नई दिल्ली: पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के विस्थापितों के प्रतिनिधिमंडल ने आज केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर 2016 में घोषित पुनर्वास पैकेज में विस्थपितों के 5300 परिवारों को शामिल करने के फैसले के लिए आभार प्रकट किया।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य कैबिनेट के कल के फैसले के बाद पैकेज के कार्यान्वयन के बारे में कुछ स्पष्टीकरण चाहते थे और उन्होंने अनुरोध किया कि पुनर्वास पैकेज के लाभ विस्थपितों के 5300 परिवारों को समान रूप से उपलब्ध होने चाहिए, जो पहले इस पैकेज से बाहर छूट गए थे। साथ ही इसकी प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के अनुरोध के बाद डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल और पुनर्वास पैकेज से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की व्यवस्था की। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बाद में कहा कि उनके द्वारा दी गई जानकारी और सुझावों को संयम के साथ सुना गया और गृह मंत्रालय आने वाले समय में इनकी जांच करेगा और प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने की हर संभव कोशिश करेगा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने मंत्रिमंडल के कल के फैसले को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के लिए सरकार का एक और बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास फैसले लेने की क्षमता और साहस दोनों है। इसलिए सरकार कश्मीर से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए फैसले ले सकती है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलायी जा रही झूठी अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की। उन्होंने कहा कि ये स्वार्थी तत्व जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370, 35ए और पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित या पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से विस्थापित पंडितों के बारे में सरकार की ओर से लिए गये फैसले से
नाखुश हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर के लिए 31 अक्टूबर से की गई नई व्यवस्था का फायदा अगले कुछ महीनों में दिखने लगेगा।
प्रतिनिधिमंडल में महेन्द्र मेहता के साथ ही प्रमुख सदस्य श्याम गुप्ता, मदन मोहन, बोधराज, मनोज खंडेलवाल और अन्य शामिल थे।