राज्य में 1.73 लाख आंगनबाड़ी कार्यकत्री व इतनी ही सहायिकाएं, लगभग 24,000 ए0एन0एम0, 1.50 लाख आशा, 1.50 लाख स्कूल शिक्षक, 57,000 ग्राम प्रधान तथा शासन-प्रशासन के अधिकारीगण सम्मिलित प्रयास करेंगे।