विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीत कर इतिहास रचने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल शुरूआत दिनों में प्रशिक्षण के लिए देर से पहुंचने के लिए जाने जाते थे. एशियाई खेलों और एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके रोहतक के इस छोटे कद के खिलाड़ी को 52 किग्रा में वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में ओलिंपिक चैम्पियन उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से फोन पर बातचीत में कहा कि शुरुआती दिनों में वह अपने रवैये को लेकर काफी बेपरवाह थे जिससे कई बार कोच भी निराश हो जाते थे.
पंघाल से परेशान रहते थे कोच
सेना में सूबेदार के पद पर तैनात 23 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘यह सच है, मैं वीकेंड में शिविर छोड़ देता था. मेरे पास धैर्य की कमी थी. कोच मुझ पर गुस्सा करते थे लेकिन मैं ज्यादा परवाह नहीं करता था. उस समय मुझे लगता था कि हमें छुट्टियां कम मिल रही हैं और मैं हमेशा से उसका पूरा इस्तेमाल करना चाहता था.’ राष्ट्रीय कोच सीए कटप्पा ने भी पंघाल की इस हरकत को याद करते हुए कहा, ‘हां, हम उससे परेशान रहते थे. वह छुट्टियों से समय पर वापस नहीं आता था, अभ्यास के लिए भी समय पर नहीं पहुंचता था. लेकिन उसका खेल शानदार था, हम सिर्फ अनुशासनहीनता के कारण उसे खोना नहीं चाहते थे.’
Haryana's Amit Panghal, has carved history by becoming the first Indian male boxer to win a silver medal in the #WorldBoxingChampionship
Congratulations & best wishes.
Your win is a morale booster for all aspiring boxers.@Boxerpanghal#AIBAWorldBoxingChampionships pic.twitter.com/p7290R0Y8O— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) September 21, 2019
फिर ऐसा हुआ कि घर ही नहीं जाते थे
यह बात है 2016 की लेकिन अगले साल पंघाल ने पहली बार एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लेते हुए कांस्य पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. पंघाल ने कहा, ‘मैं उन सभी कोच का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने बेपरवाह रवैये के बाद भी मुझे नहीं छोड़ा. उनके धैर्य के कारण ही मैंने अपने खेल को अधिक गंभीरता से लेना शुरू किया. फिर ऐसा समय भी आया जब मैं महीने में एक बार घर जाता था. वह भी तब, जब कोच मुझे खुद छुट्टी लेने के लिए कहते थे.’
कोच ने लगा दिया था 1000 रुपये का जुर्माना
पुरानी आदत जल्दी नहीं छूटती और पंघाल को प्यार से बच्चू बुलाने वाले कटप्पा ने कहा कि विश्व चैम्पियनशिप के दौरान भी वह एक बार प्रशिक्षण के लिए देरी से पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘देर से पहुंचने पर मैंने उससे जुर्माने के रूप में एक हजार रुपये देने की मांग की, फिर उसका प्रशिक्षण शुरू हुआ.’
सब चले जाते हैं फिर भी प्रैक्टिस करते रहते हैं पंघाल
इस बारे में पूछे जाने पर पंघाल ने कहा, ‘अब मैं अभ्यास शिविर से सबसे बाद में जाता हूं. हर कोई वहां से चला जाता है लेकिन मैं अभ्यास जारी रखता हूं. समय खत्म होने के बाद भी मैं उन्हें (कोचों को) अभ्यास के लिए साथ रहने के लिए मजबूर करता हूं. प्रशिक्षण को लेकर अब मेरा दृष्टिकोण काफी बदल गया है. अब मैं कोचों को परेशान कर रहा हूं.’
ओलिंपिक के लिए बदली कैटेगरी
ओलिंपिक कार्यक्रम से 49 किग्रा भार वर्ग के हटने के बाद उन्होंने 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया. इस बदलाव के बारे में पूछे जाने पर पंघाल ने कहा कि उन्हें अभी अपने खेल में काफी सुधार करना है. उन्होंने कहा, ‘मैंने जितना सोचा था, यह उतना मुश्किल नहीं है लेकिन इसमें सामंजस्य बिठाने में मुझे समय लगा. अभी पूरी तरह से सामंजस्य नहीं बैठा है. मैं अपनी पूरी क्षमता का केवल 65 से 70 प्रतिशत इस्तेमाल कर पा रहा हूं. मुझे अपनी पंच को ताकतवर बनाना होगा ताकि कम कद के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकूं. यह जरूरी है क्योंकि इस वर्ग में ज्यादातर मुक्केबाज मेरे से ज्यादा लंबाई के हैं. लेकिन मैं मेहनत कर रहा हूं.’
पंघाल ने कहा कि अब उनकी नजरें ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने पर है. उन्होंने कहा, ‘मेरा अगला लक्ष्य ओलिंपिक के लिए जगह पक्का करना है. मेरे लिए यह पहली बार होगा.’ Source News18